लखनऊ। लुआक्टा के आह्वान पर एपी सेन गर्ल्स पीजी कालेज की प्राचार्या प्रो रचना श्रीवास्तव की तानाशाही एवं शिक्षक के उत्पीड़न के विरुद्ध लखनऊ विश्वविद्यालय से सहयुक्त महाविद्यालयों के शिक्षकों द्वारा आंदोलन किया गया। रायबरेली में हुई बैठक में लिये गए निर्णय के अनुसार यह आंदोलन कल शनिवार को भी होगा।
लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ मनोज पाण्डेय के अनुसार पहले दिन 24 जनवरी शुक्रवार को काला फीता बांधकर विरोध किया गया। कल शनिवार दिनांक 25 जनवरी को भी जारी रहेगा विरोध जारी रहेगा। इस बाबत फीरोज गांधी डिग्री कॉलेज, रायबरेली में बीते 19 जनवरी को आहूत लुआक्टा कार्यकारिणी की बैठक मे सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया गया था। इसी क्रम में शुक्रवार 24 जनवरी को लखनऊ विश्वविद्यालय से सहयुक्त महाविद्यालयों (लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर) के शिक्षक साथियों द्वारा काला फीता बांधकर विरोध किया गया।
यह आंदोलन एपी सेन मेमोरियल गर्ल्स महाविद्यालय, लखनऊ की शिक्षिकाओं का विभिन्न प्रकार से हो रहे उत्पीडन, नियम विरुद्ध वेतन कटौती, मनमाने तरीके से अवकाश परिवर्तन, अकारण नोटिस एवं धमकी तथा कई अन्य तरीके से शिक्षिकाओं को प्राचार्या प्रो रचना श्रीवास्त्व द्वारा किये जा रहे उत्पीडन के विरोध में किया गया। आरोप है कि एपी सेन महाविद्यालय की प्राचार्या द्वारा पूर्व मे पुलिस भर्ती परीक्षा में डा निधि सिद्धार्थ का उत्पीड़न करने एवं जिलाधिकारी के आदेश के बाबजूद कटौती पूर्ण वेतन क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित किया। इसके अलावा डा उषा पाठक के कमुटेड अवकाश को क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के आदेश के बाबजूद नहीं माना गया। एवं कमुटेड अवकाश को अर्जित अवकाश के रूप में परिवर्तित कर दिया। डा पाठक द्वारा उनके निर्देश पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा अपने चिकित्सकीय अवकाश का सत्यापन भी कराया गया। डा निधि सिद्धार्थ के बाल्य देखभाल अवकाश मे वेतन कटौती बिना बताये नियमो के परे कर दी गयी। इसके अतिरिक्त शिक्षिकाओं एवं शिक्षणेतर कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से परेशान करने के लिए नोटिस जारी कर भयभीत किया गया।यह भी आरोप है कि प्रो रचना श्रीवास्त्व लम्बे समय से परीक्षा सेल में कार्य करने के नाम पर महाविद्यालय से गायब रहती रही हैं।
लुआक्टा अध्यक्ष डा मनोज पांडेय द्वारा सभी शिक्षक साथियो का आंदोलन का समर्थन करने के लिए आभार व्यक्त किया गया। साथ ही ए पी सेन महाविद्यालय की प्राचार्या को सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों से संवाद स्थापित करने का सुझाव देते हुए आगाह किया कि यदि उत्पीड़न बन्द नहीं हुआ तो आंदोलन और बड़ा किया जायेगा। लुआक्टा की महामंत्री डा अंशु केडिया ने प्राचार्या से शिक्षकों एवं कर्मचारियों का उत्पीडन न करने एवं बेहतर शैक्षिक माहौल बनाने की आवश्यकता बताई।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक