नरेंद्र मोदी-एक अकेला सब पे भारी

प्रधानमंत्री की चुप्पी से बेचैन है इंडी गठबंधन इस समय पूरे विपक्ष के निशाने पर हैं प्रधानमंत्री, पर सबकी आलोचनाओं को दरकिनार कर नरेंद्र मोदी अपने अभियान में लगे हुए हैं भाजपा की सीटें घट गईं तो विपक्ष ने नाक में दम कर रखा है, बनारस में तो उनके काफिले की कार पर जूता तक फेंक दिया गया

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लखनऊ। राजनीति में जनता भगवान होती है, इसमें कोई दो राय नहीं। 2014 और 2019 में भाजपा को पूर्ण बहुमत देने वाली जनता ने ही 2024 में थोड़ा लगाम लगाकर उसे पूर्ण बहुमत से पीछे कर दिया। ऐसे में भाजपा को अब दो बैसाखियों तेलुगु देशम और जनता दल यूनाइटेड के भरोसे सरकार चलाना पड़ रहा है। नरेंद्र मोदी तो इसे जनता का आदेश मानकर अपने काम में लग गए हैं किंतु इसी को लेकर विपक्षी नाक में दम किए हुए हैं। परंतु मोदी एक अकेला सब पर भारी की नीति पर चल रहे हैं जबकि विपक्ष बारी-बारी से उन पर हमलावर है।

मोदी को हर मुद्दे पर घेरने की कोशिश हो रही है। इस बार तो बनारस की जनता ने भी उन्हें रुसवा कर दिया। इसके अलावा उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय लगातार ताल ठोक रहे हैं। वे कह रहे हैं कि फिर आओ इस्तीफा देकर मैदान में। दो-दो हाथ करते हैं, इस बार हराया नहीं तो राजनीति छोड़ दूंगा। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ने शपथ लेने के बाद ही ग्रुप-7 देशों की मीटिंग में इटली जाकर अपनी धाक जमा दी है। वे देश के अंदर भी किसी को बिना कुछ जवाब दिए अपने अभियान में लगे हुए हैं। कुल मिलाकर विपक्ष मोदी की चुप्पी से भी बहुत परेशान हैं।

लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद एनडीए की सरकार ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शपथ ले ली है। मंत्रियों के कामों का बंटवारा भी हो गया है। गठबंधन में फिलहाल कोई विवाद नहीं दिख रहा है। किंतु विपक्ष लगातार किसी न किसी मामले पर सरकार को घेरने की कोशिश में लगा है। विपक्ष इसके जरिए अपने लोगों को यह संदेश देने में जुटा है कि मोदी सरकार अल्पमत में है, क्योंकि भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में उनके साथियों का कोई भरोसा नहीं है, सरकार कभी भी गिर सकती है। और तब ऐसी स्थिति में इंडी गठबंधन की सरकार बनेगी। विपक्ष पूरी तरह ये नैरेटिव सेट करने में लगा है कि नरेंद्र मोदी गठबंधन की सरकार चला ही नहीं पाएंगे क्योंकि उनका तथाकथित तानाशाही रवैया गठबंधन के साथियों को पसंद नहीं आएगा और वे छोड़कर चले जाएंगे। उधर राजनीति के जानकार इसे अपने कुनबे को बचाए रखने की विपक्ष की कोशिश करार देते हैं।

प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर भी तौबा मची रही। विपक्ष का कहना था कि कांग्रेस के आठ बार के सांसद को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया जबकि सात बार के भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को बना दिया गया। आरोप लगा कि इस मामले में कांग्रेस सांसद के सुरेश की वरिष्ठता का ध्यान नहीं रखा गया। इस पर एनडीए के लोगों का तर्क था कि श्री महताब लगातार सात बार चुन कर आए हैं जबकि कांग्रेस सांसद के सुरेश आठ बार चुने तो गए हैं लेकिन बीच में दो बार का गैप है। इसलिए वरिष्ठता भाजपा सांसद की ही है। वैसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी भर्तृहरि महताब के ही प्रोटेम स्पीकर के रूप में नियुक्ति पर अपनी मोहर लगाई।

