नैनो यूरिया का दौर शुरू, बेगानी होने वाली है यूरिया….. नैनो यूरिया का तीर एक साथ कई लक्ष्यों का भेदन करके ही मानेगा। पर्यावरण के अनुकूल, किसानों को आसानी हो जाएगी, भूमि की उर्वरा शक्ति का ह्रास कमतर होगा, यूरिया के आयात और सब्सिडी का हर साल दो-ढाई लाख करोड़ रुपए के बोझ से सरकार को अगले दो वर्षों में मुक्ति मिल जाएगी।
नैनो यूरिया तरल रूप में होती है। 500 एम एल बोतलबंद नैनो यूरिया बाजार में उपलब्ध है। अमेज़ॅन जैसे ई प्लेटफॉर्म से आनलाइन भी खरीदी जा सकती है। इसका सबसे अधिक मजबूत पक्ष यह है कि यूरिया से कोई दो गुना ज्यादा शक्तिशाली है। किसानों को खरीदस्थल से खेत तक इसे लाना ले जाना आसान हो गया है। कहने को नैनो यूरिया के प्रथम संयंत्र का उद्घाटन 2021 में गुजरात के कलोल में किया गया था। सहकारी संस्था इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर्स कोआपरेटिव लिमिटेड (इफ्फ्को) के इस संयंत्र का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
इसके बाद इफ्फ्को आंवला और फूलपुर में (उ.प्र.) स्थित अपने संयंत्रों में भी इसका उत्पादन कर रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने इफ्फ्को के ही देवघर (झारखंड) में स्थित नैनो परियोजना का उद्घाटन इस साल फरवरी में किया था जिसमें 2024, दिसंबर तक उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य है। इनके अलावा दूसरी उर्वरक उत्पादक कंपनी राष्ट्रीय केमिकल्स ऐंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ) मुंबई के निकट ट्राॅम्बे काम्प्लेक्स में नैनो यूरिया संयंत्र की स्थापना करेगी। आरसीएफ को बीते दिन इस परियोजना के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय से भी अनुमति मिल गई है। 2.27 करोड़ लीटर क्षमता के ट्राॅम्बे संयंत्र में वित्तीय वर्ष 2024-25 में उत्पादन शुरू होने की संभावना है। तीसरी उर्वरक कंपनी नेशनल फर्टिलाइजर्स पंजाब के नंगल कांप्लेक्स में नैनो संयंत्र की स्थापना कर रही है जो 2024-25 में तैयार हो जाएगा।
देश में नैनो यूरिया का उत्पादन और मांग दोनों में तेजी से इजाफा हो रहा है। उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय के अनुसार 2022-23 में 3.27 करोड़ बोतल नैनो यूरिया का उत्पादन किया गया। नैनो यूरिया को घरेलू बाजार के साथ -साथ निर्यात भी किया जा रहा है। उर्वरक सचिव अरुण सिंघल का कहना है कि सत्रह करोड़ बोतल नैनो यूरिया के उत्पादन और इनकी बिक्री होने पर से 15-20हजार करोड़ रुपए की बचत होगी क्योंकि यूरिया का आयात घट जाएगा। साल 2021-22 में 1.02 करोड़ और 2022-23 में 81 लाख टन यूरिया का आयात किया जिस पर तकरीबन एक लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा खर्च की गई और इससे कोई दोगुना धनराशि सब्सिडी का बोझा सरकार को उठाना पड़ा।
प्रणतेश बाजपेयी