सौ करोड़ लोगों को वैक्सीन देने वाला भारत दुनिया का पहला देश

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना सदी की सबसे बड़ी महामारी थी और इस महामारी के प्रति बचाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में जो काम हुआ है, आज उसका परिणाम है कि पहली बार किसी महामारी के लिए भारत ने स्वयं एक नहीं, दो-दो वैक्सीन विकसित किया। कल तक पूरे देश में सौ करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज दी जा चुकी होगी। सौ करोड़ लोगों को यह डोज देने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।

उन्होंने कहा कि कोरोना प्रबंधन हमारा सबसे बेहतर तो है ही। देश में सबसे अधिक लोगों को वैक्सीन की डोज देने में भी हमें सफलता मिली है। प्रदेश में 12 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। एक सप्ताह में यह संख्या हम 13 करोड़ लोगों तक पहुंचा चुके होंगे। हमारे पास कोरोना की वैक्सीन भी है और हम एक दिन में 35 से 40 लाख लोगों को वैक्सीन देने में सक्षम हैं। इस प्रकार की हमारी तैयारी है। हमारा यह मानना है कि विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी हर नागरिक का जीवन बचाना हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमने तीन साल में दिमागी बुखार (जापानी इंसेफ्लाइटिस) को करीब 75 फीसदी और मौत के आंकड़ों को 95 फीसदी तक नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है। दिमागी बुखार पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए जो अभिशाप बन चुका था, वह आज पूरी तरह से उन्नमूलन के अंतिम दौर में है।

उन्होंने अपील की कि संचारी रोग नियंत्रण सभी प्रकार के विषाणु जनित बीमारियों से हर नागरिक के जीवन को बचाने के साथ कोरोना जैसी महामारी से बचाव के लिए भी एक बेहतर प्लेटफॉर्म बनना चाहिए। इसे व्यापक जागरूकता के साथ हम जोड़ सकते हैं।

यह बातें उन्होंने मंगलवार को बस्ती जिले में संचारी रोग पखवाड़े के शुभारंभ के दौरान कहीं। सीएम योगी ने वैश्विक महामारी कोरोना और इंसेफ्लाइटिस की तुलना करते हुए कहा कि कोरोना से प्रदेश में मृत्यु दर 1.3 फीसदी रही है। जबकि इंसेफ्लाइटिस में यह मृत्यु दर 20-25 फीसदी थी, यानि एक हजार लोगों को दुर्भाग्य से अगर कोरोना हुआ होगा, तो उस समय करीब 13 लोगों की मौत हुई है, लेकिन याद करिए कि अगर एक हजार लोग इंसेफ्लाइटिस की चपेट में आते, तो उससे मरने वालों की संख्या करीब 260 होती थी, यह तब था जब पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफ्लाइटिस का कहर देखने को मिलता था। 13 और 260 में बहुत अंतर है और उस इंसेफ्लाइटिस को पूरी तरह से नियंत्रित करने में हमें सफलता मिली है, लेकिन हमें सावधानी बरतनी पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने देश और दुनिया में बहुत बदलाव लाया है। एक तरफ बहुत सारे लोगों ने अपने प्रिय जनों को खोया है। उन सब के प्रति हमारी संवेदना है। सरकार ने तय किया है कि कोरोना से जो मौतें हुई हैं, वह दुखद हैं और उनके प्रति सरकार की पूरी संवेदना है। उन परिवारों को मुआवजे के रूप में 50 हजार रुपए देने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। साथ ही यह भी व्यवस्था की गई है कि आने वाले समय में इस प्रकार की महामारी से हम लोगों को बचा सकें। यह हम सबकी जिम्मेदारी बनती है, क्योंकि समाज में कहीं क्षति होती है, तो भौतिक रूप से क्षति एक परिवार की होती है।

तीन साल पहले शुरू किया था महामारी के खिलाफ अभियान: उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के बाद इस वर्ष का तीसरा संचारी रोग नियंत्रण का विशेष अभियान शुरू हो रहा है। आज से करीब साढ़े चार वर्ष पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिस एक महामारी ने मासूमों को करीब चार दशकों तक निगलने का कार्य किया था। उस महामारी के खिलाफ इस अभियान का शुभारंभ हमने किया था। उस समय अंतर विभागीय समन्वय और जनसंवाद का क्या महत्व होता है, हमने इस ताकत को पिछले चार वर्षों में महसूस किया। यद्यपि पहले चरण में बस्ती और गोरखपुर के सात जिले इस कार्यक्रम और इस प्रयोग के केंद्र स्थल रहे, लेकिन धीरे-धीरे कर जहां पर दिमागी बुखार से जुड़े मरीज दिखते थे और व्यापक पैमाने पर मौत होती थी, उन सभी स्थलों पर हमने इस अभियान को व्यापक रूप से शुरू किया।