इसी प्रकार नीट परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर पिछले कई दिनों से विपक्ष हमलावर है। छात्र भी आंदोलित हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार ग्रेस मार्क पाए सभी बच्चों की दोबारा परीक्षा होनी है। इस मामले की हाई लेवल कमेटी से जांच कराने की भी घोषणा शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कर दी है। परंतु पूरा विपक्ष और छात्रों का एक गुट पूरी परीक्षा निरस्त करने पर आमादा है। दुर्योग से इसी बीच यूजीसी नेट परीक्षा में भी गड़बड़ी की शिकायत मिल गई तो सरकार ने पूरी परीक्षा निरस्त कर सीबीआई को जांच सौंप दी है और फिर से परीक्षा कराने की घोषणा कर दी है। विपक्ष लगातार नीट मामले में बच्चों के आंदोलन में आग में घी डालने का काम कर रहा है। हालांकि इस मामले में सरकार ने हाई लेवल कमेटी गठित कर जांच के आदेश दे दिए हैं। इसके अलावा एनटीए के महानिदेशक को भी हटाकर दूसरे की नियुक्ति कर दी गई है। पर विपक्ष और छात्रों का एक गुट परीक्षा निरस्त कराने पर अड़ा है। इस मामले में सरकार का कहना है कि मामला चूंकि सुप्रीम कोर्ट के अधीन हो गया है इसलिए बिना उसकी अनुमति के कुछ नहीं किया जा सकता। केंद्रीय कैबिनेट ने भी लोक परीक्षा कानून लागू कर इस तरह की परीक्षाओं में सख्ती बढ़ाने के संकेत दे दिए हैं। इस कानून में तगड़ा जुर्माना और जेल का प्रावधान है।

अभी हाल ही में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी इडी को बिना सुने अरविंद केजरीवाल की जमानत मंजूर कर ली थी और उन्हें एक लाख के निजी मुचलके पर छोड़ने का आदेश कर दिया था। दूसरे दिन उनकी रिहाई हो पाए इसके पहले ही इडी ने हाईकोर्ट में अपील कर दी। हाईकोर्ट ने सुनवाई होने तक जमानत पर रोक लगाकर रिहाई प्रक्रिया स्थगित कर दी। इसको लेकर भी आम आदमी पार्टी सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी पर हमलावर हो गई। उसको इडी या कोर्ट से कोई दिक्कत नहीं थी, दिक्कत नरेंद्र मोदी से थी। आप का कुतर्क था कि नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रुचि लेकर जमानत कैंसिल करवा दिया है। इसको लेकर दिनभर टीवी चैनलों पर हाथ तौबा रही।

गत 19 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर थे। वहां पर उन्होंने किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त का लगभग 20000 करोड रुपया जारी किया और किसान सखी को प्रमाण पत्र भी दिए। शाम को उनके काफिले पर किसी शरारती व्यक्ति ने चप्पल फेंक दिया तो उसको लेकर भी विपक्ष चटकारे ले रहा है। उसका कहना है कि वाराणसी ने प्रधानमंत्री को नजर से गिरा दिया है। लोगों ने नाराजगी जताते के लिए ही काफिले पर चप्पल फेंका। इस मामले में तो इशारे-इशारे में कांग्रेस नेता और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने भी मोदी पर हमला किया और कहा कि प्रधानमंत्री लोगों के दिल से उतर गए हैं इसलिए उनका रोष इस तरह की वारदातों के रूप में निकल कर आ रहा है। राहुल गांधी का कहना है कि मोदी का 56 इंच का सीना अब सिर्फ 32 इंच का रह गया है। मोदी ने अबतक लोगों को डरा कर रखा था परन्तु अब उनके कमजोर होने से लोगों का डर खत्म हो गया है। इसीलिए लोगों का गुस्सा निकल कर आ रहा है। उनका मानना है कि मोदी ने अपने गठबंधन साथियों, अपनी पार्टी के लोगों और जनता को भी डराकर रखा था। किंतु 2024 के चुनाव परिणाम ने ये डर समाप्त कर दिया है। इसी संदर्भ में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज सिंह काका का कहना है कि प्रधानमंत्री के गलत कर्मों के कारण ही उनके काफिले पर चप्पल फेंका गया। हालांकि उन्होंने आगे जोड़ा कि हम ऐसे किसी भी कृत्य की निंदा करते हैं, कबीर की धरती पर ऐसा करना गलत है।

