पकड़ी गई एलआईसी अफसर की 605 करोड़ की ‘फ्रंटरनिंग’

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एलआईसी अफसर की 605 करोड़ की ‘फ्रंटरनिंग’ पकड़ी गई, जांच जारी, बैंक खातों पर रोक.. भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड (एलआईसी) के एक अधिकारी ने ‘फ्रंटरनिंग’ के जरिए एलआईसी के ही शेयरों की खरीद-फरोख्त की।इस अवैध ट्रेडिंग में उसने न सिर्फ अपनी पत्नी और सास को माध्यम बनाया बल्कि कई साल पहले मृत हो चुके संबंधी के नाम पर करोड़ों रुपए के शेयरों के सौदे किए और मृतक के बैंक खाते का भरपूर दुरुपयोग भी किया। अबतक की पड़ताल से 607 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध ट्रेडिंग का खुलासा हुआ, जांच जारी है।

शेयर बाजार नियामक सेबी ने जांच में एलआईसी के एक अधिकारी के सनसनीखेज़ कारनामों का खुलासा किया है। यह किसी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इतने बड़े पैमाने पर शेयरों की ‘फ्रंटरनिं’ ट्रेडिंग (एक प्रकार की प्रतिबंधित ट्रेडिंग होती है जिसे नियामक ने अवैध घोषित कर रखा है) करने का अबतक का संभवतः सबसे बड़ा मामला है।

योगेश गर्ग की एलआईसी में 2011 में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर नियुक्ति हुई थी। योगेश ने एलआईसी के कोलकाता, रोहतक, दिल्ली स्थित कार्यालयों में काम किया। इसने जुगाड़ से अपना ट्रांसफर मुंबई में एलआईसी के इन्वेस्टमेंट विभाग में करा लिया। यह विभाग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यहां आने पर इस अधिकारी ने 2021 में अपना खेल शुरू किया। योगेश ने अपनी पत्नी श्वेता अग्रवाल, ‌मां, सास सहित अपने छः-सात संबंधियों के नाम से शेयरों की खरीद-फरोख्त शुरू की। इसमें से एक मृत हो चुके संबंधी वेद प्रकाश गर्ग के एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक में दो बैंक खातों में ट्रेडिंग की गई, जांच में पता चला कि वेदप्रकाश की मृत्यु २०१९, २३ मार्च में हो गई थी जबकि योगेश ने इनके नाम पर २०२२ में जनवरी से मार्च के बीच ट्रेडिंग की।

वेदप्रकाश गर्ग के अलावा सरिता गर्ग, श्वेता अग्रवाल, कमलेश अग्रवाल और सतीश अग्रवाल के ट्रेडिंग खाते खोले गए और शेयरों की अवेध ट्रेडिंग में इनका इस्तेमाल किया गया। योगेश ने नामी शेयर ब्रोकरेज कंपनी मोतीलाल ओसवाल और आनंद राठी के माध्यम से शेयरों के सौदे किए। अबतक की जांच डिटेल्स से पता चला कि विभिन्न तारीखों में कुल 605 करोड़ 46 लाख रुपए मूल्य के शेयर खरीदे गए। और इन शेयरों को कुल मिलाकर 607 करोड़ 90 लाख रुपए में बेचा गया। इस तरह से इस खेल में २ करोड़ ४४ लाख रुपए का अवैध मुनाफा बटोरा गया।

मालूम हुआ है कि एल आई सी के शीर्ष प्रबंधन ने अपने ही जिम्मेदार अधिकारी के इस कारनामे का खुलासा होते ही योगेश गर्ग को इन्वेस्टमेंट विभाग से हटा दिया। सेबी अभी जांच कर रही है। सेबी ने फिलहाल योगेश गर्ग सहित सभी दोषियों के नाम पर दर्ज शेयरों, म्यूचुअल फंड यूनिटों समेत अन्य सभी प्रतिभूतियों के ट्रांसफर पर रोक लगा दी है, इसके लिए शेयर रजिस्ट्रार, ट्रांसफर एजेंटों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। सेबी ने सभी दोषियों के बैंकर्स को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि इसकी (सेबी) अनुमति लिए बिना दोषियों के बैंक खातों से कोई भी धनराशि नहीं निकाली जाए। सेबी आदेश के अनुसार सभी दोषी शेयर अथवा अन्य कोई भी प्रतिभूतियों की खरीद -बिक्री नहीं कर सकते। एलआईसी में हुए दूसरे घपलों के बारे में जानकारी जल्दी ही पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रणतेश बाजपेयी