रक्षाबंधन स्नेह प्यार रक्षा का पर्व

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भारत वर्ष श्रद्धा का देश है, अनेक परंपराओं को संजो कर रखने वाला अति प्राचीन देश है। संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जो कि त्योहारों पर्वो और सभी धर्मों का देश कहलाता है। सावन माह के आरंभ होते ही चारों और हरियाली खुशाली छा जाती है। सावन मां की श्रावणी पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार आता है।

सभी परिवारो इस पर्व को मनाने का इंतजार रहता है। यह पर्व भाई बहन के प्यार दुलार का, बहन भाई की रक्षा करने का, लंबी उम्र की कामना करने का है। भाई-बहन के इस अटूट संबंध को रीति-रिवाजों ने अच्छे से बांध दिया है। बहनों का अपने मां-बाप के घर या मायके आने का पर्व होता है।

बेटियां इस दिन का काफी समय से प्रतीक्षा करती है कि वह कब अपने परिवार से मिलेंगी। वैसे तो उनका अपना परिवार होता है। परंतु मायके की याद सबको आती है। रक्षाबंधन भाई बहन को एक अटूट बंधन में बनता है। अपने वचन को निभाने का और पूर्ण करने का त्यौहार है।

रक्षाबंधन मनाने का इतिहास काफी पुराना है। प्राचीन समय से वर्तमान समय तक यह पर्व श्रद्धा पूर्वक विधि विधान से बनाया जाता है। भारतवर्ष पर जब जब आक्रमण हुआ तब तब भारत की बेटियों ने रक्षा की राखी भेजी और शत्रुओं ने अपनी मुंह बोली बहनों बेटियों के वचन की रक्षा की और शत्रुता को भुलाकर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और शत्रुता को समाप्त किया।

देश के महान लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान के एक लेख के अनुसार सिकंदर और पोरस राजा के बीच में युद्ध के समय सिकंदर की पत्नी ने पोरस के राजा को राखी भेज कर अपना भाई बनाया और उनसे अपने पति की जीवन रक्षा का वचन मांगा। राजा पोरस ने अपना वचन निभाया और सिकंदर को जीवनदान दिया। इसी प्रकार अनेक राजपूत राजाओं का वचन को पूर्ण करने की कहानियां इतिहास में है।

रक्षाबंधन भाई बहन के एक अनमोल रिश्ते को बनाता है। भाई बहन के दुलार प्यार के भाव को जागृत करता है। हर परिवार में बड़े भाई को पिता के तुल्य बड़ी बहन को मां के तुल्य माना जाता है। इससे हम भाई बहनों को प्रेरणा लेनी चाहिए कि भाई बहन के रिश्ते को निभाए, एक दूसरे का आदर करें, प्रेम भाव से व्यवहार करें। एक दूसरे से प्यार करने की भावना को भी बनाए रखना चाहिए। कलाई पर रेशम का धागा है बहन ने बड़े प्यार से बांधा है।

सीमा मोहन