मोदी सरकार पर हमला करते हुए शिवसेना यूबीटी के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के स्थापना दिवस समारोह में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी की सरकार चलने वाली नहीं है। यह सरकार बहुत ही जल्दी गिर जाएगी। तब हम इंडिया गठबंधन वाले सत्ता संभालेंगे। उनकी पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत तो लगातार ये गाना दोहराए जा रहे हैं। इस बाबत समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का कहना है कि एनडीए के सहयोगी दल मोदी से नाराज हैं। इसलिए ये सरकार 5 साल नहीं चलने वाली है। उन्होंने दावा किया कि एनडीए के बहुत से लोग हमारे संपर्क में हैं। टीएमसी की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी कहना है की जनता ने मोदी के साथ खेला करके सबक सिखाया है।

जवाब में एनडीए भी विपक्ष को घेरने और लताड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। इस बाबत राष्ट्रीय लोक दल के प्रवक्ता मलूक नागर का कहना है कि पहली बार कोई लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बना है। पहली बार कोई योजना 15 साल तक चलने वाली है। बड़ी मुश्किल से विपक्ष को इस बार नेता प्रतिपक्ष बनाने का मौका मिला है। इसलिए पहले उस पर काम करना चाहिए। विपक्ष को अपने खेमे की चिंता करनी चाहिए। उन्हें अखिलेश यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए क्योंकि राहुल गांधी ने अभी तक इस पद के लिए हामी नहीं भरी है, जबकि कांग्रेस पार्टी ने प्रस्ताव पारित कर उनको अपनी ओर से नामित कर दिया है। विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा की प्रवक्ता राधिका खेड़ा का कहना है कि देश की जनता ने कुछ ज्यादा सीटें देकर आपको जिम्मेदार विपक्ष बनने का मौका दिया है, आप वही करें। हमको जो करना है हम करते रहेंगे। इसके अलावा भाजपा के प्रवक्ता आर पी सिंह का कहना है कि विपक्ष से अपना गठबंधन तो संभल नहीं रहा और मोदी सरकार की चिंता किए बैठे हैं। उनके गठबंधन से आम आदमी पार्टी अलग हो गई, अखिलेश यादव नाराज बैठे हैं और ममता बनर्जी अभी औपचारिक रूप से गठबंधन में है ही नहीं। ऐसे में उन्हें पहले अपनी चिंता करनी चाहिए। हम एनडीए वाले एकजुट थे और रहेंगे।

इस बारे में एनडीए के दोनों प्रमुख घटक दलों तेलुगु देसम और जनता दल यूनाइटेड ने बयान जारी कर और टीवी चैनलों में अपनी बात रखकर साफ बता दिया है कि वे एनडीए के साथ हैं, और रहेंगे। एनडीए के साथ रहने की हमारी कोई शर्त नहीं है, और ना ही हमारी कोई मांग है। दोनों पार्टियों के प्रवक्ता लगातार टीवी चैनलों पर मोदी सरकार के समर्थन में बयान देते और उनके कार्यों का बचाव करते दिख जाते हैं। किंतु विपक्ष को अभी भी लगता है कि यह दोनों प्रमुख दल मोदी से नाराज हैं और जल्द ही उनके खेमे में आ जाएंगे। विपक्ष में पहले तेलुगू देशम और फिर जनता दल यूनाइटेड को उकसाया कि वे अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के समय की नीति पर चलें और लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करें। किंतु इस पर न तो तेलुगू देश ने कोई रिएक्शन दिया और न ही जनता दल यूनाइटेड ने। इसको लेकर भू विपक्ष में बड़ी बेचैनी है। हो सकता है कि विपक्ष इस मामले में मोदी के साथ माइंड गेम खेल रहा हो परंतु नरेंद्र मोदी की चुप्पी में पूरे विपक्ष को परेशान कर रखा है। और विपक्ष को जवाब देने का काम भाजपा और सहयोगी दलों के प्रवक्ता लगातार कर रहे हैं। इसको लेकर विपक्षी दलों में बड़ी बेचैनी है।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक