यूपी में दस हजार से अधिक कुष्ठ रोगी, अब विशेष अभियान

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लखनऊ। योगी सरकार कुष्ठ और फाइलेरिया रोगियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने एवं इसे जड़ से खत्म करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है। सीएम योगी की मानीटरिंग का ही नतीजा है कि प्रदेश में पिछले दो वर्ष में विशेष अभियान चलाकर दस हजार से अधिक कुष्ठ रोगियों को चिह्नित कर उनका इलाज किया जा रहा है। इतना ही नहीं, योगी सरकार उनके रहने और पौष्टिक आहार की समुचित व्यवस्था भी कर रही है। इसी क्रम में सीएम योगी के निर्देश पर मंगलवार को विश्व नॉन ट्रॉपिकल डिजीज यानि विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) दिवस पर जन जागरूकता के विविध कार्यक्रम हुए।

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप प्रदेशभर में कुष्ठ रोग को जड़ से खत्म करने के लिए स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान एवं कुष्ठ पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इसी के तहत मंगलवार को आईएमए में विभिन्न जन जागरुकता के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डीजी हेल्थ डॉ. ब्रजेश राठौर ने कहा कि कुष्ठ रोग छुआछूत की बीमारी नहीं है। हमें इसे समझना होगा। हमें रोगी से नहीं, रोग से बचना चाहिए। कार्यक्रम की राज्य नोडल अधिकारी डाॅ. जया देहलवी ने बताया कि सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश में चलाए गए विशेष अभियान में अब तक 10000 से ज्यादा कुष्ठ रोगियों की तलाश की जा चुकी है। कार्यक्रम में कुष्ठ रोगियों को कंबल, चप्पल एवं प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया।

वहीं कुशीनगर की कुष्ठ रोगी चैंपियन नलिनी को ससम्मान मंच पर भी स्थान दिया गया। इसके अलावा बेहतर कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आईएमए लखनऊ, रोटरी इंटरनेशनल और इनरव्हील का सहयोग से नुक्कड़ नाटक और जादू के शो के जरिए भी प्रतिभागियों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक किया गया।

10 फरवरी से शुरू होने वाले आईडीए अभियान का जरूर बनें हिस्सा : एनटीडी दिवस पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सरोजनीनगर और उच्च प्राथमिक विद्यालय माती में फाइलेरिया जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से यूपी राजकीय सैनिक स्कूल की छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक का मंच किया। इसमें 10 फरवरी से शुरू होने वाले सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) की जानकारी दी गई। सीएचसी अधीक्षक डॉ. चंदन सिंह ने कहा कि आईडीए अभियान राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चलाया जाता है। इसके तहत साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा आवरमेक्टिन डाईइथाइल कार्बामजीन और एलबेंडाजोल खिलाई जाती है। फाइलेरिया लाइलाज और गंभीर बीमारी है।

प्रबंधन के आभाव में यह बीमारी व्यक्ति को दिव्यांग भी बना सकती है, इसलिए 10 फरवरी से शुरू होने वाले आईडीए अभियान के तहत फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन जरूर करें। आईडीए अभियान के तहत फाइलेरियारोधी दवा का लगातार तीन साल तक सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। दो साल से कम के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना चाहिये। यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है। बस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है।