एक फेडएक्स 777 कार्गो विमान मुंबई में उतरा। इसमें टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) और देशभर में उससे संबद्ध अस्पतालों में वितरण के लिए 81,000 किग्रा चिकित्सा उपकरण आए हैं। चार्टर्ड उड़ान में 3400 पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स के साथ ही 3 लाख एन95 मास्क लाए गए। कुछ घंटे के बाद, एयर इंडिया का एक यात्री विमान 400 अतिरिक्त कंसन्ट्रेटर्स के साथ दिल्ली में उतरा। यह पिछले दो हफ्तों में आई तीसरी और चौथी खेप है जो टाटा मेमोरियल सेंटर को मिली है।
टाटा मेमोरियल सेंटर पूरे भारत के 200 से ज्यादा अस्पतालों को, जो राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (एनसीजी) का हिस्सा हैं, चिकित्सा उपकरण भी उपलब्ध कराती है। टीएमसी के निदेशक डॉ. राजेंद्र बडवे ने कहा, हमारा सबसे बड़ा फोकस इन यूनिटों को अस्पतालों तक पहुंचाना है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग अच्छी तरह से सांस ले सकें।
महामारी से निपटने के लिए सुविधाजनक और संगठित प्रतिक्रिया के तौर पर टीएमसी अपनी भूमिका निभा रहा है। 80 साल पुराना यह संस्थान देश के सबसे कमजोर और जोखिम वाले लोगों समेत सभी की गुणवत्तापूर्ण देखभाल करता आ रहा है।
टीएमसी भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत एक टर्शियरी कैंसर सेंटर है। यहां हर साल एक लाख नए कैंसर मरीजों का इलाज होता है। इसके दो तिहाई रोगियों का इलाज अत्यधिक रियायती दर पर या पूरी तरह से नि:शुल्क किया जाता है।
टीएमसी में डॉ. बडवे के साथ समेकित प्रयास के तहत टाटा मेमोरियल अस्पताल के निदेशक डॉ. सीएस प्रमेश और महामारी विज्ञान के उपनिदेशक डॉ. पंकज चतुर्वेदी योगदान कर रहे हैं। राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड के समन्वयक डॉ. प्रमेश कहते हैं, हम एनसीजी के अस्पतालों से उपकरण और दूसरी चीजों के लिए अनुरोध ले रहे हैं और कोविड-19 संक्रमण के मौजूदा हालात की मैपिंग कर रहे हैं। जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि सबसे ज्यादा जरूरत कहां है और आवंटन (ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर) के लिए सरकारी और धर्मार्थ संगठनों में प्राथमिकता तय कर रहे हैं।
महामारी के दौरान, टीएमसी उन कैंसर रोगियों का जीवन बचाने में लगी है, जो दूसरों की तुलना में कोविड-19 के प्रतिकूल असर के लिए अतिसंवेदनशील हैं। कोविड-19 संक्रमण से जोखिम तो रहता ही है, ऐसे में बिना देखभाल वाले कैंसर के रोगियों को खतरा बढ़ जाता है क्योंकि यह वायरस से ज्यादा घातक हो सकता है। भारत के सभी सात टीएमसी केंद्रों- मुंबई, नवी मुंबई, संगरूर, वाराणसी, गुवाहाटी, विशाखापट्टनम और मुजफ्फरपुर में महामारी के दौरान भी कैंसर का इलाज जारी है। इस घातक महामारी के बावजूद वे मिलकर 80 हजार से ज्यादा रोगियों के कैंसर का इलाज करने में सफल रहे। इसके अलावा, विभिन्न टीएमसी केंद्रों पर कैंसर और कोविड-19 से संक्रमित 2000 से ज्यादा रोगियों का कोविड उपचार किया गया है।
महामारी की पहली लहर से ही टीएमसी भारत की कोविड-19 प्रतिक्रिया में अग्रणी रहा है। जून 2020 में टीएमसी ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) और महाराष्ट्र सरकार के साथ भागीदारी की और मुंबई के एनएससीआई डोम में 518 बेड और 10 आईसीयू बेड वाला कोविड-19 केयर सेंटर स्थापित करने में मदद की। दूसरी लहर के आते ही, टीएमसी के विशेषज्ञों की टीम ने हल्के, पोर्टेबल, उच्च-प्रवाह वाले ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स जुटाए, जिससे ज्यादा जीवन बचाए जा सकते हैं। खासतौर से उन अस्पतालों में जहां ऑक्सीजन पाइपलाइन नहीं है। एनएससीआई केंद्र की देखरेख करने वाले डॉ. चतुर्वेदी बताते हैं कि महामारी की दूसरी लहर एक नए वैरिएंट से जुड़ी दिखाई देती है, जो युवाओं के फेफड़ों को प्रभावित कर रही है, जिससे आबादी में मृत्यु में तेजी से वृद्धि हो रही है। मृत्यु दर बढ़ने के महत्वपूर्ण कारकों में से एक आईसीयू बेड, जीवन रक्षक दवाओं और ऑक्सीजन की कमी है। पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स की मदद से मामूली लक्षण वाले मरीजों को घर पर ही मदद मिलती है और ज्यादा जरूरतमंद मरीजों को आईसीयू और ऑक्सीजन बेड मिलना संभव होता है। इससे अस्पताल में बेड का कई घंटों या दिनों से इंतजार कर रहे मरीजों की भी मदद होती है।
यह पूछे जाने पर कि ऑक्सीजन आपूर्ति की हालिया कमी के बावजूद टीएमसी प्रभावी ढंग से कैसे प्रबंधन कर पा रहा है, डॉ. बडवे ने कहा, स्थानीय उद्योग के मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के उत्पादन को बढ़ाने के अलावा, टाटा ट्रस्ट और देश के अन्य एनजीओ ने बड़े ऑक्सीजनेटरों की खरीद में मदद की है। हमें दुनियाभर से काफी सहयोग मिला है, भारतीय प्रवासी और चिकित्सा समुदाय ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। हमारा राष्ट्रीय कैरियर, एयर इंडिया बढ़-चढ़कर अपनी सेवाएं दे रहा है और बिना किसी अतिरिक्त लागत के खेप के शीघ्र वितरण में सहायता कर रहा है।