हिंदू धर्म के चार धामों में से एक द्वारका धाम को भगवान श्रीकृष्ण की नगरी कहते हैं। द्वारका धाम गुजरात के काठियावाड क्षेत्र में अरब सागर के समीप स्थित है। श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी के जल विलीन होने की कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। चलिए जानते हैं भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी के डूबने के पीछे क्या वजह थी?
गांधारी का श्राप : पौराणिक कथा के अनुसार, जरासंध द्वारा प्रजा पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए भगवान श्री कृष्ण मथुरा को छोड़कर चले गए थे। श्रीकृष्ण ने समुद्र किनारे अपनी एक दिव्य नगरी बसायी। इस नगरी का नाम द्वारका रखा। माना जाता है कि महाभारत के 36 वर्ष बाद द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई थी। महाभारत में पांडवों की विजय हुई और सभी कौरवों का नाश हो गया था। इसके बाद जब युधिष्ठिर का हस्तिनापुर में राजतिलक हो रहा था, उस समय श्रीकृष्ण भी वहां मौजूद थे।
तब गांधारी ने श्रीकृष्ण को महाभारत युद्ध का दोषी ठहराते हुए भगवान श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि अगर मैंने अपने आराध्य की सच्चे मन से आराधना की है और मैंने अपना पत्नीव्रता धर्म निभाया है तो जो जिस तरह मेरे कुल का नाश हुआ है, उसी तरह तुम्हारे कुल का नाश भी तुम्हारी आंखों के समक्ष होगा। कहते हैं इस श्राप की वजह से श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी पानी में समा गई।