सावधान…! चाय-कॉफी का पेपर कप भी कम खतरनाक नहीं

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सावधान…! चाय-कॉफी का पेपर कप भी कम खतरनाक नहीं… आजकल हम पेपर कप में चाय-कॉफी पीते है वो दिन भी थे जब हम थेर्मोकोल के कप में चाय-कॉफी पीते थे। लोग जागरूक हुए और थेर्मोकोल के कप बन्द हो गए उनकी जगह ले ले ली पेपर कप ने। आज की ही बात है हम एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में थे वहां मै और मेरा मित्र जो कि हिंदी का प्रवक्ता है उस प्रशिक्षण के अंतराल में चाय-कॉफी पीने गए। चाय-कॉफी वाले ने हमे डिस्पोजेबल पेपर कप में चाय दी। तब मेरे मित्र ने मुझे से उस पेपर कप के बारे में बात की ओर कहा विज्ञान और जागरूकता ने कितना बदलाव ला दिया। आज हम थेर्मोकोल के डिस्पोजेबल कप (प्रदूषक व हानिकारक) की जगह पेपर के कपों में चाय-कॉफी पी रहे हैं। तब मैंने उसे जो जानकारी दी उसके बाद उसने वो पेपर कप में चाय भी छोड़ दी। तो उस मित्र ने कहा इस पर भी आज लिख दे तो लो जी लिख रहा हूँ गलतियों को नज़रअंदाज़ करे और इसके खतरे देखें।

चाय के पेपर कप का विज्ञान: जब हम छोटे थे तब कई बार हम स्कूल का होमवर्क करते वक्त खाने पीना भी करते रहते थे। कई बार दूध, चाय, या पानी हमारी कॉपी पर गिर जाता था। तब कॉपी पर किया हुआ कार्य वाले पेज खराब हो जाते थे मतलब गीले हो जाते थे। हम उन पन्नो को फाड़ देते थे। कभी कभी तो कॉपी की जिल्त जो कि गते की बनी होती थी, खराब हो जाती थी तब तो नई कॉपी लगाते थे। जब गता तक खराब हो जाता था तो ये पेपर कप क्यों नही गीले होते। हाँ जी इन कपों पर बहुत ही महीन हाइड्रोफोबिक पदार्थ की कोटिंग की जाती है। हाइड्रोफोबिक वो पदार्थ होते है जो जल विरोधी होते है। यहां अमूमन ये माइक्रोप्लास्टिक का उपयोग होता है। जिस कारण कप गीला हो कर खराब नही हो जाता। परन्तु वो पदार्थ जिसकी कोटिंग हुई होती है वो हमारी सेहत जरूर खराब कर देता है।

जी हां IIT खड़गपुर की एक रिसर्च पेपर के अनुसार ये पदार्थ जब गर्म चाय के सम्पर्क में आता है तो ये क्षीण हो जाता है तथा इसके कण चाय में आ जाते है। हम माइक्रोप्लास्टिक के कण वाली चाय का सेवन करते है ये हमारी सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक हैं। ये कण बहुत ही जहरीले पदार्थो के वाहक के रूप मे कार्य करते है। इनमे पैलेडियम, क्रोमियम और कैडमियम जैसी भारी धातुएं हो सकती है। तो अब हमे अपने पारम्परिक जीवन शैली को ही बढ़ावा देना चाहिए चाय के लिए कांच के कप या मिट्टी के कुल्हड़ का ही उपयोग करना चाहिए।

स्वास्थ्य मानकों के चलते इसमें चाय या कोई गर्म पेय प्रयोग नहीं किया जा सकता। इनमें लगाया जाने वाला गोंद और केमिकल सेहत के लिए खतरनाक हैं। इससे आंतों में सूजन- कैंसर, गले में एलर्जी-कैंसर, गुर्दों में सूजन-कैंसर होने का खतरा 20 गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा ब्लड कैंसर, टीबी और ब्रेन अटैक की आशंका बढ़ जाती है। पेपर का प्याला, प्लास्टिक के प्याले का ही बदला हुआ रूप है। पेपर के नाम पर यह लोगों को धोखा दिया जा रहा है। इसमें घातक रसायन और कीटनाशक मिले होते हैं। इनमें चाय-कॉफी लेने से हार्ट अटैक और ब्लड वेन ब्लाक होने के मामले 20 गुना तक बढ़ जाते हैं। इनका प्रयोग सेहत के लिए भयंकर खतरा है।

सीमा मोहन