गर्भावस्था की जटिलताओं की सही पहचान, सुरक्षित करे मां-बच्चे की जान

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राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (11 अप्रैल) पर विशेष

लखनऊ। सूबे में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर काबू पाने को लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग की हरसंभव कोशिश है। गर्भावस्था की सही जांच – पड़ताल के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर विशेष आयोजन होता है। जहाँ पर एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा गर्भवती की सम्पूर्ण जांच की जाती है और कोई जटिलता नजर आती है तो उन महिलाओं को चिन्हित कर उन पर खास नजर रखी जाती है। गर्भवती की सही देखभाल और संस्थागत प्रसव के बारे में जागरूकता के लिए ही हर साल 11 अप्रैल को सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है।

इतना ही नहीं पहली बार गर्भवती होने पर सही पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए तीन किश्तों में 5000 रूपये दिए जाते हैं । इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना है, जिसके तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रूपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रूपये दिए जाते हैं । प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की उचित देखभाल के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम है तो यदि किसी कारणवश मां की प्रसव के दौरान मृत्यु हो जाती है तो मातृ मृत्यु की समीक्षा भी होती है। सुरक्षित प्रसव के लिए समय से घर से अस्पताल पहुँचाने और अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की सेवा भी उपलब्ध है।

जटिलता वाली गर्भवती की पहचान :
– दो या उससे अधिक बार बच्चा गिर गया हो या एबार्शन हुआ हो
– बच्चे की पेट में मृत्यु हो गयी हो या पैदा होते ही मृत्यु हो गयी हो
– कोई विकृति वाला बच्चा पैदा हुआ हो
– प्रसव के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तस्राव हुआ हो
– पहला प्रसव बड़े आपरेशन से हुआ हो
गर्भवती को पहले से कोई बीमारी हो :
– हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) या मधुमेह (डायबीटीज)
– दिल की या गुर्दे की बीमारी, टीबी या मिर्गी की बीमारी
– पीलिया, लीवर की बीमारी या हाईपो थायराइड

वर्तमान गर्भावस्था में :
– गंभीर एनीमिया- सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन
– ब्लड प्रेशर 140/90 से अधिक
– गर्भ में आड़ा/तिरछा या उल्टा बच्चा
– चौथे महीने के बाद खून जाना
– गर्भावस्था में डायबिटीज का पता चलना
– एचआईवी या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होना

एक साल में 2585170 महिलाओं को मिला जननी सुरक्षा योजना का लाभ : ​प्रदेश में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2005 में जननी सुरक्षा योजना की शुरुआत की गयी, जिसके तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने वाली ग्रामीण महिलाओं को 1400 रूपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रूपये दिए जाते हैं। अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के दौरान प्रदेश में 2585170 महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल चुका है। संस्थागत प्रसव का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यदि प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा को कोई बड़ी दिक्कत आती है तो उसे आसानी से संभाला जा सकता है। इसके साथ ही 48 घंटे तक अस्पताल में रोककर पूरी निगरानी के साथ ही जरूरी टीके की सुविधा भी दी जाती है। यह जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का हिस्सा है।

क्या कहते हैं मातृ-शिशु मृत्यु दर के आंकड़े : ​एसआरएस (सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) सर्वे के अनुसार वर्ष 2011-13 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश का मातृ मृत्यु अनुपात 285 प्रति एक लाख था। वर्ष 2015-17 के एसआरएस सर्वे के अनुसार यह अनुपात घटकर 216 और 2016-18 के सर्वे में घटकर 197 प्रति एक लाख पर पहुँच गया। यह आंकड़ा पहले बहुत अधिक था, जिसे इन योजनाओं के बल पर इस न्यूनतम स्तर पर लाया जा सका है और अब इसे पूरी तरह नियंत्रित करने की हरसंभव कोशिश अनवरत चल रही है।