गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं तो करें ये उपाय

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सावन के महीने में बेलपत्र का विशेष महत्व है। बेल का पेड़ पूजनीय है। इसकी बहुत धार्मिक मान्यता है। बेल के संदर्भ में श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर के मुख्य चिकित्सक डॉ रविंद्र पोरवाल, बोर्ड मेंबर केंद्रीय आयुष मंत्रालय भारत सरकार कानपुर ने बहुत ही सारगर्भित जानकारी दी है।

धार्मिक महत्व : भगवान भोलेनाथ को बिल्वपत्र बहुत प्रिय है और रुद्राभिषेक में पूजन सामग्री में प्रमुखता से बिल्वपत्र का प्रयोग किया जाता है। भगवान शिव की 1008 मंत्रोचार के बीच में बिल्वपत्र का अर्पण दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों कष्टों का निवारण करता है। भगवान भोलेनाथ को रुद्राभिषेक के समय जब बेलपत्र अर्पण किए जाते हैं तो बिना विश्राम, भक्ति भाव, श्रद्धा भाव और पूर्ण विश्वास के साथ भगवंता मंत्र उच्चार और बेलपत्र का अर्पण परम कल्याणकारी हितकारी और सर्व रोग दोष व क्लेशो का नाश करने वाला होता है।

बिल्व पत्र का चिकित्सकीय विश्लेषण : बिल्वपत्र में इम्यूनिटी को जबरदस्त बढ़ाने के साथ-साथ अनेकों स्वास्थ्यवर्धक तत्व भी होते हैं। विटामिन ए, बी1, बी2 विटामिन सी कैल्शियम पोटेशियम आयरन और भरपूर मात्रा में फाइबर इसकी चिकित्सकीय गुणवत्ता को बहुत बढ़ाता है। यही नहीं, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स कुछ विशिष्ट रसायन और फाइटोन्यूट्रिएंट्स की भरपूर मात्रा में उपस्थिति से यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर शरीर को स्वस्थ निरोगी और दीर्घायु रखने में मददगार है।

शरीर के साथ-साथ मन और मस्तिष्क पर भी इसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। अत्यधिक क्रोध, गुस्सा, नकारात्मक चिंतन रात्रि में सपने आना, अत्यधिक डर लगना, घबराहट होना जैसी समस्याओं के निदान में भी बेलपत्र का प्रातः खाली पेट सेवन किसी महाऔषधि से कम नहीं है।

औषधि गुण : बेलपत्र का सेवन पाचन तंत्र के रोगों के निवारण में बहुत महत्वपूर्ण है। लिवर पेनक्रियाज और किडनी संबंधी बीमारियां बेलपत्र का प्रातः खाली पेट सेवन करने से निर्मूल हो जाती हैं। खुलकर भूख लगती है और कब्ज गैस पेट का फूलना जैसी समस्याएं जड़ से ठीक हो जाती हैं। पुराने से पुराने आव मरोड़ और कब्जियत के मरीज पूर्ण आरोग्य हो जाते हैं।

मधुमेह के रोगी बेलपत्र को सुखाकर पाउडर बना लें और एक चम्मच प्रातः एवं एक चम्मच रात्रि भोजन के बाद पानी से लेने से बेलगाम मधुमेह नियंत्रण में आ जाता है और कुछ ही महीनों में बिना दवा के इस दिव्य प्रयोग और परहेज से मधुमेह नियंत्रण में रहता है। हृदय रोगियों उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों के स्वास्थ्य की रक्षा और बड़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने की अद्भुत शक्ति बेलपत्र में है। और मूत्र संबंधी समस्याओं के निदान में भी इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।

विष नाशक है बेलपत्र : बेलपत्र शरीर के अंदर नशा, भोजन, पानी, हवा आदि के माध्यम से शरीर के अंदर पहुंचे जहरीले हानिकारक घातक व रोगकारक तत्वों को शरीर से बाहर निकाल कर शरीर के आंतरिक अंगों को स्वच्छ और निरोगी बनाता है। जो लोग शराब पीते हैं, पान मसाला, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, भांग, गांजा जैसे मादक पदार्थों का सेवन करके शरीर की आंतरिक अंगों लिवर पेनक्रियाज हार्ट किडनी फेफड़ों आदि को विषाक्त बना देते हैं। 5 बेलपत्र का प्रातः काल बिना चीनी शरबत बनाकर पीने से शरीर के अंदर एकत्रित जहरीले तत्वों का प्रभाव खत्म हो जाता है। यहां तक की छोटे-मोटे कीड़े बरैया बिच्छू आदि के काटने का भी आंशिक असर ही शरीर पर होता है और शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता जो लोग कोई नशा नहीं भी करते हैं वह लोग भी 40 दिन तक प्रतिदिन प्रातः खाली पेट पांच बेलपत्र का सेवन करें तो स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है ऐसे लोगों को जल्दी कोई बड़ी बीमारी उनके शरीर या मन मस्तिष्क में पनपने नहीं पाती।

सावधानी मत भूलें : बेलपत्र का सेवंन पुरुषों में स्वप्नदोष की समस्या को ठीक कर देता है। किंतु वैवाहिक जीवन में यह वीर्य के निर्माण को कम करता है। गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली माताओं को बेलपत्र का सेवन नहीं करना चाहिए। अत्यधिक बीमार, दुर्बल, अशक्त रोगी भी बेलपत्र का सेवन न करें। चिकित्सक के परामर्श से ही बेलपत्र का सेवन करना सबके लिए अच्छा होता है।