ज्योतिर्लिंग काशी विश्‍वनाथ दर्शन से मोक्ष

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ज्योतिर्लिंग काशी विश्‍वनाथ मंदिर वाराणसी…… काशी विश्वनाथ : दर्शन से मोक्ष……. शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में श्री विश्वानाथ मंदिर का विशेष महत्व है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित इस ज्योतिर्लिंग को काशी विश्वनाथ भी कहते हैं। कहावत है कि ज्योतिर्लिंग श्री विश्वनाथ के दर्शन मात्र से जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिन्दुओं में काशी विश्वनाथ के दर्शन को अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है। अर्धचन्द्राकार प्रवाहित गंगा तट पर स्थित ज्योेतिर्लिंग श्री विश्वनाथ मंदिर धर्म एवं अध्यात्म का एक विशिष्ट स्थान है।

मान्यता है कि गंगा स्नान के उपरांत श्री विश्वनाथ जी के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में शिवलिंग दर्शन के लिए आदि शंकराचार्य, संत एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द, महर्षि दयानन्द, गोस्वामी तुलसीदास आदि आये। श्री विश्वनाथ जी की बारात सहित कई यात्राएं वर्ष में निकलती हैं। वर्तमान ज्योतिर्लिंग श्री विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में कराया था। तत्पश्चात 1853 में महाराजा रणजीत सिंह ने एक हजार किलो स्वर्ण से शिखर सहित मंदिर का अन्य सुन्दरीकरण कार्य कराया था। विशेषज्ञों की मानें तो प्रलयकाल में भी काशी विश्वनाथ मंदिर का लोप नहीं होता।

कहावत है कि प्रलयकाल में भगवान शिव काशी को त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं। यही नहीं, आदि सृष्टि स्थली भी काशी की ही भूमि बतायी जाती है। कहावत है कि इसी स्थान पर भगवान श्री विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या करके आशुतोष को प्रसन्न किया था। यहीं पर अगस्त्य मुनि ने विश्वेश्वर की आराधना की थी। काशी को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है। कहावत है कि काशी में प्राण त्याग करने से मुक्ति मिल जाती है। भगवान शिव अंतिम समय प्राणी के कान में तारक मंत्र का उपदेश देते हैं। जिससे वह आवागमन के झंझट से मुक्त हो जाता है। चाहे मृत कोई भी क्यों न हो। शिव अर्थात विशेश्वर के आनन्द कानन में पांच मुख्य तीर्थ हैं।

ज्योतिर्लिंग श्री विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र में यह सभी तीर्थ स्थापित हैं। इन पांच तीर्थ में दशाश्वमेध, लोलार्ककुण्ड, बिन्दुमाधव, केशव एवं मणिकर्णिका हैं। इस युक्ति के कारण ही काशी को अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। ज्योतिर्लिंग श्री विश्वनाथ मंदिर का वास्तुशिल्प भी बेहद सुन्दर एवं आकर्षक है। मंदिर का शिखर एवं मंदिर का क्षत्र स्वर्ण जड़ित है। मान्यता है कि स्वर्ण जड़ित क्षत्र को देख कर कोई मुराद की जाती है तो निश्चय ही पूर्ण होती है। श्री विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में काले पत्थर का शिवलिंग स्थापित है।

इसके दक्षिण में तीन अन्य शिवलिंग स्थापित हैं। इनकी नीलकंठेश्वर महादेव के नाम से ख्याति है। ज्योतिर्लिंग श्री विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन का समय निर्धारित है। मंगलाचरण आरती ब्रह्म मुहुर्त में 3 बजे होती है। मंगलाचरण आरती के साथ ही दर्शन प्रारम्भ हो जाते हैं। इसके बाद 11.30 बजे भोलेनाथ को भोग लगाया जाता है। सांय 7 बजे सप्त ऋषि आरती होती है। रात्रि 9 बजे भोग आरती होती है। इसके बाद रात्रि 10.30 बजे शयन आरती होती है।

ज्योतिर्लिंग श्री विश्वनाथ मंदिर के दर्शन एवं यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध है। निकटतम एयरपोर्ट लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है। बाबतपुर में स्थित एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी करीब 22 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन वाराणसी जंक्शन है। इसके अलावा पर्यटक या श्रद्धालु सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।