टिप्स जो लाएं जीवन में खुशियों की बहार

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कोविड-19 के विपत्ति काल में किसी ने प्रियतम, किसी ने नौकरी, किसी ने व्यापार काम धंधा, किसी ने धन संपदा खोई है। ऐसे समय परिवार को एकजुट रखकर स्वस्थ जीवन जीने के लिए आयुष मंत्रालय भारत सरकार के बोर्ड मेंबर और देश के वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ रविंद्र पोरवाल, कंसलटेंट श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट कानपुर ने बहुत महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सार्थक उपाय बताएं हैं।

दुखद परिस्थिति का मुकाबला करें : कोविड-19 के क्रूर हाथों से जिन्होने अपने किसी निकटतम को खोया है.. आकस्मिक घटी दुखद घटना पूरे परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है। पूरे जीवन के लिए हृदय के अकथनीय दुख का विषय है। जिसकी पूर्ति जीवन में संभव नहीं है। ऐसी दुखदाई परिस्थिति से जूझ रहे परिवारों के आंसू थम नहीं रहे हैं। पारिवारिक सामाजिक और आर्थिक स्तर पर परिजन टूट चुके हैं और उनके जीवन में हताशा निराशा यहां तक कि कुछ मामलों में परिजनों का ईश्वर के प्रति विद्रोह व अनास्था का भाव मन में उत्पन्न हो रहा है। ऐसी परिस्थिति में प्रियजन को खो चुके परिवार के दूसरे सदस्यों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करना बड़ा अहम प्रश्न है।

अभाव और परेशानी से टूटे नहीं : कोविड-19 के इस महामारी के बाद मध्यम वर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार आर्थिक रूप से खोखले हो गए हैं। परिवार के सदस्यों की नौकरी खतरे में रही या नौकरी छूट गई, व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। जिससे दुकानदार और मेहनत मजदूरी करने वाले मजदूरों, दलालो छोटे दुकानदारों और अप्रत्यक्ष रूप से बजार से छोटे-छोटे कार्य करके अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले गरीबों के परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए। मकान का किराया, दवाइयां, बच्चों की पढ़ाई और फीस के अलावा अन्य घरेलू और सामाजिक खर्चे उनकी चिंता और तनाव को बढ़ा रहे हैं।

नोकझोंक और लड़ाई झगड़े से बचें : लॉक डाउन मे परिवार के सभी सदस्य घर में कैद होकर रह गए है। महिलाओं पर घरेलू काम का अत्यधिक बोझ, बच्चों की शिक्षा पर बुरा असर, परिवार के मुखिया का घर पर लंबे समय तक रुके रहने से मानसिक तनाव बढ़ा, पत्नी और दूसरे परिजनों से नोकझोंक और लड़ाई का वातावरण भी अनेकों परिवारों में रिश्तो में खटास पैदा कर रहा है।

सात बातें लाएं खुशियों की बारिश

1 दिल और दिमाग को मजबूत बनाकर पारिवारिक और आर्थिक परिस्थितियों से निबटने के लिए परिवार के प्रत्येक सदस्य को समझदार धैर्यवान और विनम्र बनना चाहिए।

2 परिवार के दूसरे सदस्यों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझे। छोटे बड़े सभी के प्रति आदर व सम्मान का भाव रखें। परेशानी और विपत्ति के इस काल में क्रोध गुस्सा को हावी ना होने दें। लड़ाई झगड़े से बचकर इंडोर गेम, डांस, कहानियां, घरेलू खेल और घर के कामों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें।

3 बीमार व कमजोर होने या पूरे दिन घर का काम करते-करते ग्रहणी का अत्यधिक थक जाना स्वाभाविक है। परिवार के सभी सदस्य थोड़ी-थोड़ी जिम्मेदारी उठा कर सहयोग करें और हंसते मुस्कुराते हुए काम के बोझ को खुशियों में बदलने का कोशिश करें।

4 घर के बड़ो बूढ़ों को आत्मीयता, प्यार और सम्मान देकर प्रोत्साहित करें। उनकी दवाइयां उनके चाय, पानी, दूध, फल और भोजन का विशेष ख्याल रखें। बूढ़ों के व्यक्तिगत बुरे बर्ताव को भी उनका आशीर्वाद माने और सेवा में कोई कसर ना छोड़ें.. मन में उनके प्रति अंश मात्र का खराब सोच ना आने दे।

5 बच्चों की पढ़ाई में ढील ना करें। घर के अधूरे कार्य यथाशीघ्र निपटा लें। लंबे समय से पेंडिंग छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम इस अवधि में पूरा करने का प्रयास करें। आलस और मक्कारी में रोजाना के कामों को भी टालते रहना भविष्य में बड़े तनाव का कारण बनेगा।

6 शराब, पान, बीड़ी, तंबाकू, मसाला आदि नशा से दूरी बनाए और इस वक्त नशा छोड़ने की कोशिश करें। अत्यधिक चाय, कॉफी या कोल्डड्रिंक और पूरे समय फोन से चिपके रहना भी किसी नशा से कम नहीं है, इससे बचें।

7 पूरी पराठे तली मसालेदार चीजें दिन भर खा खा कर सेहत को खराब ना करें। अर्थराइटिस, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग या अन्य किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित खानपान में लापरवाही बिल्कुल ना करें।