लखनऊ। औरंगजेब विवाद में एंट्री लेने वाले समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन ने आखिरकार हिंदू-मुसलमान वाली भाजपा की राजनीति की दिशा बदल दी। सपा ने अब उसे दलित बनाम स्वर्ण की लड़ाई का रूप दे दिया है। औरंगजेब के मुद्दे पर अपने महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आजमी के बयान को लेकर बैकफुट पर दिख रही समाजवादी पार्टी को अब उसके राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने संजीवनी प्रदान कर दी है। राज्यसभा में उन्होंने राणा सांगा को गद्दार और उनको मानने वालों को गद्दार की औलाद कह दिया। क्षत्रिय समाज और भाजपा ने इसे राणा सांगा का अपमान बताकर समाजवादी पार्टी को घेरने की कोशिश की। जवाब में समाजवादी पार्टी ने इसे दलित बनाम सवर्ण की राजनीति से जोड़ दिया है। ऐसे में सांसद रामजीलाल सुमन के बयान ने भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों को ही राजनीति का मौका दे दिया है। किंतु इस मामले में भाजपा को नुकसान होने का खतरा है। क्योंकि प्रयागराज महाकुंभ से हिंदुओं की जो एका अभी तक दिखाई दे रही थी उसे कम से कम यूपी में समाजवादी पार्टी भोथरा कर सकती है। क्योंकि सपा की कोशिश अब यही है कि वो अपनी राजनीतिक लड़ाई को दलित बनाम की ओर ले जाए। अब उसके पास इससे बेहतर मौका नहीं मिलने वाला है। क्योंकि अभी हिंदुत्व का ज्वार यूपी और पूरे देश में इस कदर चढ़ा हुआ है कि सपा परेशान थी। किंतु राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने वह काम कर दिया है जो शायद सपा को राजनीतिक रूप से जिंदा कर दे। बहुत समय से किसी मुद्दे की तलाक में परेशान घूम रही समाजवादी पार्टी के हाथ में अब एक सटीक मुद्दा लग गया है।
दरअसल हुआ यह है कि सपा सांसद रामजीलाल सुमन के बयान के बाद क्षत्रिय समाज, पूरा हिंदू समाज और भाजपा रामजीलाल सुमन के खिलाफ बयानबाजी करने लगी है। उसके बाद गुस्साए करणी सेना ने आगरा में रामजीलाल सुमन के आवास पर हमला बोल दिया। हालांकि जवाब सपाईयों ने भी दिया। अंततः पुलिस को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और उसने लाठी फटकार कर मामला संभाला। तब तक करणी सेना के लोगों ने सांसद सुमन के घर पर काफी नुकसान कर दिया था। इसके बाद समाजवादी पार्टी, स्वयं अखिलेश यादव तथा उनके प्रवक्ताओं ने इसे नया एंगल दे दिया। अखिलेश यादव ने कहा कि चूंकि रामजीलाल सुमन दलित सांसद हैं इसलिए करणी सेना ने उनके घर पर उत्पात किया है। हालांकि इस विवाद को नया एंगल देने की तैयारी शायद पहले से ही थी। क्योंकि टीवी चैनलों पर सपा के कार्यकर्ता बहुत सलीके से इसे दलित एंगल देने की कोशिश में लगे हुए थे। और अंततः सांसद सुमन के करणी सेना के बवाल के बाद अखिलेश यादव ने उस एंगल पर अपनी मोहर लगा दी।
टीवी चैनलों पर पहले से ही समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमीक जमाई, अनुराग भदौरिया आदि ने कहना शुरू कर दिया था कि एक दलित सांसद को टारगेट किया जा रहा है। अखिलेश यादव ने आगरा में रामजीलाल सुमन के घर पर हमले के बाद घटना की निंदा करते हुए कहा की चूंकि सांसद रामजीलाल सुमन दलित हैं इसलिए उनके घर पर करणी सेना ने उत्पात किया है। लगभग यही भाषा अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिंपल यादव ने भी बोली। उन्होंने कहा कि भाजपा की सोच ही खराब है, वह गड़े मुर्दे उखाड़कर माहौल खराब करना चाहती है। अब तो वह दलितों को जीने नहीं देना चाहती। चूंकि रामजीलाल सुमन एक दलित सांसद हैं इसलिए उनके खिलाफ भाजपा और उसके समर्थित लोग हिंसा कर रहे हैं। हालांकि भाजपा नेता राजकुमार चाहर ने इस मामले में कहा है कि लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है। चाहर का यह बयान समाजवादी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष दिवंगत मुलायम सिंह यादव के उस बयान पर तंज था जिसमें उन्होंने रेप के मामले में फंसे लड़कों की वकालत करते हुए कहा था कि लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है। अब क्या उनको फांसी दे दें।
बहरहाल समाजवादी पार्टी को अबू आदमी के औरंगजेब वाले बयान से बचने का रास्ता मिलता दिखाई दे रहा है। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व की एकजुटता वाले नैरेटिव की काट करने का एक मौका भी मिल गया है। सपा अब धीरे-धीरे अपनी राजनीतिक लड़ाई को दलित बनाम सवर्ण की ओर ले जाने की कोशिश कर रही है। क्योंकि राणा सांगा के खिलाफ रामजीलाल सुमन के बयान के बाद देश भर का क्षत्रिय समाज आक्रोशित है। कई जगह तो रामजीलाल सुमन के खिलाफ फतवा जारी करते हुए उनको नुकसान पहुंचाने वालों के लिए इनाम भी घोषित किए गए हैं। अर्थात आने वाले समय में सपा इसे आगे बढ़ाने से गुरेज नहीं करेगी। क्योंकि यह मुद्दा उसकी राजनीति को सूट करता है। इसके अलावा यह भाजपा के हिंदू एकता के नारे को भोथरा करने में मदद कर सकता है।
अगर समाजवादी पार्टी दलित समाज के दिमाग में यह बात बैठाने में सफल हो गई तो भाजपा का हिंदू एकजुटता का नारा कमजोर भी हो सकता है। ऐसे में भाजपा को सावधान रहने की जरूरत है। अखिलेश यादव ने आगरा में सुमन के घर पर बवाल की घटना की निंदा करते हुए कहा है कि एक दलित सांसद के घर हिंसा की घटना ठीक नहीं है। यह प्रदेश सरकार के कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल है। उन्होंने राणा सांगा मामले में सफाई देते हुए कहा की हमारा उद्देश्य किसी का अपमान करना नहीं है, हमारे सांसद ने तो इतिहास की बात कही है। अखिलेश ने कहा कि रामजीलाल सुमन दलित हैं इसलिए उनके घर पर हमला हुआ। इस मामले में डिंपल यादव कहती हैं कि गड़े मुर्दे उखाड़ना बीजेपी की पुरानी आदत है, क्योंकि उनकी नीयत और नीति में खोट है।
इस मामले में राजद के प्रवक्ता प्रोफेसर अनवर पाशा ने कहा कि भाजपा और भाजपाई दलित सांसद का अपमान कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने दलितों की स्थिति बहुत खराब कर रखी है। उनके राज में दलित सुरक्षित नहीं है। सपा प्रवक्ता अमीक जमाई ने कहा कि योगी सरकार अब तक की सबसे भ्रष्ट है। यह सिर्फ हिंदू-मुसलमान को लड़ाना चाहती हैं, इस राज में कोई भी सुरक्षित नहीं है।
जवाब में भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा है कि सपा विरोधी पार्टी है। और इसके अध्यक्ष अखिलेश यादव सांप्रदायिक और जातीय संघर्ष कराना चाहते हैं। आगरा में रामजीलाल सुमन के घर हुई हिंसा के मामले में करणी सेना के अध्यक्ष सूरज पाल अम्मू का कहना है कि शांति पूर्ण प्रदर्शन करने गए कार्यकर्ताओं पर पहले रामजीलाल सुमन के गुंडों ने हमला किया, उसके बाद हमारे कार्यकर्ता उग्र हुए। इसे एकपक्षीय कार्रवाई कहना ग़लत है। कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव इस घटना को दलित बनाम सवर्ण की ओर ले जाने की कोशिश में है, और यहीं पर भाजपा को सावधान हो जाना चाहिए। एक टीवी चैनल पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज सिंह काका राणा सांगा को हारा हुआ बताने की कोशिश में लगे हुए थे। उन्हें यह बिल्कुल याद नहीं रहा कि इसके पहले राणा सांगा ने 99 लड़ाइयां जीती थीं। हालांकि वे जिस खानवा युद्ध की बात कर रहे हैं उस पर भी इतिहासकारों में मतभेद है।
इस बारे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अभिव्यक्ति की आजादी जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है। इसका इस्तेमाल मर्यादाओं में रहकर किया जाए तभी यह सही है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी का मान मर्दन करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। बोलने की स्वतंत्रता दुराचरण के लिए नहीं दी जा सकती। इसके अलावा भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, कुंडा रियासत के राजा व विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सांसद रामजीलाल सुमन के बयान पर आपत्ति दर्ज कराई है। सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने भी सुमन के बयान को गलत ठहराया है।
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने जताया विरोध : सपा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा राणा सांगा को गद्दार कहने पर गदर मचा हुआ है। इतिहास को तोड़-मरोड़ कर महापुरुषों को बदनाम करने पर क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद कुंवर हरिवंश सिह के निर्देश पर एडवोकेट दलवीर तोमर ने सपा सांसद के खिलाफ गंभीर धाराओं मे मुकदमा दर्ज कराया है। श्री तोमर ने बताया कि उन्होंने राणा सांगा को गद्दार व हिंदुओं को गद्दार की औलाद कहने के विरोध में स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए फिरोजाबाद में अपराधिक परिवाद दर्ज कराया है। कैस की सुनवाई 22 अप्रैल को होगी। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघवेंद्र सिंह राजू ने बताया कि इसके अलावा करणी सेना, हिन्दू वादी अपर कास्ट संगठन भी इसके विरोध में सडक पर उतर आया है। इन संगठनों ने का आरोप है कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज के राजतिलक पर प्रश्न खडा कर मराठा क्षत्रपों, राजपूताना सहित कुर्मी क्षत्रियों को भी नाराज कर दिया है। अब क्षत्रिय समाज इस पर चुप नहीं बैठेगा।
और रामजी लाल सुमन ने राणा सांगा को गद्दार कह दिया : सपा के सांसद रामजीलाल सुमन ने पिछले दिनों राज्यसभा में औरंगजेब की तारीफ करते हुए यहां तक कह दिया कि चित्तौड़ के राणा सांगा गद्दार थे, और उनके समर्थक गद्दार की औलाद हैं। उनका मानना है कि राणा सांगा ने ही बाबर को इब्राहिम लोदी के खिलाफ युद्ध करने के लिए भारत आमंत्रित किया था, जबकि इतिहास कुछ और कहता है। उसी के बाद से औरंगजेब और सालार गाजी के विवाद में एक और अध्याय राणा सांगा अर्थात महाराणा संग्राम सिंह की एंट्री हो गई। इसके बावजूद चाहे अबू आसिम आजमी द्वारा औरंगजेब का महिमा मंडन करना हो या फिर रामजी लाल सुमन द्वारा राणा सांगा को गद्दार कहना हो, दोनों ही मामलों में अखिलेश यादव भी अपने नेताओं की ताईद करते दिख रहे हैं। उनका मानना है कि आप जब इतिहास की बात करोगे तो इतिहास के और भी पन्ने खुलेंगे। वे तो यहां तक कहते हैं कि जब छत्रपति शिवाजी का राजतिलक होना था तो किसी ने भी इसके लिए हामी नहीं भरी। और जिसने हामी भरी उसने पैरों के अंगूठे से उनका तिलक किया था। