गर्भावस्था में खान-पान का रखें ख्याल, पोषक तत्वों की नहीं होने दें कमी

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लखनऊ। हर महिला की यह इच्छा होती है कि वह स्वस्थ बच्चे को जन्म दे। इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए गर्भावस्था में पौष्टिक आहार का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना बेहद जरुरी है। गर्भस्थ शिशु का विकास माता के आहार पर निर्भर होता है। गर्भवती को ऐसा आहार लेना चाहिए जो गर्भस्थ शिशु के पोषण की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।

क्वीन मेरी अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. एसपी जैसवार के मुताबिक गर्भवती महिला को अल्प अंतराल में लगातार कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए। ऐसा करने से वह डिसपेपसिया और उल्टी आने की समस्या से बच सकती है।

उन्होंने बताया कि गर्भवती को फास्टफूड, ज्यादा तला हुआ खाना, ज्यादा तिखा और मसालेदार खाने से परहेज करना चाहिए। अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन और आयरन की गोलियां नियमित समय पर लेना चाहिए। डॉ. जैसवार ने बताया कि अगर किसी महिला को पहले बच्चे के जन्म के समय रीढ़ की हड्डी में समस्या रही है तो दूसरा बच्चा प्लान करते ही फॉलिक एसिड का सेवन शुरू कर देना चाहिए और पहले तीन महीने इसका सेवन करना चाहिए।

क्वीन मेरी की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता देब के अनुसार पहले तीन महीने आयरन या कैल्शियम नहीं देना चाहिए। सिर्फ फॉलिक एसिड खिलाना चाहिए। इसके बाद दूसरे और तीसरे तिमाही में कैल्शियम 500 मिलीग्राम दिन में दो बार और 60 मिलीग्राम एलिमेंटल आयरन दिया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि गर्भवती को शरीर की बढ़ती हुईं आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिदिन कम से कम 3 लीटर (10 से 12 ग्लास) पानी जरूर पीना चाहिए। गर्मी के मौसम में 2 ग्लास अतिरिक्त पानी पीना चाहिए।

सावधानियां
• एनेमिया से बचने के लिए अखण्ड अनाज से बने पदार्थ, अंकुरित दलहन, हरे पत्ते वाली साग सब्जी, ग़ुड़, तिल आदि लोह तत्व से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए
• सम्पूर्ण गर्भावस्था के दौरान गर्भवती का वजन 8 से 10 किलो बढ़ना चाहिए। ज्यादा वजन वाली महिलाओं के केस में 5 से 6 किलो वजन बढ़ना पर्याप्त है
• गर्भवती महिला को उपवास नहीं करना चाहिए
• कच्चा दूध न पिएं
• मदिरापान अथवा धूम्रपान न करें
• कैफीन की मात्रा कम करें। प्रतिदिन 200 मिलीग्राम से अधिक कैफीन लेने पर गर्भपात और कम वजन वाले शिशु के जन्म लेने का खतरा बढ़ जाता है
• गर्भवती को मीठा खाने की इच्छा हो तो उन्हें अंजीर खाना चाहिए। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम है और इससे कब्ज भी दूर होता है
• सब्जियों का सूप और जूस लेना चाहिए। भोजन के दौरान इनका सेवन करें। बाजार में मिलने वाले रेडीमेड सूप व् जूस का उपयोग न करें
• डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन और आयरन की गोलियां नियमित समय पर लेना चाहिए

प्रोटीन
• गर्भवती को आहार में प्रतिदिन 60 से 70 ग्राम प्रोटीन मिलना चाहिए
• अंतिम 6 महीनों के दौरान करीब 1 किलोग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है
• प्रोटीनयुक्त आहार में दूध और दूध से बने व्यंजन, मूंगफली, पनीर, काजू, बादाम, दलहन, मांस, मछली, अंडे आदि का समावेश होता है

कैल्शियम
• गर्भवती को आहार मे प्रतिदिन 1500 -1600 मिलीग्राम कैल्शियम मिलना चाहिए। यह गर्भवती और गर्भस्थ शिशु की स्वस्थ और मजबूत हड्डियों के लिये जरूरी है
• कैल्शियम युक्त आहार में दूध और दूध से बने व्यंजन, दलहन, मक्खन, चीज, मेथी, अंजीर, अंगूर, तरबूज, तिल, उड़द, बाजऱा, मांस आदि का समावेश होता है

फॉलिक एसिड
• पहली तिमाही वाली महिलाओं को प्रतिदिन 4 मिलीग्राम फॉलिक एसिड लेने की आवश्यकता होती है। दूसरी और तीसरी तिमाही में 6 मिलीग्राम फोलिक एसिड लेने की आवश्यकता होती है
• पर्याप्त मात्रा में फॉलिक एसिड लेने से जन्मदोष और गर्भपात होने का खतरा कम हो जाता है। इस तत्व के सेवन से उलटी पर रोक लग जाती है
• फॉलिक एसिड युक्त आहार में दाल, राजमा, पालक, मटर, मक्का, हरी सरसो, भिंडी, सोयाबीन, काबली चना, स्ट्रॉबेरी, केला, अनानस, संतरा, दलिया, साबुत अनाज का आटा, आटे की ब्रेड आदि का समावेश होता है