स्टार्टअप पर बरस रहा एफडीआई, चीन भी फ़िदा

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सेबी नियम और उदार…

दुनिया को लोहा मनवाने वाले भारतीय साॅफ्टवेयर उद्योग का नया अवतार स्टार्टअप बनकर उभरा है। बाजार नियामक सेबी ने बोर्ड बैठक के बाद कल 25 मार्च‌ देर शाम स्टार्टअप संबंधी नियमों में बहुप्रतीक्षित महत्वपूर्ण संशोधनों की घोषणा की। नियामक ने स्टार्टअप के लिए ‘इन्नोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म (आईजी पी)’ पर अपनी लिस्टिंग कराने के फ्रेमवर्क को स्वीकृति प्रदान कर दी।

इससे भारतीय स्टार्टअप में विदेशी पूंजी प्रवाह में उछाल आने से इस क्षेत्र की ग्रोथ और तेजी से होना सुनिश्चित हो गया। सेबी ने स्टार्टअप में इश्यू पूर्व पूंजी निवेशकों के लिए शेयर होल्डिंग अवधि दो वर्ष से घटाकर एक वर्ष कर दी। पात्रता प्राप्त निवेशकों के लिए शेयरों का स्वेच्छा निर्णय से (डिस्क्रीशनरी) एलाॅटमेंट (प्रिइश्यू 60 फीसद तक) करने का निर्णय किया। किसी एक या कई स्टाॅक एक्सचेंजों पर लिस्टिंग कराने को आईजीपी पर डिलिस्ट कराने संबंधित नियमों में भी संशोधन कर दिए गए।

उद्यमशील भारतीय युवा नवीनतम टेक्नाॅलॉजी का नवोन्मेषी उपयोग करते हुए नौकरी डॉट कॉम, मेकमायट्रिप, जस्टडायल, फ्लिपकार्ट, इनमोबाइल, पेटीएम, ओला, हाइक, पाॅलिसी बाजार, उड़ान, स्विगी, डेलीहंट, फर्स्टक्राइ और कार्स 24 सरीखे जोखिम पूर्ण लेकिन कामयाबी की इबारत लिखने वाले उद्यमों की स्थापना करने में जबरदस्त रुचि ले रहे हैं।

ऐसे उद्यमों में पूंजी डूबने की काफी आशंका होते हुए भी भविष्य में संभावनाओं का आकलन करने में विश्व के सक्षम, पारखी और साहसी निवेशक भारतीय नवोन्मेषी युवाओं के सपने बने नव उद्यमों, (जिन्हें ‘स्टार्टअप’ ‘फिनटेक’ जैसे नाम दिए गए हैं), पर पूंजी की बरसात कर रहे हैं। रतन टाटा, मुकेश अंबानी और नारायण मूर्ति जैसे घरेलू उद्योगपति भी स्टार्टअप में निवेश कर रहे हैं लेकिन बहुतायत पूंजी समुद्रपार से एफडीआई के रूप में लग रही है।

पड़ोसी चीन की अलीबाबा (जैकमा), टेंसेंट, शुनवेई कैपिटल, चाइना लाॅज़िंग ग्रुप और यूरेशिया इकाॅनामिक कोआपरेशन फंड, डिडी चकशिंग, फ़ोशुन सरीखे दिग्गज और अंतर्राष्ट्रीय निवेशक भारतीय स्टार्टअप पर दिलोजान से फ़िदा हैं। वर्ष 2016 से 2019 तक चार सालों में चीनी निवेश में बारह गुना की अकल्पनीय वृद्धि हुई। यह 2700 करोड़ रु से बढ़कर 33000 करोड़ रु से भी ऊपर पहुंच गया।

देश में स्टार्टअप की तादाद 2200 से ऊपर पहुंच चुकी है और देश की साॅफ्टवेयर राजधानी के रूप में विश्व प्रसिद्ध बंगलुरू स्टार्टअप का भी हब बन गया है। एक अध्ययन रिपोर्ट में भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र का आकार मौजूदा से तीन गुना बढ़कर 2025 तक 11-12 लाख करोड़ रु के स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।

भारत में स्टार्टअप की शुरुआत 2005 से पहले की मानी जाती है। नौकरी डॉट कॉम, मेकमायट्रिप और और जस्ट डायल शुरुआती दौर की स्टार्टअप में शुमार की जाती हैं। भारत में स्टार्टअप कंपनियों की सबसे ज्यादा संख्या 405 भुगतान ( लेन-देन) के क्षेत्र में है। ऋण उपलब्ध कराने में 365, वेल्थटेक (रिटेल) में 315, पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट क्षेत्र में 173, इंश्योरेंस टेक में 111 और सायबर सिक्योरिटी में सक्रिय 58 स्टार्टअप कंपनियां काम कर रही हैं।

2021 जनवरी में इनकी कुल संख्या 2200 के लगभग थी। इनमें से दो तिहाई स्टार्टअप कंपनियां पिछले पांच सालों में स्थापित की गईं। बंगलुरू में सर्वाधिक स्टार्टअप हैं। दिल्ली दूसरे नंबर पर, तीसरे और चौथे नंबर पर क्रमशः मुंबई और हैदराबाद है। 2018 के दौरान स्टार्टअप में निवेश के लिए 378 और 2019 में 610 डील नक्की हुईं। ये डील वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी के रूप में हुईं।

स्टार्टअप इकलौता ऐसा क्षेत्र रहा। जिसने 2020 में 900 से अधिक डील करके 83000 करोड़ रु निवेश पक्का किया और सबके छक्के छुड़ाने वाले कोविड को रौंदते हुए अपनी फर्राटा ग्रोथ मेंटेन रखी। भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र वैश्विक रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। दुनिया भर के चतुर निवेशकों की निगाहें भारतीय स्टार्टअप पर टिकी हुई हैं।

इसकी सिर्फ एक ही वजह है.. जबरदस्त मुनाफा। इनमें पूंजी लगाने के बाद धैर्य रखने वाले निवेशकों को आगे अपनी हिस्सेदारी को बेचने पर अकल्पनीय कमाई होती है। इसीलिए चीन के बड़े निवेशक भारतीय स्टार्टअप पर दिलोजान से फ़िदा हो गए। सात दशकों से दो एशियाई शेरों में छत्तीस का आंकड़ा और बेमिसाल कट्टर दुश्मनी के बावजूद पड़ोसी निवेशकों के उद्यमीय चातुर्य और अदम्य साहस की दाद देनी पड़ेगी कि भारत के 94 से भी अधिक स्टार्टअप में अरबों रु की पूंजी डाल रखी है।

फिक्की और बीसीजी ग्रुप की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार भारत में ‘यूनिकाॅर्न’ श्रेणी की स्टार्टअप कंपनियों की संख्या 42 पहुंच गई है। भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है। अमेरिका में सर्वाधिक 137 और चीन में 120, यूके में 18, ब्राज़ील और द.कोरिया में 12-12, फ्रांस में 11, इज़राइल में केवल ८ स्टार्टअप ही यूनिकार्न बन पाए हैं। न्यूनतम 100 करोड़ डॉलर (7200 करोड़ रु) की वैल्यू हासिल करने वाली स्टार्टअप कंपनी को ‘यूनिकाॅर्न’ का दर्जा मिलता है। माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के प्रेसिडेंट अनन्त महेश्वरी ने बीते सप्ताह एक इंटरव्यू में कहा, ‘भारत की आर्थिक रिकवरी के लिए स्टार्टअप और एसएमई महत्वपूर्ण हैं। भारत डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का हब बनने की क्षमता रखता है।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी