भारत चीन में युद्ध नहीं, बस ताल ठोकेंगे

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पिछले कई महीनों से एशिया के दो शेरों के बीच जंग अब शुरू तब शुरू के माहौल ने अमन पसंद भारतीयों का सुकून छीन सा लिया है। कभी किसी क्षण महाभारत का बिगुल कानों के पर्दों को चीरता हुआ सा महसूस भी होने लगता है। इन दोनों बलिष्ठों की जन्मपत्रियों को खंगालने के बाद ज्योतिष के हिसाब से भारत-चीन के बीच बीते करीब छह महीनों जैसी घटनाओं के घटने से अधिक और कुछ यानी कि युद्ध नहीं होगा।

आइए ग्रह नक्षत्रों की स्थिति समझें

भारत वर्ष 1947, 15अगस्त मध्य रात्रि में आजाद हुआ था, इसकी वृषभ लग्न है दो नंबर की लग्न है। ग्रहों की स्थिति इस प्रकार है पहले स्थान में राहु, दूसरे में मंगल, तीसरे में चंद्रमा सूर्य बुध शुक्र और शनि । छठे स्थान में बृहस्पति, सातवें में केतु। शुक्र और शनि भारत की कुंडली में अस्त हैं। भारत का जन्म कृष्ण पक्ष में, तिथि है चतुर्दशी । सिद्ध योग का जन्म है, करण व्यष्टी है जिसे भद्रा भी कहते हैं।

भारत की कुंडली में पहले स्थान में राहु बैठा है जो यहां के लोगों को कभी भी शांत मस्तिष्क से नहीं रहने देगा, देश भी शांत नहीं रह पाएगा। राहु हमेशा धर्मविरोधी काम करता है, यहां पर इसीलिए धर्म का नाटक ज्यादा होता रहा है । दूसरे स्थान में मंगल बैठा है, यह 12 वें स्थान का मालिक होकर बैठा है। बाहरी लोगों से इसके संबंध समय-समय पर लाभदायक तो रहेंगे पर इसे कर्जदार भी बनाते रहेंगे। तीसरे स्थान से गरीबी देखी जाती है।तीसरे स्थान में जितने अधिक ग्रह बैठेंगे उसकी माली हालत उतनी ही अधिक कमजोर हो जाती है। भारत की कुंडली में तीसरे स्थान में विशेषरूप से चार तो शुभ ग्रह चंद्रमा, सूर्य, शुक्र, बुध हैं और पांचवां शनि के भी बैठने से आर्थिक स्थिति कमजोर  बनती है। छठे स्थान में बृहस्पति बैठा है जो यह दर्शाता है कि भारत हमेशा समझौतावादी रहेगा।

भारत युद्ध में किसी देश को हराकर भी खुद के लिए लाभदायक नहीं बन पाएगा। सातवें स्थान में केतु है, देश जब भी किसी देश से साझा में काम करेगा इसे लाभ मिल सकता है। कुंडली में सूर्य सबसे ज्यादा 22 अंशों पर है_यहां पर ब्यूरोक्रेसी की हमेशा ज्यादा इज्जत रही और उनकी ही नीतियों को अधिक चलाया गया। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में आगे भी ब्यूरोक्रेसी सर्वाधिक प्रभावशाली रहेगी। इसकी कुंडली में चंद्रमा सबसे कम 4अंशों पर है। इसी कारण भारत के लोग खुश दिल कम हैं, मिलनसार भी कम हैं।

चीन पर आते हैं : चीन की कुंडली वर्ष 1949, 1अक्टूबर शाम 3 बजकर 15 मिनट की है, मकर लग्न की  है, शुक्ल पक्ष में चीन की स्थापना हुई थी, दशमी पूरणा तिथि थी, नक्षत्र भी अच्छा यानि चंद्रमा है । ग्रहों की स्थिति ये है_पहले स्थान में चंद्रमा, तीसरे स्थान में राहु, सातवें स्थान में मंगल, आठवें स्थान में शनि, नौवें में सूर्य, बुध, केतु, दसवें स्थान में शुक्र, बारहवें में बृहस्पति बैठे हुए हैं। बुध अस्त है। पहले स्थान में चंद्रमा होने से समुद्री देश हमेशा चीन का फेवर करते रहेंगे। लोग यह मानते हैं कि  चीन के लोग अत्यधिक घुटन और  दबाव में जी रहे होते हैं लेकिन ऐसा सरासर है नहीं। वहां के लोग चीन को अत्यधिक प्रेम करते हैं और समर्पित भी रहेंगे । इसके तीसरे स्थान में राहु बैठा है, कोई भी शुभ ग्रह नहीं है। राहु इसे पराक्रम दे रहा है। सातवें स्थान में मंगल है, चीन किसी भी देश से साझादारी करेगा तो अपनी ही चलाएगा, पॉर्ट्नर को कभी लाभ नहीं मिलने पाएगा। शनि आठवें स्थान में होने से चीन की उम्र लंबी होगी यानी कि इसका अस्तित्व था, है और कायम रहेगा ।

महत्त्वपूर्ण है कि कुंडली में बुध अस्त अवश्य है पर यह छठे स्थान का मालिक भी है, इस कारण शत्रु देश चीन पर विजयी नहीं हो पाएगा। बुध भाग्येश भी है जिससे कभी-कभी भाग्य संबंधित अड़चनें आती रहेंगी क्योंकि वर्तमान में बुध की महादशा चल रही है। बुध की महादशा के कारण ही 2021 फरवरी तक थोड़ी समस्याएं रहेंगी, इसके बाद स्थिति अच्छी होनी चाहिए। दसवें स्थान में शुक्र बैठा हुआ है जो इसके कारोबार में बेहतरी करेगा ही।

अब चीन के बाह्य संबधों पर खासकर भारत से युद्ध होने या नहीं होने की स्थिति पर ज्योतिष क्या बताती है देखते हैं । कुंडली में बारहवें स्थान से वैदेशिक संबंध देखे जाते हैं । 2020, 24 नवंबर को जैसे ही चीन की जन्मपत्री के अनुसार बृहस्पति लग्न में आ जाएगा स्थितियां बदलनी शुरू हो जाएंगी। तब तक भारत चीन के बीच नोंक-झोंक, छिटपुट घटनाएं तो होती रहेंगी जिससे तनाव का माहौल परेशान कर सकता है, अप्रैल 2021 में थोड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है ,बस  इससे अधिक घटित नहीं होने वाला । अतः ज्योतिषीय गणना के अनुसार भारत और चीन के बीच युद्ध के योग दूर तक नहीं दिख रहे हैं, और यही भारत के हित में है।

ज्योतिषाचार्य विनय तिवारी

यू.पी.इंडिया