जानिए ताजमहल का रहस्य, दुनिया हैरान

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अतुलनीय विश्‍व धरोहर ताजमहल आगरा उत्तर प्रदेश…… ताजमहल अतुलनीय धरोहर…. उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित ‘ताजमहल” वस्तुत: वास्तुकला की एक उत्कृष्ट संरचना है। ‘ताजमहल” की संरचना में भारतीय, फारसी, तुर्क, इस्लामी तुर्की स्थापत्य शैली का संतुलित समन्वय दिखता है। इसे यूं कहें कि ‘ताजमहल” स्थापत्य कला का एक सुन्दर आयाम है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी।

‘ताजमहल” दुनिया के आठ चमत्कारों में से एक है। सुन्दर सफेद संगमरमर का यह स्मारक वैश्विक धरोहर है। ‘ताजमहल” का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में कराया था। वास्तुकला-स्थापत्यकला के वैश्विक घटकों के इस समिश्रण को वर्ष 1983 यूनेस्को ने विश्व धरोहर श्रंखला में स्थान दिया था। ‘ताजमहल” को भारत की इस्लामिक कला का रत्न भी घोषित किया जा चुका है। ‘ताजमहल” का दीदार करने के लिए दुनिया के लाखों पर्यटक आते हैं।

कारण ‘ताजमहल” की वैश्विक स्तर पर चमक है। लिहाजा ‘ताजमहल” का आकर्षण पर्यटकों को बरबस आकर्षित करता है। ‘ताजमहल” का अंग-प्रत्यंग अवलोकन को बाध्य करता है। जालीदार मेहराब हो या महीन नक्काशी या फिर जड़ाऊ पच्चीकारी हो। चार बाग की तो शान ही निराली है। ‘ताजमहल” के सौन्दर्य को कुछ यूं कहें कि धरती पर साक्षात चांद उतर आया है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में पवित्र नदी यमुना के आंचल के निकट संरचित यह दूधिया स्मारक ‘ताजमहल” भारत की शान भी है।

अतुलनीय धरोहर ‘ताजमहल” का निर्माण करीब 1648 में पूर्ण हुआ था। विशेषज्ञों की मानें तो उस्ताद अहमद लाहौरी को ‘ताजमहल” का प्रधान रूपांकनकर्ता माना जाता है। वर्गाकार नींव पर आधारित श्वेत संगमरमर का यह मकबरा बहुकक्षीय है। इस मकबरा का गुम्बद आधार से करीब 35 मीटर है। हालांकि इसका मुख्य गुम्बद 7 मीटर ऊंचा बेलनाकार है। ‘ताजमहल” के गुम्बद के साथ साथ छतरियां एवं गुलदस्तों पर कमलाकार शिखर शोभायमान हैं। सूर्यास्त के समय ताज का दीदार बेहद शानदार होता है। ‘ताजमहल” के चारों कोनों की विशाल मीनारों का भी अपना एक अलग आकर्षण है। संरचना ऐसी की कि पर्यटकों को मुग्ध कर दे।

वस्तुत: ‘ताजमहल” की संरचना वास्तुकलाओं-स्थापत्यकलाओं का एक विलक्षण समन्वयन है। ‘ताजमहल” के आंतरिक कक्ष परम्परागत अलंकरण से अलग है। बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों की लैपिडरी कला है। आंतरिक कक्ष में अष्टकोण हैं। किसी भी कोण के प्रवेश द्वार से कक्ष में प्रवेश किया जा सकता है। आंतरिक दीवारें करीब 25 मीटर ऊंची हैं। इससे कक्ष की भव्यता-दिव्यता परिलक्षित होती है। कक्ष के बाहर मेहराबार छज्जा शोभायमान हैं। मुमताज महल की कब्र आंतरिक कक्ष के मध्य में है।

परिसर में विशाल चारबाग है। इसे मुगल बाग भी कहते हैं। इस बाग का पाथवे ऊंचा है। यमुना नदी की ओर महताब बाग एवं चांदनी बाग भी हैं। यह क्षेत्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सानिध्य में संरक्षित है। विशेषज्ञों की मानें तो यह क्षेत्र यमुना नदी का हिस्सा था। ‘ताजमहल” का मुख्य दरवाजा भी एक स्मारक के तौर पर है। निकट ही लाल बलुआ पत्थरों की दो इमारतें हैं। ‘ताजमहल” के दीदार के लिए प्रत्येक वर्ष 20 से 40 लाख पर्यटक आते हैं। इनमें 2 लाख से अधिक विदेशी पर्यटक होते हैं। गौरतलब है कि विदेश का कोई भी शासकीय अतिथि भारत दौरे पर आता है तो ‘ताजमहल” के दीदार के लिए आगरा की यात्रा अवश्य करता है।

‘ताजमहल” स्मारक को देखने आगरा जाने के लिए यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट आगरा में है। रेलवे स्टेशन भी आगरा है। लिहाजा पर्यटक एयरपोर्ट, रेल या सड़क मार्ग से आगरा की यात्रा कर सकते हैं।