दिमाग से नहीं दिल से कीजिए जनसंपर्क

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नई दिल्ली। जनसंपर्क दिमाग से नहीं, दिल से होता है। किसी भी नैतिक समाज और सफल राष्ट्र के निर्माण के लिए यह जरूरी है कि उसका आधार सही ज्ञान की जड़ों से जुड़ा हो। इस कार्य में सरकारी सूचना तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। संचारकों की यह जिम्मेदारी है कि सरकारी जनसंपर्क को किस तरह ज्यादा ‘असरकारी’ बनाया जाए।” यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने आईआईएमसी के विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा ‘सरकारी सूचना तंत्र’ विषय पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग की पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. अनुभूति यादव भी उपस्थित थी।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि हमारी आबादी के एक बड़े हिस्से में अभी भी सरकारी कार्यक्रमों और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरुकता का अभाव है। सरकारी सूचना प्रणाली के माध्यम से हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन कार्यक्रमों और योजनाओं की सूचना समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि आज सरकारी सूचना तंत्र से जुड़े अधिकारी संचार के पारंपरिक साधनों के अलावा सोशल मीडिया की आधुनिक तकनीक का भी बेहतर उपयोग कर रहे हैं। अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों के साथ सरकार के संपर्क और संचार को प्रभावी बनाएं।

इस अवसर पर विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग की पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. अनुभूति यादव ने कहा कि सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में लोगों को जागरूक करने में सरकारी संचार प्रणाली की भूमिका से छात्रों को परिचित कराने के लिए हर वर्ष आईआईएमसी द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। कार्यशाला में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी छात्रों के साथ बातचीत करते हैं और उन्हें विभिन्न सरकारी संचार विभागों की प्रमुख भूमिकाओं, चुनौतियों और स्थापना के बारे में जानकारी देते हैं।

आयोजन के पहले दिन ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन के अपर महानिदेशक के. सतीश नंबूदिरीपाद, पत्र सूचना कार्यालय के निदेशक डॉ. निमिश रुस्तगी, पत्र सूचना कार्यालय के अपर महानिदेशक बी नारायणन एवं स्वच्छ भारत मिशन के पूर्व महानिदेशक अक्षय राउत ने विद्यार्थियों को संबोधित किया।