जाली नोटों की पैठ सुरक्षा को तगड़ी चुनौती

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जाली नोटों की पैठ सुरक्षा को तगड़ी चुनौती….. ‌यह तो पक्का हो ही गया है कि दो हजारा नोटों से पूरी तरह से छुटकारा मिलने ही वाला है। लेकिन जाली नोटों से बहुत होशियार रहने की जरूरत है। सरकारी मुद्रा के समानांतर चलने वाले जाली नोट_ उद्योग का पूरा फोकस अब पांच सौ के नोट पर रहेगा। वैसे भी सर्कुलेशन में पांच सौ के जाली नोटों की संख्या फर्राटे से बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के आधार पर तो भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंकों में ढूंढ़ लिए गए कुल जाली नोटों में से चालीस प्रतिशत नोट दो हजार और पांच सौ के थे, लेकिन यह अर्धसत्य है, इससे कहीं ज्यादा जाली नोट सर्कुलेशन में हैं जिनका कोई लेखाजोखा न तो सरकार और न ही रिजर्व बैंक के पास है। हमारे पास पर्याप्त प्रमाण हैं कि रिजर्व बैंक और बैंकों में ढूंढ़ निकाली गई कुल जाली मुद्रा से दसियों गुना जाली नोट बाजार में हैं, जाहिर है कि देश या विदेश में जाली मुद्राउद्योग खूब फल-फूल रहा है और इसको जड़ से नेस्तनाबूद करना हमारी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के लिए बहुत तगड़ी चुनौती है।

सर्कुलेशन में घूम रहे जाली नोट जब तक बैंकों की शाखाओं और रिजर्व बैंक के पास नहीं पहुंचते हैं तब तक उनकी संख्या स्पष्ट कैसे हो सकती है फिर भी नोटों के मर्मज्ञों की अपनी गणित और अन्य अधिकृत आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है। पिछले सालों के आंकड़ों के अनुसार संख्या में सबसे ज्यादा पांच सौ के जाली नोट ढूंढ़ निकाले गए, दूसरे नंबर पर दो हजारा, तीसरे नंबर पर सौ रुपए के, चौथे नंबर पर दो सौ रुपए के और पांचवें पायदान पर पचास रुपए के नोट।

रिजर्व बैंक की रिपोर्टों के विश्लेषण से यह साफ होता है कि 19-20 से लेकर 22-23 अर्थात चार वर्षों में बैंकों में 95 प्रतिशत जाली नोट ढूंढ़ निकाले गए। इतना सब होते हुए भी रिजर्व बैंक मे 5प्रतिशत जाली मुद्रा पहुंच ही गई और ढूंढ़ निकाली गई। रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 22-23 में सबसे ज्यादा 55 प्रतिशत बढ़ोतरी पांच सौ के जाली नोटों में हुई। बैंकों और रिजर्व बैंक में 21-22में पांच सौ के 79हजार 669 की तुलना में 22-23में 91हजार 110नोट ढूंढ़े गए। जबकि दो हजारा, पांच सौ के,दो सौ के, सौ के और पचास के कुल जाली नोट 19-20में 2 लाख 95हजार 236 (राशि 7.07करोड़ रुपए), 20-21 में 2 लाख 8 हजार 34 (राशि 5.40करोड़ रुपए), 21-22 में 2लाख 30 हजार 280 (राशि 8.20करोड़ रुपए) और 22-23 में 2 लाख 25 हजार 769( राशि 8.22 करोड़ रुपए) हो गई।

सबसे अधिक चिंता की बात है कि पिछले चार वर्षों के दौरान पांच सौ के जाली नोटों की संख्या चार गुना से भी ज्यादा बढ़ी, इनकी संख्या 19-20में 30,054, 20-21 में 39,453, 21-22 में 79,669 से 22-23 में 91,110 हो गई। इसका मतलब साफ है कि जाली मुद्रा-उद्योग चलाने वाले राष्ट्रविरोधी सबसे अधिक पांच सौ के नोट पर फोकस कर रहे हैं। ऐसा क्यों? या तो इनका ओरिजिनल डिजाइन, कलर, करेंसी पेपर सहित अन्य फीचर्स की नकल करना आसान है या फिर इनके ओरिजिनल प्लान की कहीं न कहीं से किसी स्तर पर लीकेज होती है?

आगे समझिए – जैसाकि रिजर्व बैंक की रिपोर्टें खुलासा करती हैं कि ऊपर बताए गए चार सालों में कुल 9.56 लाख जाली नोट ढूंढ़ निकाले गए जिनका कुल मूल्य 29.34करोड़ रुपए से अधिक है, ठीक है। इससे अलग आइए, नेशनल क्राइम कंट्रोल ब्यूरो से ली गई जानकारी से पता चलता है कि विभिन्न सरकारी एजेंसियों ने 2016 में 15.92 करोड़ रुपए, 2017 में 55.17 करोड़, 2018 में 26.35 करोड़, 2019 में 34.79 करोड़, 2020 में 92.17 करोड़ और 2021 में 20.39 करोड़ अर्थात छः सालों में कुल 254.79 करोड़ रुपए मूल्य के जाली नोट देश के विभिन्न स्थानों से बरामद किए। इसमें रिज़र्व बैंक के आंकड़े जोड़ने पर कुल राशि 284 करोड़ रुपए से ऊपर निकलती है। तो यह रहा जाली मुद्रा का साम्राज्य।

प्रणतेश बाजपेयी