रायबरेली में वोटर को गुमराह करने का इमोशनल खेल

* भूपेश बघेल की रायबरेली के लोगों से अपील, आप एमपी नहीं पीएम चुनने जा रहे हैं, इसलिए राहुल गांधी को जिताएं * प्रियंका बता रही हैं कि उनका चेहरा दादी इंदिरा से मिलता है और उनके परिवार का रायबरेली अमेठी से पुराना माता है * इशारे इशारे में यह भी बताया जा रहा है कि राहुल गांधी वायनाड से भी जीत गए तो भी वे रायबरेली सीट का ही चुनाव करेंगे * खड़गे ने भी मान लिया कि मोदी की मुफ्त राशन योजना जरूरी है और वे इसे 5 किलो से बढ़ाकर 10 किलो कर देंगे

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लखनऊ। जैसे-जैसे रायबरेली और अमेठी में मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे कांग्रेसियों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। अब कांग्रेसियों की सारी ऊर्जा सिर्फ एक सीट पर खर्च हो रही है। अंदर खाने की खबर यही बता रही है कि कांग्रेस अमेठी में फिर फंसी हुई है। खराब स्थिति रायबरेली में भी है। वहां भाजपा के प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह लगातार कांग्रेस की नाक में दम किए हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि इसीलिए कांग्रेस अब अमेठी की आस छोड़कर अपना सारा ध्यान रायबरेली में लगाए हुए हैं। कांग्रेस के लिए अब रायबरेली से ही आस बची हुई है।

मीडिया रिपोर्ट को मानें तो राहुल गांधी वायनाड में बहुत अच्छी पोजीशन में नहीं हैं। एकदम से यह तो नहीं कहा जा सकता कि वे वहां से हार जाएंगे पर वे वहां से जीत जाएंगे इसकी भी गारंटी कोई नहीं ले रहा है। खबर है कि वे वहां तिकोने संघर्ष में फंसे हुए हैं। इसी के चलते कांग्रेसियों की प्रतिष्ठा रायबरेली में फंसी हुई है। बड़े नेताओं का आगमन हो रहा है। खबर है कि रायबरेली में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अमेठी में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत डेरा जमाए हुए थे। जब भूपेश बघेल यह कहने लगें कि आप रायबरेली से सिर्फ सांसद नहीं प्रधानमंत्री चुनने जा रहे हैं तो शंका होती है। क्योंकि प्रधानमंत्री पद के दावेदार की चर्चा तो अभी उनके गठबंधन में है ही नहीं। इस बाबत जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बुधवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा गया तो उन्होंने कहा इस पर हम अभी कुछ नहीं कहेंगे। यह हमारी रणनीति का हिस्सा है। यानी पीएम का चेहरा अभी तय नहीं है। ऐसे में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताना सिर्फ वोटर को गुमराह करने जैसा है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायबरेली में चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से कहा कि आप इस बात का ध्यान रखें आप रायबरेली से कांग्रेस का सिर्फ सांसद नहीं पीएम भी चुनने जा रहे हैं। आप जब भी वोट करें तो इसका ध्यान रखें।

उधर प्रियंका गांधी लगातार रायबरेली और अमेठी से अपने पारिवारिक रिश्तों की दुहाई देती घूम रही हैं। वे फिरोज गांधी से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के रायबरेली और अमेठी से लगाव की चर्चा करना नहीं भूलतीं। इशारे इशारे में प्रियंका गांधी इस बात का भी संकेत देना नहीं भूलतीं कि राहुल गांधी अगर रायबरेली सीट भी जीते तो वायनाड सीट ही छोड़ेंगे।

उधर जनता लगातार अपने दो सवालों के जवाब मांग रही है। भाजपा इन दोनों सवालों को पूरी जोरदारी के साथ उठा रही है। उसका कहना है कि अगर अमेठी राहुल गांधी का परिवार था तो अमेठी से हारने के बाद उन्होंने अमेठी को छोड़ क्यों दिया। वे पलट कर आए क्यों नहीं। नहीं आए तो चलो ठीक पर अमेठी से पर्चा क्यों नहीं भरा, रायबरेली क्यों चले गए। क्या उन्हें अमेठी की जनता पर विश्वास नहीं। दूसरा यह कि अब क्या भरोसा कि रायबरेली से जीतने के बाद वे रायबरेली के ही बनकर रहेंगे। भाजपा इस मुद्दे को बहुत शिद्दत के साथ उठा रही हैं जो राहुल गांधी के पक्ष में तो नहीं दिखता।

इसके अलावा कांग्रेस इस समय मजबूरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाइन पर आगे बढ़ती हुई दिख रही है। जो कांग्रेस देश में गरीबी होने का हवाला देते हुए मोदी सरकार के 5 किलो राशन मुफ्त देने के निर्णय पर कमेंट किया करती थी आज वही इससे आगे बढ़ती दिख रही है। बुधवार को लखनऊ में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्रकार वार्ता थी। इसमें तमाम बातों के अलावा मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भी आश्वासन दिया कि यदि गठबंधन की सरकार बनती है तो हम 5 किलो नहीं 10 किलो अनाज देंगे। यानी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस निर्णय को सही साबित किया। इसके पहले कांग्रेसी इस निर्णय की आलोचना किया करते थे। जब यह घोषणा हो रही थी तो उस समय अखिलेश यादव भी सिर हिलाते दिखे। राहुल गांधी ने भी इससे पहले प्रचार के दौरान लोगों को आश्वस्त किया था कि हम गरीबों को दिये जाने वाले अनाज की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों सुधारेंगे। यानी साफ सुथरा अनाज देंगे और ज्यादा देंगे। राहुल गांधी के इसी बयान को खड़गे ने तस्दीक किया।

उधर रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी ने मुफ्त राशन की आलोचना करते हुए लोगों से पूछा था कि क्या सिर्फ 5 किलो अनाज से आपका काम चल जाएगा, क्या आपको नौकरी नहीं चाहिए। इस प्रकार कांग्रेस नेताओं के बयानों में तालमेल नहीं है और इससे वोटर कंफ्यूज हो रहा है। ख़ैर, राशन वितरण पर भाजपा सरकार के आड़े हाथों लेने वाली कांग्रेस पार्टी अचानक राशन वितरण पर अपना स्टैंड बदलने पर मजबूर हो गयी है। शायद उसको लगने लगा है कि 80 करोड़ गरीबों को 5 किलो राशन देना मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक है। इस प्रकार कांग्रेस और पूरा विपक्ष मोदी के बने जाल में खुद ही फस गया है।

हालांकि मल्लिकार्जुन खड़गे ने राशन वितरण पर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी कोई नया काम नहीं कर रहे हैं। हमने फूड सिक्योरिटी एक्ट बनाया था जिसके तहत हर भूखे को अनाज देना सरकार की जिम्मेदारी है। मोदी 5 किलो अनाज देकर किसी पर अहसान नहीं कर रहे हैं। मोदी हमारी योजना पर ही अमल कर रहे हैं। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस पार्टी पर और विशेष कर गांधी फैमिली पर लगातार हमलावर हैं। उनका दावा है कि इस बार यूपी से कांग्रेस का खाता भी नहीं खुलने वाला।

गृह मंत्री अमित शाह का तो कहना है कि रायबरेली से हमारे उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह राहुल गांधी को हराकर भारी बहुमत से जीतने वाले हैं। उनका कहना है कि अमेठी में कांग्रेस पार्टी स्मृति ईरानी को हराने की स्थिति में है ही नहीं। वहां तो कांग्रेस ने हथियार डाल दिए हैं। अगर हिम्मत होती तो गांधी परिवार पर कोई सदस्य अमेठी के समर में जरूर उतरता। उनका कहना था की चर्चाएं तो प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा को भी लेकर थीं। चलो राहुल नहीं उतरे लेकिन प्रियंका और उसके पति में से कोई एक तो चुनावी समर में आता तो गांधी परिवार को अमेठी में अपनी राजनीतिक हैसियत का पता चल जाता। पर सभी भगोड़ा साबित हुए।

उधर अमेठी में भी अपनी पैठ रखने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपने समर्थकों को आजाद कर दिया है कि वे चाहे जिस पार्टी का समर्थन करें। और यह स्थिति भाजपा के लिए मुफीद कही जा रही है। वहीं धनंजय सिंह ने तो खुल्लम-खुल्ला भाजपा का समर्थन कर दिया है। राजा भैया का अपने लोगों को खुला छोड़ देने को लोग भाजपा के पक्ष में उनकी मौन सहमति मान रहे हैं। क्योंकि राजा भैया और धनंजय सिंह के रिश्ते जगजाहिर हैं। इन दोनों दिग्गज ठाकुरों के रुख से भाजपा के पक्ष में माहौल बनता दिखाई दे रहा है।

उधर अमेठी में कांग्रेसी लड़ाई को स्मृति ईरानी बनाम प्रियंका गांधी बताने में लगे हुए हैं। किंतु प्रियंका गांधी जितना समय रायबरेली को दे रही हैं उसकी तुलना में अमेठी को कम दे रही हैं। ऐसे में कांग्रेसियों का यह दांव भी बहुत सफल होता नहीं दिखाई दे रहा है। हां अगर यह बात सामने आती है कि किशोरी लाल शर्मा अगर चुनाव जीते तो इस्तीफा देंगे और उस पर प्रियंका गांधी उप चुनाव लड़ सकती हैं। फिर भी अमेठी में लड़ाई को स्मृति ईरानी बनाम प्रियंका गांधी करने की कांग्रेसियों की कोशिश परवान चढ़ती नहीं दिख रही है। इन सारी परिस्थितियों के मद्देनजर इस समय कांग्रेस के दिमाग में टॉप पर रायबरेली है। अमेठी का नंबर उसके बाद आता है। कांग्रेसियों में रायबरेली सीट जीतने की जितनी तड़प दिख रही है उतनी अमेठी के लिए नहीं दिख रही। दोनों सीटों पर यह चर्चा भी होने लगी है कि दोनों पार्टियों ने कमजोर प्रत्याशी उतारकर रायबरेली और अमेठी का आपस में बंटवारा कर लिया है। कम से कम प्रत्याशियों के चुनाव को देखकर तो यही प्रतीत होता है। आगे क्या होगा ये तो जनता ही तय करेगी पर जनता कभी-कभी ऐसे फैसले कर डालती है जो राजनीतिक पंडितों की समझ में नहीं आते। और शायद रायबरेली और अमेठी में भी यही होने जा रहा है। क्योंकि जनता तो जनार्दन है।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक