जानिए निकाय चुनाव के मायने और आप

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निकाय चुनाव और आप……. पांच साल के लिए एक बार फिर जनता को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने बीच के एक व्यक्ति को प्रतिनिधि के रूप में चुनने का अवसर मिला है। गांव में जिस तरह प्रधानी का चुनाव होता है उसी तरह शहरों में पार्षद या सभासद का चुनाव होता है। लेकिन असल सवाल ये है कि क्या मतदाता अपने मत देने के अधिकार के प्रति गंभीर है। क्या उसे पता है कि उसके कारपोरेट के प्रति क्या अधिकार हैं। या कारपोरेट की उनके प्रति क्या ड्यूटी है।

संसद सदस्य (एमपी), विधान सभा सदस्य (एमएलए) और नगरसेवक (कारपोरेटर) के बीच आम बात यह है कि वे पूर्व-निर्धारित क्षेत्र (जनसंख्या के अनुसार) में रहने वाले लोगों की जरूरतों और खर्चों के लिए वह जिम्मेदार होते हैं। एक सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए उन सभी योजनाओं और मांगों के लिए जिम्मेदार होता है, जो केंद्र द्वारा शासित होती हैं या जिन्हें पूरा करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होती है। जैसे बिजली, रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्ग, बंदरगाह, हवाई अड्डे, कोयला, पेट्रोलियम, विदेश मामले, कॉर्पोरेट निकाय, नदियाँ, अधिकार और स्वच्छ भारत, मुद्रा, बेटी बचाओ बेटी पढाओ जैसी सभी केंद्रीय योजनाओं से संबंधित जरूरतें।

एक विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सभी योजनाओं और मांगों के लिए जिम्मेदार होता है, जो राज्य सरकार द्वारा शासित होते हैं या जिन्हें पूरा करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है। जैसे जल आपूर्ति, कृषि, राज्य परिवहन, शिक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और राज्य वित्त से संबंधित आवश्यकताएं।

एक नगरसेवक या कारपोरेटर अपने नगरपालिका क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए सभी योजनाओं और मांगों के लिए जिम्मेदार होता है। जैसे सीवेज, लेन बनवाना या स्ट्रीट रोड की स्थिति, स्ट्रीट लैंप, स्वच्छता, नगर निर्माण की सीमाओं और बहुत छोटे क्षेत्र में सरकार से संबंधित सभी कार्यों के ले।

सांसद, विधायक और कारपोरेटर ये तीनों लोग हमें सभी सेवाएं प्रदान करने के लिए मिलकर काम करते हैं। हम यह कह सकते हैं कारपोरेटर का काम नगर निगम के कार्यों से संबंधित हैं और वह जनता की बुनियादी आवश्यकताओं की समस्याओं का समाधान करते हैं। मेयर कारपोरेटरों की टीम का नेतृत्व करते हैं। निगम का बजट क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से तैयार करवाते हैं। जिसके लिए बाकायदा नगर निगम सदन की बैठकें होती हैं। प्रस्ताव तैयार करके अनुमोदन कराया जाता है। ये कारपोरेटर मेयर को रिपोर्ट करते हैं।

मोटे तौर पर एक सभासद पूर्ण रूप से नगर पालिका में जनता के कल्याण और हितों के लिए कार्य करता है। सभासद परिषद की बैठकों, परिषद समिति की बैठकों और अन्य संबंधित निकायों की बैठकें में भाग लेता है। वह नगर पालिका के कार्यक्रमों और नीतियों के विकास और मूल्यांकन में भाग लेता है। वह जनहित के मुद्दों को परिषद की बैठकों में आत्मविश्वास के साथ रखने में सक्षम रहता है। वह नगर पालिका के संचालन और प्रशासन से संबधित मुख्य प्रशासनिक अधिकारी से सभी प्रकार की जानकारी को प्राप्त करता है।

सभासद का दायित्व है कि वह निगरानी करे कि उसके क्षेत्र में सार्वजनिक सड़कों और नालियों की सफाई हो रही है या नहीं, सार्वजनिक शौचालयों मूत्रालयों की सफाई एवं रख रखाव ठीक से हो रहा है या नहीं, कूड़ा का एकत्रीकरण एवं परिवहन, और निस्तारण की व्यवस्था, मृत पशुओं के शवों का निस्तारण, नगर स्वच्छ रखने के अन्य उपायों पर प्रभावी अमल, गन्‍दे जल के निस्तारण के कार्य, जन्म-मृत्यु पंजीकरण, शवों के निस्तारण हेतु निर्धारित स्थानों का विनियमन, संक्रामक रोगों की रोकथाम के उपाय, स्वास्थ्य के लिये हानिकारण व्यवसायों पर नियंत्रण, आवारा पशुओं को पकड़ना, पालतू कुत्तों की लाइसेंसिंग, उपविधियों के अधीन अथवा अन्य लाइसेन्स। यदि उपरोक्त कार्यों या हाउस टैक्स या वाटर या सीवेज सम्बंधी शिकायतें हैं तो उनका निस्तारण कराए।

यदि आपका सभासद बीते पांच साल से आपको नहीं दिखा है पांच साल बाद वह एक बार फिर आपके दरवाजे पर है तो उसे वोट क्यों दिया जाए ये सवाल आप पूछ सकते हैं। इसके अलावा जिस व्यक्ति पर आप विश्वास करते हैं कि वह आपकी समस्याओं को सुलझा सकता है तो उसे वोट दे सकते हैं। बिना किसी भय या प्रलोभन के वोट देना आपका अधिकार है। लेकिन आपको ये भी चेक करना होगा कि आपका नाम मतदाता सूची में है या नहीं। अगर आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है तो चाहकर भी आप कुछ नहीं कर पाएंगे।

रामकृष्ण वाजपेयी एसोसिएट प्रोफेसर जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन कानपुर