रेलवे के सभी 4 हजार ट्रैक सेंसर खराब,आरडीएसओ चेतावनी की अनदेखी

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रेलवे के सभी 4 हजार ट्रैक सेंसर खराब,आरडीएसओ चेतावनी की अनदेखी की गई, बोर्ड जिम्मेदार……. उड़ीसा के बालासोर में दर्दनाक रेल दुर्घटना का कारण ट्रेन ट्रैफिक, रेललाइनों में गड़बड़ियों की पहचान करने वाले और उसकी सूचना देने वाले ‘मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सेल काउंटर’ (एमएसडीएसी) में खराबी होना रहा। लेकिन बालासोर दुर्घटना के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी रेलवे बोर्ड और इसके बाद रेलमंत्री हैं। यह हादसा स्पष्टतः अव्वल दर्जे की लापरवाही और अनदेखी का मामला है क्योंकि रेलवे का लखनऊ में स्थित अनुसंधान संस्थान आरडीएसओ पिछले एक साल से त्रुटि ग्रस्त सेंसरों के बारे में लगातार चेतावनी के साथ-साथ और दुर्घनाओं के होने की आशंका व्यक्त कर रहा था। रेलवे के सभी सात ज़ोन ट्रैकसेंसर प्रणाली एमएसडीएसी का इस्तेमाल कर रहे हैं।

एमएसडीएसी सेंसर प्रणाली अमेरिका के न्यू जर्सी स्थिति कंपनी फ्राॅशर टेक्नोलॉजी इनकार्पोरेटेड की तकनीक पर आधारित है और भारतीय रेल ने जर्मनी की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कंपनी सीमेंस से बड़ी मात्रा ये सेंसर पिछले दो वित्तीय वर्षों में खरीदे थे। पांच लाख रुपए प्रति सेंसर की दर से सप्लायर को भुगतान किया गया अर्थात कल 200 करोड़ रुपए के इन सेंसरों में डेढ़- दो वर्ष के भीतर ख़राबी आना भी कुछ और आशंकाओं को पैदा करता है।

यह तो रेलट्रैक सेंसर में आई खराबी को बालासोर हादसे का जिम्मेदार ठहराने की बात हुई।एक और महत्वपूर्ण कारण भी है जिसके लिए रेलवे बोर्ड पर ही उंगली उठती है। अब कहा जा रहा है कि ट्रेन सुरक्षा की जिम्मेदारी ट्रेन नियंत्रकों की होती है, नियंत्रकी संख्या ही बहुत कम है, ठीक है। ट्रेन नियंत्रक नियंत्रण स्टाफ के नितांत अभाव से भी जूझ रहे हैं, क्यों? क्योंकि वर्ष 2020 से ट्रैफिक एप्रेंटिस की भर्ती ही बंद चल रही है, विभाग से प्रोन्नत कर्मियों से किसी तरह काम चलाया जा रहा है। ट्रैफिक कंट्रोलिंग जैसे अतिसंवेदनशील कार्य जिसमें 1.15 लाख किलोमीटर रेलट्रैक पर प्रतिदिन 12हजार से अधिक ट्रेनों पर सफर करने वाले करोड़ों यात्रियों की जान से खिलवाड़ करने वाले लापरवाहों को सख्त दंड दिया जाना चाहिए चाहे वह अदना सा रेलकर्मी हो या बोर्ड मेंबर या कोई और शीर्षस्थ।

प्रणतेश बाजपेयी