आयुर्वेदिक उपचार में क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए। वैद्य का उपचार हेतु चयन कैसे करें और औषधियां कैसी हो और गुणवत्ता कितनी हो इस पर श्रीनाथ आयुर्वेद संस्थान भगवत दास घाट कानपुर के मुख्य चिकित्सक डॉ रविंद्र पोरवाल में बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी दी है।
आंख खोलने वाली सच्चाई को समझें : किसी बीमारी से पीड़ित होने पर उपचार के लिए सामान्य रूप से रोगी एलोपैथिक इलाज अनेकों चिकित्सको छोटे से लेकiर बड़े बड़े नर्सिंग होम अस्पतालो मे किस्म किस्म की अनेकों जांचे करा करा कर जब थक जाता है, हताश और निराश हो जाता है, शरीर और पैसे से बुरी तरह टूट जाता है लेकिन उसे रोग से मुक्ति नहीं मिलती। तब वह एक चमत्कार की आशा में आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार शुरू करता है। जबकि सत्यता यह है की काफी समय तक इधर-उधर उपचार करने से बीमारी समय के साथ उग्र रूप तक बढ़ जाती है। इसे ठीक करने में आयुर्वेदाचार्य, वैद्य को काफी मेहनत करनी होती है और बीमारी को जड़ से ठीक करने में समय भी लगता है क्योंकि आयुर्वेद बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने का बीमारी से स्थाई रूप से छुटकारा पाने का दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है।
भ्रमित न हो : उच्च शिक्षित पढ़े-लिखे लोगों द्वारा अज्ञानता बस और एलोपैथिक चिकित्सकों द्वारा सोची समझी साजिश के तहत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के बारे में दुष्प्रचार जनसामान्य व रोगी को भ्रमित कर देता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पूर्णतया निरापद बिना किसी साइड इफेक्ट के रोग को जड़ से ठीक करने वाली हैं। भारत सरकार ने आयुर्वेद का एक पूरा विभाग मंत्रालय बना रखा है। आयुर्वेदिक रिसर्च काउंसिल औषधि प्रयोगशाला बड़े-बड़े आयुर्वेदिक अस्पताल और मेडिकल कॉलेज भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन संचालित हैं। इसलिए कुछ आधुनिक डॉक्टरों के गलत तथ्यहीन बहकावे में ना आएं।
ढोंगियों से बचें : आयुर्वेदिक उपचार के नाम पर अनेकों धनलोलुप जालसाजो ढोंगियो ने अपनी दुकानें सजा रखी है। वह आयुर्वेदिक औषधियों के नाम पर स्टेरॉइड, दर्द निवारक एंटीबायोटिक औषधि के साथ-साथ अनेकों घातक रसायनों का प्रयोग औषधि के रूप में करते हैं। फलस्वरूप रोगी अपनी बीमारी ठीक होने, पूर्ण स्वस्थ होने के स्थान पर अन्य अनेकों दूसरी बीमारियों के जटिलताओं में फंस जाता है और उसकी एक-एक सांस कष्ट में दुख में हो जाती है। देसी इलाज व आयुर्वेदिक इलाज कराने से पूर्व आयुर्वेदाचार्य की योग्यता अनुभव आदि का भली-भांति परीक्षण करने के बाद ही चिकित्सा परामर्श श्रद्धा भाव पूरे विश्वास के साथ लेना चाहिए।
आयुर्वेदिक औषधियां भी गुणवत्तापूर्ण हो : अनेको आयुर्वेदिक औषधि निर्माताओ और वैद्यों ने इस धर्म व सेवा के कार्य को व्यवसाय बना लिया है और ऊंची कीमत पर स्तरहीन दवाइयां बेचना उनकी मजबूरी बन गई है। मुनाफाखोरी और कमीशनबाजी ने भी आयुर्वेदिक औषधियों की क्वालिटी को खराब किया है। इसलिए आयुर्वेदिक औषधियां सेवन करने से पूर्व आयुर्वेदाचार्य से परामर्श करके अच्छी गुणवत्ता की औषधियों का ही सेवन करना चाहिए।
मन को डावाडोल करता महंगा उपचार : पूरी श्रद्धा पूरे विश्वास की भावना के साथ औषधियों का सेवन शुरू करते हैं। आयुर्वेदिक औषधियां बहुमूल्य होती है महंगी है धन की परेशानी के कारण या आर्थिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद भी बहुत से लोग सोचते हैं कि दवाइयां बहुत महंगी है और दवाइयां बंद कर देते हैं। जिसका दुष्परिणाम उन्हें बीमारी और खराब स्वास्थ्य के रूप में उठाना पड़ता है। इसलिए ध्यान रखना चाहिए जीवन से ज्यादा महंगी दवा नहीं है।
बीमारी को जड़ से खत्म करें : कुछ लोग तुरंत लाभ ना होने पर या लाभ कम होने पर दवाइयां बंद कर देते हैं। एलोपैथिक उपचार और आयुर्वेदिक उपचार में फ़र्क जरूर समझना चाहिए। एलोपैथिक औषधियों के सेवन से दर्द या समस्या मे तुरंत लाभ मिलता है किंतु आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से रोग जड़ से मिटता है। इसलिए दवाइयां खाते-खाते भी दर्द हो सकता है। इससे विचलित होकर इलाज बीच में छोड़ देना रोगी के लिए किसी भी रूप में अच्छा नहीं है।
घातक है मनमर्जी : आयुर्वेदिक इलाज करते समय अपनी मर्जी से दवाइयां बंद कर देना, नियम पूर्वक ना लेना, नियम पूर्वक दवाइयां लेना और कम या ज्यादा मात्रा में दवाई लेना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
वैद्य के बारे में गलत ना सोचे : वैद्य भगवान का रूप होता है। धन्वंतरी भगवान, चरक का विद्यार्थी होता है। इसलिए वैद्य के बारे में अनावश्यक और गलत टिप्पणी करना भी अनुचित है और इसका दुष्फल रोगी को उठाना पड़ता है।