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यह बयान देकर एक और में विवाद को जन्म दे दिया है। खैर, राणा सांगा पर सांसद रामजी लाल सुमन के बयान के बाद क्षत्रिय समाज एकदम बिफरा हुआ है। चाहे वह गोंडा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह हों, करणी सेवा हो या फिर अन्य कोई भाजपाई, सब के सब रामजीलाल सुमन की बयान को कंडम करने में लगे हैं। यह लड़ाई अभी थमने का नाम नहीं ले रही है। हो सकता है कि जब आगे कोई नया मुद्दा उठे तो तब लोग इसको भूल जाएं। किंतु महापुरुषों के अपमान के मामले में समाजवादी पार्टी का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है, यह बात तो लगभग तय जा रही है। समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के लिए इस समय किसी भी हद तक जाने को तैयार दिख रही है।
औरंगजेब, गाजी, राणा सांगा के बाद अब क्या…
* सपा की शार्ट पिच बाल पर लगातार छक्के मार रही है भाजपा
* शिंदे का साथ मिलने से और आक्रामक होती जा रही है भाजपा
* सपा को अपने मुस्लिम वोटरों की चिंता तो वहीं भाजपा को हिंदुत्व की
* हिंदू-मुसलमान की ये लड़ाई 2027 के चुनाव तक चलने के आसार
समाजवादी पार्टी इधर लगातार ऐसे ही मुद्दे उठा रही है जिससे उसका राजनीतिक हित पूरा हो। किंतु भाजपा भी लगातार उसे पटखनी देते फिर रही है। क्रिकेट की भाषा में कहें तो सपा लगातार भाजपा को शॉर्ट पिच गेंदें फेंक रही है और भाजपा उन पर छक्के पर छक्का मारती चली जा रही है। चाहे वह प्रयागराज महाकुंभ के विरोध और आलोचना का मामला हो, चाहे महाराष्ट्र के प्रदेश सपा अध्यक्ष अबु आजमी द्वारा औरंगजेब की तारीफ करना हो, चाहे सपा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा राज्यसभा में राणा सांगा को गद्दार कहना हो या फिर महमूद गजनवी के सिपहसालार सैयद सालार मसूद गाजी का महिमा मंडन करना हो, हर बार शुरुआत सपा ने की। और भाजपा ने भी बढ़-चढ़कर विरोध करते हुए इस पर राजनीतिक रोटी पकाई है। मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर भाजपा लगातार सपा पर हमले दर हमले करती जा रही है। शायद ये मुद्दे दोनों पार्टियों को सूट करते हैं। इसलिए समाजवादी पार्टी मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए इन मुद्दों को उठा रही है तो भाजपा हिंदुत्व के लिए उस पर हमलावर बनी हुई है। औरंगजेब की तारीफ से निकला हिंदू-मुसलमान का विवाद बहराइच के सालार मसूद गाजी के मेले के विरोध तक आ पहुंचा है। संभल और मुरादाबाद में सालार गाजी की याद लगने वाले नेजा मेले तो विरोध का शिकार हो ही गए हैं। और उन पर पूर्ण विराम लग गया है। यह विवाद आगे कहां तक जाएगा, इसका अनुमान तो लगा पाना मुश्किल है, किंतु 2027 के विधानसभा चुनाव तक इस तरह के मुद्दे आते रहेंगे, यह तय है। हालांकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना इस विषय पर भाजपा को घेरने की कोशिश में लगी है, किंतु एकनाथ शिंदे की शिवसेना के सपोर्ट से भाजपा भी मैदान में फ्रंटफुट पर खेल रही है।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक