बुढ़ापे में भी रहें जवाँ, बदलें खानपान, करें योगासन-प्राणायाम

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बदलते मौसम में वृद्धों को विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याओं के कारण दुःख भोग करना पड़ता है। कभी-कभी तो भोजन में परहेज, दिनचर्या में प्राकृतिक नियमों का पालन करना, विलासिता के संसाधनों का त्याग करके साधु संतों के तरह जीवन यापन करने पर भी कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याएं बुढ़ापे में जीवन की खुशियों को छीन लेते हैं। श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर के प्रधान चिकित्सक और आयुष मंत्रालय भारत सरकार के बोर्ड मेंबर डॉ रवीन्द्र पोरवाल ने वृद्धों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आहार व घरेलू उपायों की चर्चा की है। यह उपाय चमत्कारी लाभ देने वाले हैं और बहुत ही सरल सहज है।

सोकर उठते ही ध्यान दें

प्रातः सो कर उठ कर ऊषापान में दो गिलास पानी बैठकर घूट घूट कर के पिए तत्पश्चात शौच को जाएं। शौच क्रिया के समय बहुत टाईट वस्त्रों से परहेज करें और उस समय दांत की बत्तीसी को मिलाकर बैठकर पेट साफ होने की संतुष्टि तक मल त्याग करें। नहाते समय मुंह में पानी भर कर शरीर को रगड़ रगड़ कर अच्छी तरह पानी से मालिश करके स्नान करें।विभिन्न प्रकार के केमिकल युक्त साबुन के स्थान पर मुल्तानी मिट्टी का पाउडर या कंडे की राख का इस्तेमाल श्रेष्ठ है। सप्ताह में एक बार बेसन दही हल्दी और मुल्तानी मिट्टी मिलाकर उपटन का इस्तेमाल भी बहुत अच्छा है। बेड टी, बीड़ी, सिगरेट, तमाखू, पान मसाला आदि का खाली पेट सेवन बहुत नुकसान कारक है इससे बचें।

बुढ़ापे की जान है योगासन प्राणायाम

योगासन प्राणायाम और ध्यान वृद्धावस्था में नवजीवन प्रदान करते हैं। साथ ही साथ आध्यात्मिक उन्नति के परम आनंद की ओर ले जाते हैं। प्रतिदिन कम से कम 10 से 15 मिनट योगासन 10 मिनट प्राणायाम और 10 से 15 मिनट ध्यान करना चाहिए। वृद्धावस्था में 2 मिनट तक तिर्यक भुजंगासन, हलासन, धनुरासन, कोणासन, पंछी आसन, अश्वाचलनासना का एक-एक मिनट तक अभ्यास जीवन को खुशियों, आनंद और प्रसन्नता से भर देगा। योगासनों में शारीरिक क्षमता के अनुरूप स्थिरतापूर्वक रुक कर और सांस को सामान्य रखते हुए आसनों का अभ्यास करना चाहिए। गर्मी के मौसम में शीतली और शीतकारी प्राणायाम लाभकारी है। हार्टफुलनेस ध्यान सरल सहज और वृद्धावस्था में भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिए उपयोगी है। आसन प्राणायाम और ध्यान करने के आधे घंटे बाद ही स्नान करके स्वल्पाहार करें।

स्वल्पाहार औषधि के रूप में लीजिए

स्वल्पाहार में एप्पल, बनाना, गुआवा पपाया, आदि का सेवन सर्वश्रेष्ठ है। इसके साथ अंकुरित गेहूं, सोयाबीन और मसूर को सम मात्रा में मिलाकर चबा चबा कर खाएं। अंकुरित मौठ, मेथी और अंकुरित चना सप्ताह में एक या दो बार ले सकते हैं। अंकुरित अनाज को खाते समय रात भर पानी में भीगी हुई देसी इंडियन किसमिस, छुहारा, बादाम और खजूर का सेवन बहुत लाभकारी है। किंतु कभी-कभी ताजे फलों सेब, केला, पपीता, टमाटर आदि को काटकर और अंकुरित अनाज को मिलाकर बिना नमक नींबू डालें सेवन करना भी अच्छा है। अंकुरित अनाज में नमक, नींबू डालकर खाने से उसकी पौष्टिकता और जीवनी शक्ति दोनों नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ एप्पल, ऑरेंज आदि मौसमी फलों का ताजा रस घुट घुट कर के धीरे-धीरे सेवन करें। इसके अलावा दूध कार्न फ्लेक्स में किशमिश और चिरौंजी डालकर बिना चीनी के खाएं, अगर चीनी की आवश्यकता लगे तो चीनी के स्थान पर गुड़, मुनक्का या छुहारे का सेवन हितकारी है। नाश्ते में पूडी पराठे तली मसालेदार चीजें जलेबी समोसा आदि से परहेज करें। हल्का नाश्ता, पौष्टिक नाश्ता, और सुपाच्य नाश्ता वृद्धावस्था में निरोगी रहने एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

