देश के ट्रक मालिक दिक्कत में, फाइनेंसरों पर दबाव

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कारों और एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हेकल) की बिक्री बढ़ना अर्थव्यवस्था में उठाव को दर्शाने का पैमाना नहीं रह गई है। लेकिन माल असबाब के परिवहन के प्रमुख अंग वाणिज्यिक वाहनों (ट्रक) की बिक्री में तेज गिरावट अर्थव्यवस्था में व्याप्त सुस्ती-शिथिलता को स्पष्ट रूप से उजागर करती है।

यूं तो आर्थिक गतिविधियों के लिहाज से वित्तीय वर्ष ‌2018-19 तक सामान्य से बेहतर था। उसके बाद स्थितयों में जो बदलाव होने शुरू हुए उनसे देशी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगे थे। 2019-20 में ट्रकों की समग्र बिक्री में 29 फीसद की गिरावट आने से समूचा आटो उद्योग रिवर्स गियर में कमोबेश 2015-16 की स्थिति में चला गया।

प्रदर्शन की बात करें तो स्कूटर, मोटर साइकिल, थ्री व्हीलर, कारों और ट्रकों सहित आटो उद्योग की कुल बिक्री 2015-16 में 2 करोड़ 4 लाख वाहनों की हुई थी। 2018-19 में यह आंकड़ा 31 फीसद बढ़कर 2 करोड़ 62 लाख से ऊपर निकल गया। इसके बाद के दोनों वित्तीय वर्षों में ग्राफ़ नीचे ही आया। 2019-20 के दौरान वाहनों की कुल बिक्री तकरीबन अठारह फीसद घट कर 2 करोड़ 15 लाख रह गई।

कारों और एसयूवी को पृथक कर दें तो 2020-21 के बिक्री नतीजे भी उत्साहित करने वाले नहीं हैं। ट्रकों की बिक्री 2016-17 में 7.14 लाख दर्ज की गई थी जोकि 41 फीसद की जोरदार बढ़त लेकर 2018-19 में 10.07 लाख पहुंच गई। फिर 2019-20 में दो साल पहले वाली स्थिति बनी, ट्रकों की बिक्री फिसलकर 7.17 लाख पर सिमट गई।

यही प्रदर्शन थ्री ह्वीलर खंड का रहा। 2018-19 में 7.01 लाख की तुलना में 2019-20 में 6.36 लाख थ्रीव्हीलरों की बिक्री हुई।‌ पिछले माह मार्च में समाप्त वित्तीय वर्ष 2020-21 में ट्रकों की बिक्री में पचीस फीसद से तीस फीसदी गिरावट का अनुमान है, हालांकि अभी अधिकृत आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

रेटिंग एजेंसी इक्रा ने 2020, अप्रैल- जून तिमाही में 21.3 फीसद और जुलाई-सितंबर तिमाही में 19.7 फीसद गिरावट जताई थी। ट्रांसपोर्टर मौजूदा हालात को देखते हुए नए ट्रकों की खरीद करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। इधर कोविड का दोबारा संक्रमण और भी तेजी से फैल रहा है। जिससे ट्रांसपोर्टरों के हौसले पस्त होते लग रहे हैं।

आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ‘कोविड की पिछली भयावह मार से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय अभी तक उबर नहीं पाया और दूसरा आक्रमण क्या कहर बरपा करेगा यह सोचकर भय लगता है। इक्रा की एक रिपोर्ट में ट्रांसपोर्ट क्षेत्र को 2020-21 में 18-20 फीसद राजस्व क्षति होने का अनुमान लगाया गया है।

मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के आंकड़ों के हिसाब से 2020 अप्रैल, मई और जून में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ और पूरे साल में 52-55 हजार करोड़ रु का व्यावसायिक नुकसान उठाना पड़ा। देश में 81 लाख से अधिक ट्रकर्स हैं। इनके संगठनों ने सरकार से अगले छः महीनों तक सरकारी बकाया की वसूली नहीं करने का आग्रह किया है।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी