सुरक्षित है वंचित तबके का जीवन और जीविका

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शहरी कामगारों-श्रमिकों को मिली है भरण-पोषण भत्ता और मुफ्त राशन की मिली सौगात

लखनऊ। वैश्विक महामारी कोरोना की मार से समाज का हर तबका प्रभावित रहा। चूंकि दूसरी लहर पहले की तुलना में 30 से 50 गुना अधिक संक्रामक थी, लिहाजा इसका असर भी उसी अनुसार रहा। इसके साथ यह भी सच है कि समाज का सबसे वंचित तबका जिसके परिवार का गुजारा उसकी मुखिया की रोज की कमाई पर निर्भर करता है, वह इस अभूतपूर्व और अप्रत्याशित महामारी से सर्वाधिक प्रभावित रहा।

इसमें सड़क के किनारे रेहड़ी, खोमचा लगाने वाले, रिक्शा और ठेला चालक, नाई, धोबी, दर्जी, मोची, फल और सब्जी विक्रेता आदि शामिल हैं। इसके अलावा एक बड़ा वर्ग उन श्रमिकों का है जो निर्माण कार्य से जुड़े हैं। कोरोना के पहले संक्रमण के दौरान भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे आकर समाज के इस सबसे वंचित वर्ग की हर संभव मदद की थी।

दूसरे चरण में भी यह सिलसिला जारी रहेगा। कोविड महामारी के बीच जीवन और जीविका को सुरक्षा को सुनिश्चित करने के प्रयासों के क्रम में शहरी क्षेत्रों में दैनिक रूप से कार्य कर अपना जीविकोपार्जन करने वाले ठेला, खोमचा, रेहड़ी, खोखा आदि लगाने वाले पटरी दुकानदारों, दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा/ई-रिक्शा चालक, पल्लेदार सहित नाविकों, नाई, धोबी, मोची, हलवाई आदि जैसे परम्परागत कामगारों को एक माह के लिए ₹1,000 का भरण-पोषण भत्ता प्रदान किया जाएगा।

आपदाकाल में यह उनके लिए बड़ा संबल होगा। इससे लगभग 91 लाख गरीबों को राहत मिलेगी। पहले चरण में करीब 11 लाख पटरी व्यसाइयों भरण पोषण भत्ते में के रूप में एक हजार रुपए मिलेंगे। अगले चरण में इसी सुविधा से करीब 80 लाख पंजीकृत और गैर पंजीकृत श्रमिकों को भी संतृप्त किया जाएगा।

कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों में गरीबों और जरूरतमन्दों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी श्रेणी के राशनकार्ड धारकों को 03 माह के लिए प्रति यूनिट 03 किलो गेहूं तथा 02 किलो चावल निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। इस प्रकार, प्रति यूनिट 05 किलो निःशुल्क खाद्यान्न जरूरतमन्दों को दिया जा रहा है।

इससे प्रदेश की लगभग 15 करोड़ जनसंख्या लाभान्वित हो रही है। यह राशन केंद्र सरकार द्वारा घोषित निःशुल्क राशन के अतिरिक्त है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत राशन के रूप में मिलने वाली मदद को नवंबर तक बढ़ाने की घोषणा कर चुके हैं। इसका सर्वाधिक लाभ उत्तरप्रदेश को ही मिलेगा। उत्तर प्रदेश में इस योजना के लाभार्थियों की संख्या करीब 15 करोड़ है।

इससे पहले, विगत वर्ष कोविड काल में सरकार ने रिक्‍शा चालकों, पटरी व्यवसायियों, निर्माण श्रमिकों, अंत्योदय श्रेणी के लोगों व अन्य गरीब परिवारों को भरण-पोषण भत्ता व परिवार के प्रत्येक सदस्य को राशन प्रदान किया था। वहीं, उत्तर प्रदेश पहला राज्य था, जिसने श्रमिकों, स्ट्रीट वेंडरों, रिक्शा चालकों, कुलियों, पल्लेदारों आदि को भरण-पोषण भत्ता ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया था। बाद में कई राज्य सरकारों ने इसे अपने राज्यों में भी लागू किया। भरण-पोषण के रूप में उपलब्ध कराई गई धनराशि ने उनका जीवन बचाने का कार्य किया। संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को दो बार तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को एक बार भरण-पोषण भत्ता दिया गया।

इसके साथ ही, राशन कार्ड बाध्यता समाप्त कर माह में दो बार, एक बार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना तथा दूसरी बार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से राशन उपलब्ध कराया गया। बड़े पैमाने पर कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की गयी। तकनीक के माध्यम से इन किचन का निरन्तर अनुश्रवण किया गया। करोड़ों की संख्या में फूड पैकेट वितरित किये गये थे। स्वच्छता कर्मियों, पुलिस कर्मियों सहित सभी कर्मियों के योगदान और जनसहयोग से कोरोना प्रबन्धन मेें उत्तर प्रदेश अग्रणी रहा। भरण-पोषण भत्ता, डीबीटी प्रणाली के माध्यम से सीधे बैंक खाते में किया जाएगा।

मालूम हो कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए शुरू से लेकर अब तक गरीबों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने बहुत शुरू में ही घोषणा की थी कि श्रमिक जहां काम करेंगे वहीं के अटल आवासीय विद्यालय में ही पढ़ेगे।