थोड़ा खाएं, पोस्टिक खाए

वृद्धावस्था में पाचन ग्रंथियां लीबर पेनक्रियाज, आंते युवावस्था की तरह सक्रिय और ताकतवर नहीं रहते। इसलिए भोजन बहुत सोच समझ कर करना चाहिए। वृद्धावस्था में स्वादिष्ट भोजन मिलने पर ज्यादा खाना खा लेना गलत है। भूख से आधे पेट खाना खाना अच्छा है। किंतु ध्यान रखें की भोजन में पोषक तत्वों के साथ खनिज तत्व विटामिन इत्यादि भरपूर मात्रा में दिनचर्या की जरूरत की पूर्ति करने वाला हो।

लंच और डिनर को भी समझिए

दोपहर का भोजन भी बहुत सादा सुपाच्य और पौष्टिक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। दोपहर के भोजन में एक कटोरी हरी पत्तेदार सब्जी, एक कटोरी दाल और भरपूर मात्रा में सलाद का सेवन करें। अगर भोजन के 15 मिनट पूर्व 100 से 200 मिलीग्राम टमाटर का ताज़ा सूप या किसी हरी पत्तेदार सब्जी जैसे पालक, बथुआ, सोयामैथी का सूप ले ले तो अति उत्तम है। दोपहर भोजन में दही, रायता, मट्ठा और थोड़ा बहुत चावल का सेवन कर सकते हैं लेकिन यह ध्यान रखिए कि कटहल, बैगन, दालो, छोले और राजमा के साथ दही या मट्ठा का सेवन बुढ़ापे में न करें। भोजन के साथ खीरा और मूली का सलाद 4 या 5 टुकड़ों से ज्यादा ना लीजिए। किन्तु प्याज टमाटर का सलाद भोजन के साथ यथोचित मात्रा में जा लिया जा सकता है। खाना खाने के तुरंत बाद पानी ना पियें। आधा घंटे बाद पानी पी सकते हैं या खट्टे फल जैसे संतरा, मौसमी या किन्नू का जूस भोजन के आधे घंटे बाद ले तो बहुत लाभकारी है।

शाम की चाय करामाती है

सायकाल चाय बिस्किट या रस्क लेने का प्रचलन है, जो सेहत के लिए अच्छा नहीं है। सायकाल 4:00 बजे से 6:00 बजे के बीच में खीरा, ककड़ी, खरबूज या तरबूज का आदि मौसम के फलों का उचित मात्रा में नियमित रूप से सेवन करना सेहत के लिए अच्छा है। बेल फल का ताजा रस या आयुर्वेदिक चाय अथवा सात्विक बिना किसी मादक पदार्थ के बनी ठंडाई, दही की लस्सी या मट्ठा, कच्चे आम का पना या मौसम के किसी भी फल का ताजा रस का सेवन ज्यादा हितकारी है। लेकिन ध्यान रखिए की बेल फल का शरबत बिना चीनी का ले। खरबूजा, तरबूज या खीरा, ककड़ी मे किसी भी एक का सेवन एक बार में करें तो बहुत अच्छा है। शाम के वक्त चने का सतुआ भी एक अच्छा विकल्प है। इसके अलावा आयुर्वेदिक चाय के साथ ड्राई फ्रूट मखाना, लैया चना, आदि का सेवन अच्छा है। कभी-कभी बिस्किट, नमकीन या पोहा आदि ले सकते हैं। इसके अलावा ताजा टमाटर या पालक का सूप का सेवन भी स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अच्छा है।

रात्रि का भोजन

वृद्धावस्था में रात्रि के खाने में बासा भोजन, चावल, दही मट्ठा, मूली, खीरा, तरबूज, खरबूज बिल्कुल ना ले। रात्रि खाने में छिलके वाली मूंग की दाल व गेहूं के दलिया में मौसम की सब्जियां गोभी बींस पालक टमाटर आदि डालकर तहरी बनाएं, इसे नींबू डालकर खाने से स्वाद बढ़ जाता है। इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्जी का साग और रोटी या दूध फ्लेक्स, दूध दलिया, दूध रोटी, मखाने की खीर या केवल दूध के साथ सूखे मेवों का सेवन भी उचित है। खाना खाने के तुरंत बाद दूध या पानी का सेवन हितकारी नहीं है। खाना खाने के आधे घंटे बाद ही पानी पिए, कुछ लोग 1 से 2 घंटे बाद पानी पीते हैं, जो सर्वदा नुकसानदायक है।

बड़े काम के घरेलू उपाय

मोटी सोफ़, धनिया, गुलाब के फूल की सूखी पत्तियां, और कच्चा जीरा सभी बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना ले, इसको एक चम्मच खाना खाने के बाद दोपहर एवं रात सेवन करने से एसिडिटी गैस खट्टी कढवी डकारे आना और सीने की जलन में फायदा होता है। पेट खुलकर साफ होता है और गैस का खात्मा हो जाता है। रात्रि सोते समय दो चम्मच अरंडी का तेल एक गिलास गर्म पानी या दूध के साथ लेने से पुरानी से पुरानी कब्ज दूर होती है और पेट साफ होता है।

रात्रि सोने के पहले आवला, छोटी हरड़, मोटी सौफ, खाने वाला सोडा और धनिया का संभाग ले और पाउडर बनाकर रख लें एक चम्मच रात सोते समय गर्म पानी के साथ लेने से पेट खुलकर साफ होता है। गैस बवासीर पेट की ऐंठन और आंव कब्जियत हो तो यह नुस्खा बहुत कारगर है।