चंदा कोचर का वो रुतबा, सब डुबो लिया बस धन बचा

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चंदा कोचर का वो रुतबा, सब डुबो लिया बस धन बचा…… आज आपको एक ऐसी होनहार महिला के जीवन के अति महत्वपूर्ण चौंतीस वर्षों का सार बता रहे हैं जो उनके उत्थान-पतन को समेटे हुए है। अपनी कुव्वत के बलबूते पर जिस संस्थान को गढ़कर नया स्वरूप दिया और संस्थान ने भी उन्हें राष्ट्रीय सीमाओं के पार सुदूर महाद्वीपों में यश -वैभव सब कुछ दिलाया, अपने पति को कानूनन गलत फायदा पहुंचाने के अपराध में उसी संस्थान में वह अर्श से फर्श पर पटक दी गईं। साल दर साल गढ़ कर संवारे गए अपने करियर को एक घटना से मिट्टी में मिलाने के उदाहरण जल्दी-जल्दा नहीं मिलते।

रजवाड़ा क्षेत्र जोधपुर में 1961, नवंबर 17 में रूपचंद अडवाणी की पुत्री रूप में हिंदू जन्मी-पली चंदा अडवाणी नाम की लड़की ने शुरुआती पढ़ाई जयपुर के सेंट एंजेला सोफिया स्कूल से, मुंबई के जयहिंद कालेज से बी काॅम के बाद काॅस्ट एकाउंटेंट और मैनेजमेंट में मास्टर की डिग्री हासिल की। यही ब्रिलियंट लड़की देश -दुनिया में चंदा कोचर के नाम से विख्यात हुई। चंदा कोचर की आपबीती सुनने -सुनाने में उनपर गुस्सा भी आता है तो दु:ख भी होता है और सहानुभूति भी, पर अंततः ‘जैसा कर्म वैसा फल’।

चंदा अडवाणी ने उद्यमी दीपक कोचर से विवाह किया तो चंदा कोचर हो गईं। चंदा कोचर ने 1984 में बतौर ट्रेनी जब आईसीआईसीआई ज्वाइन की थी उस वक्त यह बैंक नहीं हुआ करता था और इसका नाम इंडस्ट्रियल क्रेडिट ऐंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन था जिसकी स्थापना 1955 में की गई थी। इस काॅर्पोरेशन को बैंक बनाने के लिए गठित मुख्यटीम में चंदाकोचर अहम थीं। आईसीआईसीआई बैंक बना वर्ष 1994, 5 जनवरी को। चंदाकोचर ने इसे खड़ा करने में भरपूर मेहनत की थी जिसके बलपर उन्हें 2009 में बैंक के शीर्षतम पद एमडीऔर सीईओ की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। फिर तो आगे के आठ साल इनके जीवन का स्वर्णिम काल रहा। इन आठ सालों में उन्हें ढेरों टाइटिल, पद्मभूषण से लेकर फोर्ब्स और फार्च्यून ने उन्हें विश्व, एशिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शुमार किया। फर्श पर गिरने के ठीक एक वर्ष पहले 2017 में भारत की सर्वाधिक प्रभावशाली महिला के खिताब से नवाजी गईं।और यही उनके जीवन के स्वर्णिम काल का अंतिम दौर साबित हुआ। चंदा कोचर को दूर- दूर तक यह भान भी नहीं हुआ कि जिस उद्योगपति वेणुगोपाल धूत (वीडियोकाॅन ग्रुप के संस्थापक) की कंपनियों को 3250 करोड़ रुपए का लोन दे रही हैं वही उनकी लोटिया डुबो देगा। यही हुआ।

एक पोलखोलू (ह्विसिलब्लोअर) शेयरधारक अरविंद गुप्ता ने 2016 में लोन फ्राड का कच्चा चिट्ठा उजागर किया था, यह भी खुलासा किया था कि लोन देने में काफी अनियमिताएं बरती गई थीं। लोन के एवज में वेणु गोपाल धूत ने दीपक कोचर की नुपाॅवर को दिखावे में लोन के तौर पर ६४ करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी। हालांकि बैंक के बोर्ड ने चंदा कोचर को क्लीन चिट भी दे दी थी। लेकिन सीबीआई ने 2018, अप्रैल में लोन फ्राड केस में चंदा, दीपक और वेणु गोपाल धूत के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर दिया था और तब बैंक बोर्ड ने भी लोन देने में चंदा द्वारा नियमों का उल्लंघन माना और चंदा को इस्तीफा देना पड़ा।

सीबीआई ने 22 दिसंबर 2022 को चंदा और उनके पति दीपक को गिरफ्तार किया। चंदा को बायकुला महिला जेल में और दीपक को आर्थर रोड जेल में न्यायिक हिरासत में बंद कर दिया गया। मुंबई हाईकोर्ट से 9 जनवरी 2023 को इन दोनों अभियुक्तों को जमानत मिलने पर रिहा कर दिया गया। मर्सिडीज सहित कई और लक्जरी कारों की स्वामिनी, 24 करोड़ रुपए की हैसियत रखने वाली चंदा कोचर का इतने दिनों जेल में रहना उनकी बर्बादी ही तो है। धन को छोड़ कर खुद ही वह सब डुबो लिया जो उन्होंने बरसों की कड़ी मशक्कत से हासिल किया था।

प्रणतेश बाजपेयी