पंजाब संकट में नया मोड़ : हरीश रावत हटे, चौधरी नए प्रभारी

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-अब रावत के पास उत्तराखंड चुनाव की कमान

नई दिल्ली। पंजाब में पहली बार दलित मुख्यमंत्री की ताजपोशी के बाद कांग्रेस का संकट दिन पर दिन गहराता जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के 4 दिन बाद हाईकमान ने प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी राजस्थान के कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी को दे दी है। फिलहाल राष्ट्रीय महा सचिव एवं पंजाब के प्रभारी हरीश रावत को पूरी तरह से उत्तराखंड के चुनाव में लगा दिया गया है।

कांग्रेस हाईकमान के उक्त फैसले को लेकर जहां एक तरफ सिद्धू एवं उनके समर्थकों को मानने का प्रयास किया गया है, वहीं दूसरी तरफ 10 जनपद विरोधी प्रमुख नेता एक बार फिर सक्रिय हो गए है। गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेताओं को इस फैसले के विरुद्ध बोलने का मौका मिल गया है।

सिद्धू ही नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी प्रदेश प्रभारी श्री रावत पर तोड़फोड़ करने का आरोप लगाया था। मगर उनका कहना है कि उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से बात करने के लिए कई बार प्रयास किए लेकिन उन्होंने हमें समय नहीं दिया। रावत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पंजाब कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने का फैसला उनका नहीं बल्कि विधायकों का था, इसकी उन्हें कोई जानकारी थी। जबकि इस्तीफा देते समय अमरिंदर ने आरोप लगाया था कि विधायक दल की बैठक मुख्य मंत्री को विश्वास में लिए बगैर बुलाई गई है , जिसे वह अपना अपमान समझते हैं।

अमरिंदर के इस्तीफा के बाद माना जा रहा था कि प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू मुख्यमंत्री बनेंगे क्योंकि सिद्धू ने ही अमरिंदर के विरुद्ध पार्टी के अंदर विद्रोह किया था। जिसे दबाने के लिए 23 जुलाई को उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। इसके बावजूद पंजाब कांग्रेस और सरकार के बीच गतिरोध जारी रहा और चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई। चन्नी ने अपने मंत्रिमंडल में सिद्धू के समर्थकों को शामिल नहीं किया और सरकार में आते ही उन्होंने उन अधिकारियों को प्रमुख पदों पर बैठा दिया, जो सिद्धू विरोधी थे। इससे नाराज होकर सिद्धू ने त्यागपत्र दे दिया था। लेकिन हाईकमान ने उनके इस्तीफे को मंजूर नहीं किया था और उन्हें मनाने के प्रयास जारी थे।

बुधवार को मुख्यमंत्री चन्नी ने पहली कैबिनेट बैठक बुलाई थी, जिसमें उप मुख्य मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा एवं कैबिनेट मंत्री राज कुमार वरका सहित दो विधायकों ने कहा कि अगले वर्ष होने वाले चुनाव में सिद्धू को साथ रखना होगा। इस बैठक के बाद हाईकमान ने राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन एवं राजस्थान के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को और बेशक बना कर भेज दिया। दोनों पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के बाद राहुल गांधी ने अन्य वरिष्ठ कांग्रेस जनों से गुरुवार को चर्चा की इसमें श्री माकन सबसे प्रमुख थे।

शुक्रवार को देर शाम दिल्ली से फोन द्वारा देहरादून में श्री रावत को बता दिया गया कि आप उत्तराखंड के चुनाव में पूरा समय वहीं पर दें और फिलहाल पंजाब का प्रभार श्री चौधरी को सौंप दिया गया है। श्री चौधरी छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय है और कभी विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में उन्होंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पराजित किया था। वे बाड़मेर से भाजपा प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह को पराजित कर सांसद भी रहे हैं और 7 वर्षों तक पंजाब के प्रभारी भी रह चुके हैं। इस समय उनके पास राजस्थान सरकार के अलावा संगठन में भी राष्ट्रीय सचिव का पदभार है। माना जा रहा है कि श्री चौधरी के पूर्व अनुभव का लाभ लेने के लिए और श्री रावत को उत्तराखंड चुनाव में बिल्कुल फ्री करने के लिए ही हाई कमान ने यह निर्णय लिया है।

ज्ञानेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार