दुनिया का विलक्षण पक्षी कीवी

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विलक्षण पशु-पक्षियों की दुनिया में कहीं कोई कमी नहीं। कीवी अपनी विलक्षता के कारण दुनिया-जहान में जाना-पहचाना जाता है। कीवी फल भी होता है आैर कीवी पक्षी भी होता है। खास बात यह है कि कीवी चाहे पक्षी हो या फल…. दोनों ही राष्ट्रीयता का दर्जा रखते हैं।

जी हां, पक्षी कीवी को न्यूजीलैण्ड में राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा हासिल है तो वहीं न्यूजीलैण्ड में इस नाम के फल को भी राष्ट्रीय फल का खिताब दिया गया है। अण्डा देने वाली रीढ़धारी प्राणी श्रंखला एवं पक्षियों की देश-दुनिया में लगभग दस हजार प्रजातियां धरती पर उपलब्ध हैं। इन दस हजार प्रजातियों में दो इंच से लेकर आठ फुट  तक लम्बे पक्षी पाये जाते हैं। नभ से लेकर जल एवं थल पर इनकी धमाचौकड़ी आम तौर पर दिखती है।

इन पक्षियों में कई ऐसे भी होते हैं, जो ढ़ाई सौ मीटर गहरे जल में आसानी से डुबकी लगाते हैं। कीवी अपनी विलक्षणता के कारण खास पहचान रखता है। कीवी में गजब का साहस होता है क्योंकि अपने प्रतिद्वंदी से डर कर भागता नहीं बल्कि डट कर मुकाबला करता है। लड़ने के लिए कीवी अपने पैने नखों वाले पैरों का उपयोग करता है। पैने नख वाले पैरों से ही वह प्रतिद्वंदी पर हमला करता है।

मूलत: न्यूजीलैण्ड का यह पक्षी कीवी अब जापान, ब्रााजील, आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया व साईबेरिया में भी पाया जाता है। न्यूजीलैण्ड में इसे राष्ट्रीय पक्षी के साथ ही विलक्षण पक्षी के रुप में भी देखा जाता है। वस्तुत: यह पंखहीन पक्षी होता है। इसलिये कीवी उड़ान नहीं भर सकता। कीवी की टांगे मोटी व ताकतवर होती हैं। इसके डैने अल्प विकसित व चोंच लम्बी होती है।

कीवी के शरीर का अधिसंख्य हिस्सा भूरा होता है। बिल्ली की भांति मूंछ होती है तो वहीं इसकी नाक की बनावट कुछ अलग व विचित्र होती है। लम्बी पतली चोंच में भी सिरे होते हैं। आंख की दृष्टि काफी कमजोर होती है लेकिन सूंघने की शक्ति गजब होती है। इसी सूंघने की शाक्ति के कारण कीवी को आहार प्राप्त होता है। कीवी की आंख अपेक्षाकृत काफी छोटी होती है। शायद इसी कारण दिन के उजाले में वह एक फुट से अधिक दूर आसानी से नहीं देख सकता।

रात्रि के अंधकार में कीवी छह से दस फुट तक आसानी से देख सकता है लेकिन सूंघने एवं सुनने की शक्ति कहीं अधिक होती है। इसी सूंघने व सुनने की शक्ति की बदौलत वह आहार की तलाश व विचरण करता है। चूंकि कीवी की रात्रि में दृष्टि कहीं अधिक तीव्र होती है। लिहाजा आहार की तलाश में कीवी रात्रि में ही निकलता है। सूंघ कर वह शिकार की तलाश व खोज करता है। कीड़े-मकोड़े, केचुये व घोंघा आदि को अपना शिकार बनाता है।

कीवी सामान्यत: घने जंगलों में मिट्टी नीचे खोह बना कर रहता है। सामान्यत: कीवी का आकार मुर्गियों की भांति होता है लेकिन उसका झुकाव आगे की ओर अधिक होने से वह छोटा होने का एहसास कराता है। उसके छोटे व मोटे पैर अत्यधिक ताकतवर होते हैं। इन छोटे-मोटे पैरों की बदौलत कीवी तेज दौड़ लगाने में दक्ष होता है।

मादा कीवी एक बार मे दो अण्डे देती है। अण्डे करीब पांच इंच लम्बे व तीन इंच चौड़े होते हैं। अण्डों को लगभग अस्सी से नब्बे दिन सेना पड़ता है। अण्डों को सेने का कार्य नर कीवी करता है। कीवी चूजे को उसके भरोसे छोड़ देते हैं। कारण वजन अधिक होने के कारण चूजे को इधर-उधर घुमाया नहीं जा सकता। लिहाजा चूजों को कुछ समय तक भूखा रहना पड़ता है। कीवी को आत्मनिर्भर होने व परिपक्व होने में करीब छह वर्ष लग जाते हैं। कीवी की आैसत आयु पच्चीस वर्ष होती है।