वित्तपोषण में यूपी की परियोजनाओं का दबदबा

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दबदबा यूपी का परियोजनाओं के वित्तपोषण में… राष्ट्रीय स्तर पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों से परियोजनाओं के समग्र वित्त पोषण में उत्तर प्रदेश दुबारा टाॅप पर है, अन्य राज्य पीछे छूट गए हैं। यह तथ्य भारतीय रिज़र्व बैंक के ताजा आंकड़ों से सामने आए। लागत के आधार पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा 2022-23 में सभी राज्यों को स्वीकृत की गई परियोजनाओं की समग्र लागत में सर्वाधिक हिस्सेदारी 16.2 प्रतिशत उत्तर प्रदेश की रही। इसके पूर्व वित्त वर्ष 2021-22 में भी 12.8 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ उत्त्तर प्रदेश सबसे आगे था।

दरअसल हाल ही में मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेश की विकासशील अर्थव्यवस्था को लेकर योगी सरकार पर उंगली उठाई थी। भारतीय रिज़र्व बैंक के ताजा बुलेटिन के आंकड़े मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावों को सही साबित करते हैं कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था लगातार सुदृढ़ हो रही है। रिजर्व बैंक के आंकड़े यह खुलासा करते हैं कि २०१३-१४ से लेकर २०२०-२१ तक की अवधि में बैंकों-वित्तीय संस्थानों से सभी राज्यों की स्वीकृत कुल परियोजनाओं की समग्र लागत में उत्तरप्रदेश का हिस्सा औसतन 4.4 प्रतिशत के दायरे में रहता था। लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 12.8 प्रतिशत के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई थी।

रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े 2022-23 में भी उत्तर प्रदेश की टाॅप स्थिति को दर्शाते हैं। पिछले एक वर्ष के अंतराल में अर्थात 2022-23 में उत्तर प्रदेश 3.4 प्रतिशत की ऊंची छलांग लगाते हुए 16.2 प्रतिशत के शीर्षस्तर पर पहुंच गया। निष्कर्ष यह कि सिर्फ दो वित्तीय वर्षों में 11.8 प्रतिशत की अप्रत्याशित छलांग लगाने में उत्तर प्रदेश सफलतम राज्य रहा। उत्तरप्रदेश की बढ़त के विपरीत गुजरात की वृद्धि दर लुढ़ककर 2022-23 में 14 प्रतिशत रह गई जोकि 2013-14 से लेकर 2020-21 तक औसतन 14.3 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

उधर महाराष्ट्र ने भी कमोबेश गुजरात को फालो किया। महाराष्ट्र की औसत दर पिछले दो वित्तीय वर्षों में लगातार नीचे आई 2021-22 में 9.7 प्रतिशत और 2022-23 में 7.9 प्रतिशत पर सिमट गई, जबकि 2013-14 से 2020-21 की अवधि में 13 प्रतिशत का औसत था। कर्नाटक की स्थिति कुछ ऐसी रही 2013-14 से लेकर 2020-21 तक 8.5 प्रतिशत की औसत दर कम होकर 2021-22 में 6.9 प्रतिशत से सुधर कर 2022-23 में 7.3 प्रतिशत के स्तर पर रही।

कई राज्यों में जबर्दस्त उतार- चढ़ाव का सिलसिला रहा। उदाहरण के लिए उड़ीसा को ले लीजिए। उड़ीसा में वर्ष 2013-14 से लेकर 2020-21 की अवधि में मात्र 4.5 प्रतिशत की दर दर्ज की गई थी और वह भी घटकर 2022-22 में आधी यानी 2.2 प्रतिशत रह गई, हालांकि 2022-23 में अप्रत्याशित रूप से 11.8 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई।

प्रणतेश बाजपेयी