इज़ी मॅनी के चक्कर में तैर रहा क्रेडिट कार्ड का बुलबुला

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इज़ी मॅनी के चक्कर में तैर रहा क्रेडिट कार्ड का बुलबुला……. क्रेडिट कार्ड बैंकों का पसंदीदा बिज़नेस हो गया है। सिर्फ उंगलियां चलाने की जहमत उठाइए और पलक झपकते कर्ज के तौर पर मॅनी हासिल कर लीजिए। कार्ड धारकों की आसानी ने बैंकों की कमाई भी बहुत आसान कर दी है। लेकिन फलने-फूलने वाला क्रेडिट कार्ड बिज़नेस पानी के बुलबुले की तरह है जो कभी भी फूट सकता है और बैंकों का हजारों करोड़ रुपए एक झटके में साफ कर देगा।

लेनदार और देनदार दोनों को मनमाफिक प्राप्ति का साधन बना क्रेडिट कार्ड का बिज़नेस दिन दूना रात चौगुना की रफ्तार से समृद्ध हो रहा है। हालांकि बैंक विनियामकीय चेतावनी-चिंताओं की अनदेखी करते हुए पूरे दमखम से इस बिज़नेस बैंक को प्रमोट करने में लगे हैं। क्रेडिट कार्ड के जरिए दिया जाने वाला ऋण असुरक्षित श्रेणी (अनसिक्योर्ड) में आता है, यानी बैंक बिना कुछ गिरवी रखे ऋण दे देता है, इसकी वसूली अपेक्षाकृत बहुत मुश्किल भरी और बहुत मामलों में तो असंभव भी होती है।

जारी कर्ता सभी बैंक क्रेडिट कार्ड ऋण पर ब्याज दर ३-४ प्रतिशत लेते हैं, कार्ड धारक इसे बहुत कम मानता है लेकिन यह दर मासिक होती है। ब्याज की वार्षिक दरों के सामने तो अंग्रेजी राज के साहूकार भी हल्के पडते हैं। समझिए आज़ाद भारत के सफेदपोश साहूकार बैंकों की सूदखोरी। करीब-करीब सभी देशी-विदेशी, सरकारी -निजी और सहकारी बैंक क्रेडिट कार्ड बिजनेस में सक्रिय हैं। इनमें प्रमुख हैं एचडीएफस, आईसीएआई, भारतीय स्टेट बैंक, एचएसबीसी, कोटक सहित ३१ बैंक या इनकी सब्सिडियरी क्रेडिट कार्ड जारी करती हैं। इनमें से भी टाॅप छः की बाजार हिस्सेदारी ८०-८१ प्रतिशत है। एक बैंक के एक या इससे अधिक कटेगरी के क्रेडिट कार्ड बाजार में हैं, यही हाल धारकों का है, एक धारक कई बैंकों के या एक बैंक के एक से अधिक कार्ड यूज़ करते हैं। वैसे सबसे अधिक कटेगरी के कार्ड एचडीएफसी के हैं।

बैंकें क्रेडिटकार्डों पर ऋणों पर धारकों से मासिक २.४८ प्रतिशत से लेकर ३.८५ प्रतिशत और वार्षिक ४२ प्रतिशत से लेकर ५२.८६ प्रतिशत की दर से ब्याज वसूल करते हैं। इज़ी मॅनी की खूबी से लैस क्रेडिट कार्ड के तेजी से पसरते जा रहे भारतीय बाजार की स्थिति इसी से समझिए कि क्रेडिट कार्डों की संख्या वर्ष २०१७, मार्च में २.९ करोड़, २०१८ में ३.७ करोड़ २०१९ में ४.७ करोड़, २०२० में ६.२ करोड़, २०२२ में ७.३ और २०२३ मार्च में ९.२ करोड़ हो गई और २०२५ तक पंद्रह करोड़ और इनके जरिए ली जाने वाली ऋणराशि का अनुमान लगाया जा सकता है। जबकि देश में सिर्फ पांच प्रतिशत लोग क्रेडिट कार्ड धारक हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक की ताजा फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट और बुलेटिन में महत्वपूर्ण खुलासे किये गये हैं। ध्यान देने की बात है एक तरफ अर्थव्यवस्था की बुनियाद कहे जाने वाले उद्योग क्षेत्र को वितरित ऋण सहायता में एक वर्ष के अंतराल में जबर्दस्त गिरावट आना अर्थव्यवस्था की कमजोर सेहत का संदेश है। बैंकों द्वारा कुल दिए गए ऋणों में उद्योग क्षेत्र की हिस्सेदारी २०२२, मार्च में २६.३ प्रतिशत से घटकर २०२३, मार्च में २४.३ प्रतिशत रह जाना चिंताजनक है।

दूसरी तरफ क्रेडिट कार्डों के जरिए दिए गए ऋणों की कुल बकाया राशि में पिछले एक वर्ष के अंदर २९.७ प्रतिशत की अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई।२०२३, अप्रैल में क्रेडिट कार्ड बकाया ऋणराशि २ लाख २५८ करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गई। क्रेडिट कार्ड ऋणों का अधिकांश इस्तेमाल अनुत्पादक कार्यों में किया जाता है।

रिज़र्व बैंक ने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि मार्च,२०२२ से मार्च २०२३ की अवधि में क्रेडिट कार्ड एनपीए दोगुना हो गया, इसका ९ प्रतिशत से बढ़कर १८ प्रतिशत हो जाने का सीधा सा अर्थ है बैंकों की रकमों का डूबना । रिजर्व बैंक ने बैंकों को आगाह भी किया है।

प्रणतेश बाजपेयी