पैर के तलवे में मिर्ची लगने जैसी जलन हो तो क्या करें

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पैर के तलवों की जलन और सुन्न होना एवं डायबिटीज के कारण पैरों के पंजों में होने वाली डायबीटिक न्यूरोपैथी से बचाव के लिए डॉ रविंद्र पोरवाल मुख्य चिकित्साधिकारी श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर ने बिना पैसा खर्च किए घरेलू उपाय के द्वारा रोग मुक्ति का मार्ग बताया है।

पैर के तलवे में मिर्ची लगने जैसी जलन वह सुन्न होना : मधुमेह की बीमारी से लंबे समय से ग्रसित रोगियों, नस नाड़ियों या मांसपेशियों की गंभीर बीमारी और एसिडिटी के शिकार युवाओं में पैर के तलवों में मिर्ची जैसी जलन होकर गर्मी निकलना जैसी समस्या एवं पैर के पंजों के अंगूठे और उंगलियों तलवे की त्वचा संवेदनशून्य हो जाए तो यह स्थिति पीड़ित का जीना हराम कर देती है। मधुमेह रोगियों में अगर यह दिक्कत डायबिटीक न्यूरोपैथी पैदा कर देती है। इससे बचने के लिए एक बहुत ही सहज और सरल उपाय है। जिसका बाहरी प्रयोग बिना किसी पैसे खर्च करके आप घर पर कर सकते हैं। और 2 सप्ताह में ही बहुत लाभ प्राप्त कर सकते हैं। लगभग 12 सप्ताह में यह समस्या पूरी तरह जड़ मूल से ठीक हो जाती है।

चमत्कारी नुस्खा : नीम के पत्ते और गिलोय के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर इन्हें बारीक पीस लें लगभग एक कटोरी पिसे हुए पत्तों के पेस्ट में दो कटोरी खेत या किसी गहरे गड्ढे की साफ-सुथरी मिट्टी मिलाकर पेस्ट बनाएं और अब इस पेस्ट को लगभग आधा अंगुल मोटाई में पैर के पूरे तलवों एड़ी और पंजों में अच्छी तरह लगा ले। इसके ऊपर कोई कपड़ा बांध ले या ऐसे ही खुला छोड़ दें। लगभग 45 मिनट से 1 घंटे तक यह पेस्ट पैरों में लगा रहने दें। उसके बाद इस पेस्ट को हटाकर सामान्य पानी से पैरों को धो लें पैरों को अच्छी तरह पौछने के बाद देसी घी या कड़वा तेल लेकर पैर के अंगूठे और नाखून में अच्छी तरह लगाएं। इसके बाद तलवों में कोमलता के साथ तेल की मालिश करें। लगभग 10 से 15 मिनट तक मालिश करने के बाद ध्यान रखें कि कम से कम 1 घंटे तक पैर पर पानी ना पड़े।

अनियंत्रित डायबिटीज को काबू करें : मधुमेह की कुछ रोगियों में भरपूर परहेज़ और औषधियों की नियमित रूप से नियम पूर्वक सेवन करने के बावजूद रक्त शर्करा बेकाबू हो जाती है। योगाभ्यास टहलने और शारीरिक श्रम में थोड़ी सी भी लापरवाही होने पर ग्लूकोस लेवल तेजी से बढ़ने लगता है। एक ऐसा उपाय जिसमें आप अपने उपचार को जारी रख सकते हैं। रखते हुए केवल एक बाहरी उपाय करके रक्त ग्लूकोज लेवल नियंत्रित कर इस बीमारी के बेहतर मैनेजमेंट में भी यह उपाय अत्यंत हितकारी है।

ग्लूकोज नियंत्रण में कारगर उपाय : प्रातः सो कर उठने के बाद शौच आदि से निवृत्त होकर पांच आसनों का दो दो मिनट तक इसी क्रम से अभ्यास करें। पक्षी आसन, वीरासन, विस्तृतपाद उत्तानपाद आसन, सुप्ततिर्यक भुजंगासन और अश्वचालनासन इन पांच आसनों का दो-दो मिनट तक सांस को सामान्य रखते हुए विधि पूर्वक जैसा शास्त्रों में निर्देश दिया गया है। उसी अनुकूल प्रतिदिन खाली पेट अभ्यास करें। आसनों का अभ्यास करने के बाद अकोड़ा की पत्तों का जिसे आक भी बोलते हैं इसके सफेद फूल होते हैं और यह पौधा जहरीला माना जाता है। आक के 15- 20 पत्तों को पीसकर गाड़ा गाड़ा पेस्ट बनाएं और इसमें दो कटोरी साफ-सुथरी खेत की मिट्टी मिलाकर पेस्ट बना लें इस पेस्ट को दोनों पैर के अंगूठों उगलियों तलवों पंजो एडी वाले हिस्से में आधा अंगुल मोटाई में गाड़ा गाड़ा लेप लगाए। इस लेप को 1 घंटे तक पैरों में लगा रहने के बाद सामान्य पानी से धुल लें। इसके बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ और पैरों को धुलना चाहिए। डायबिटीज को संतुलन में बनाए रखने के लिए यह घरेलू उपाय आप एक बार करके देखें। निराश नहीं होंगे बहुत लाभदायक उपाय है।

चेतावनी : क्योंकि आंक के पत्ते और पत्तों से निकला सफेद सफेद दूध जहरीले प्रभाव के होते हैं। इन्हें शरीर के दूसरे अंगों जैसे मुंह आंख गाल की कोमल त्वचा इत्यादि में छूने से पूरी तरह बचाव करना चाहिए, बच्चों से दूर रखें क्योंकि आंक के पत्ते विषाक्त प्रभाव वाले होते हैं।

समय अवधि : ऊपर बताए गए पांच आसनों का अभ्यास नियमित रूप से प्रतिदिन करते रहना है। आंक के पत्तों का लेप 12 सप्ताह तक नियमित रूप से करें फिर सप्ताह में दो बार 2 महीने तक करें उसके बाद महीने में दो बार लेप लगाना उचित है। आवश्यकता अनुसार इस लेप का प्रयोग लंबे समय तक करने पर भी कोई हानि नहीं है केवल सावधानी जरूर रखें क्योंकि आक का पौधा जहरीले प्रभाव का होता है।

भोजन में परिवर्तन : मैदा और शक्कर का सेवन पूरी तरह बंद कर दें। सेंधा नमक का प्रयोग भोजन में करें। एसी का प्रयोग भी कम से कम करें 24 घंटे में एक बार शरीर से भरपूर मात्रा में पसीना निकले यह उपाय जरूर करें। भोजन में हरी मिर्च, लाल मिर्च, काली मिर्च, गरम मसाला, रिफाइंड ऑयल और तला फ्राइ किया हुआ प्याज लहसुन अदरक टमाटर आदि का सेवन बिल्कुल ना करें। किंतु कच्चे टमाटर और प्याज लहसुन का सेवन सलाद के रूप में किया जा सकता है। आलू शकरकंद, वादी खाद्य पदार्थ जैसे भिंडी मटर कद्दू कटहल उड़द की दाल, चने की दाल राजमा छोला इत्यादि का सेवन ना करें। बाजार की चाट चटनी जंक फूड जैसे बिस्किट दालमोठ इत्यादि के साथ-साथ फास्ट फूड समोसा बर्गर चाऊमीन दोसा इत्यादि से परहेज़ करना आवश्यक है। मौसम के ताजे फलों का सेवन खूब करें। हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं और पूरे दिन में कम से कम 3 से 5 लीटर तक पानी पीना पिएं।