संपूर्ण शरीर का शोधन करने वाली औषधि

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तुलसी पूजनीय एवं औषधि का पौधा होता है। यह घर आंगन की शान एवं शोभा होता है। यह झाड़ी नुमा पौधा होता है, जो 1 से 3 फुट ऊंचा होता है। पत्तियों पर हल्के हल्के रोए भी पाए जाते हैं। पत्तियों का रंग हरा और बैगनी भी होता है। इसको ओसिमम भी कहते हैं। इसकी सात प्रजातियां पाए जाती हैं। सभी प्रजातियों में ‘ओसिमम सेक्टम’ अधिक पवित्र मानी जाती है। इसका उपयोग औषधि, सुगंध शाला में किया जाता है। अनंत काल से मानव एवं सभी जीव जंतु, कीट, सरिस्रप्, पक्षी एवं मानव पौधों पर आश्रित है। हमारे ग्रंथ पुराणों में वनस्पति पेड़ पौधों को अत्याधिक परोपकारी कहा गया है।

कहा जाता है, वृक्षों के उपकार पांच महायज्ञ है। वे ग्रहस्थो को ईंधन देकर, पक्षियों को छाया और विश्राम देकर, पक्षियों को घोसले देकर, पत्तों जड़ो छालों में सारे जीवो को औषधि देकर उनका उपचार करते हैं। प्राचीन काल से वृक्ष पौधे मानव समाज के सहयोगी रहे हैं। अनेक धर्म ग्रंथों में वृक्ष को देवता के स्वरूप तथा निवास स्थान माना गया है। चारों वेदों में से आयुर्वेदिक चिकित्सा शास्त्र का ग्रंथ है। जिसमें वनोषधि हेतु जब किसी भाग की आवश्यकता होती है, तब वृक्षों से प्रार्थना करने के पश्चात प्राप्त किया जाता है। अधिकांश औषधि के पौधे वन्य होते हैं। संसार के सभी भागों में उत्पादित किए जाते हैं, वृक्षों की जड़ों भूमिगत भागो, छालों तने पत्तियों, फूल, फलों और बीजों से औषधि प्राप्त की जाती हैं। औषधि के रूप मे उपयोग आने वाले पौधे मे सर्वोत्तम नाम तुलसी का है।

तुलसी का हमारे जीवन मे महत्त्व : तुलसी एक प्रकार से संपूर्ण शरीर का शोधन करने वाली जीवन शक्तिवर्धक औषधि है। इसके सूखे पत्ते का साइनोसाइटिस के रोग के उपचार में प्रयोग किया जाता है। काली तुलसी का रस काली मिर्च के साथ देने से खांसी का वेग कम हो जाता है। अतिसार रोग में बच्चों को इसके बीज को पीसकर देने से ठीक हो जाता है।
श्वास के रोग में काले नमक के साथ पत्तों को मुंह में रखने से आराम मिलता है। कुष्ठ रोग में तुलसी के पत्तों के रस को पीने से बहुत लाभ होता है। दाद, खाज, खुजली में इसके पत्तों को नींबू के रस में मिलाकर लेप लगाने से लाभ प्राप्त होता है। यह कीटनाशक और एक जीवाणु नाशक पौधा होता है। तुलसी के प्रत्येक भाग को सर्प विष मे उपयोगी माना जाता है। तुलसी के विभिन्न भागों को कैंसर के रोग में उपयोगिता दी जाती है। इस पर अभी शोध जारी है। तुलसी में रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। इसलिए इसे ‘क्वीन ऑफ हर्ब्स’ कहा जाता है। तुलसी के बीजों में फ्लैवोनोइड्स और फेनोलिक शामिल होते हैं जो कि मानव के शरीर में प्रतिरक्षा को बढ़ाने में बहुत सहायक है। तुलसी एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है, जो कि शरीर में फ्री रेडिकल्स से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। तुलसी को पवित्र माना जाता है।

सीमा मोहन