सास-बहू की कहानी में लगा हरी मिर्च लाल मिर्च का तड़का

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दिल्ली में जन्मी और पली बढ़ी कशिश दुग्गल ने सौ से ज्यादा टीवी सीरीज समेत विश्वास, विद्रोह और आखिरी दस्तक जैसी फिल्मों में काम करके भरपूर वाहवाही बटोरी है। वो डीडी क्वीन के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने दूरदर्शन पर लाइव शो भी होस्ट किए हैं। आज़ाद चैनल के शो ‘हरी मिर्च लाल मिर्च एक तीखी एक करारी में’ वो पुष्पी और ज्वाला की भूमिकाएं निभा रहीं हैं। दोनों किरदार बहुत अलग हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि वे उनका एक अभिन्न अंग बन गए हैं।

वो उम्मीद करती हैं कि इन किरदारों को वो प्यार मिले, जिसके वो हकदार हैं। पुष्पी एक पारंपरिक, साधारण और  विनम्र महिला हैं जिनकी शादी एक ऐसे परिवार में हुई है, जिसमें पुरुषों का बोलबाला है। वो एक प्यारी मां और घर में बड़ी हैं, जो अपने परिवार को बड़े अच्छे से संभालती हैं और सभी की जरूरतों को पूरा करती हैं। वो दोहरी जिंदगी जीती हैं – वो एक ‘दबंग’ पुलिस अधिकारी हैं। जिनसे अपराधी घबराते हैं, लेकिन उनका परिवार इससे अंजान है।

इस प्रयास में उनके पति उनका साथ देते हैं क्योंकि वो अपने परिवार और करियर को लगातार संतुलित करने का प्रयास करती है। ज्वाला के रूप में, कशिश एक बिंदास महिला, एक सफल पुलिसवाली, दमदार, सही रास्ते पर चलने वाली, डराने वाली, बहादुर, न्यायप्रिय और ईमानदार है। वो अपने परिवार में परंपराओं और पितृसत्तात्मक मूल्यों को कायम रखने वाली एक सास है लेकिन ज्वाला के रूप में वो महिलाओं के व्यक्तित्व और स्वतंत्रता के मूल्य को भी समझती है। यहां कशिश अपने नए शो और कई अन्य बातों पर चर्चा कर रही हैं।

हरी मिर्च लाल मिर्च किस बारे में है?
हरी मिर्च लाल मिर्च एक तीखी एक करारी, एक ड्रामेडी (नाटक और कॉमेडी) है, और आज़ाद पर अपनी शैली में पहला है। ये एक तड़के के साथ सास बहू की कहानी है।

आप इस शो में कैसे आईं?
मैंने फरवरी में कोविड लॉकडाउन के दौरान इसके लिए ऑडिशन दिया था। मैंने खुद से ही रिहर्सल की और अप्रैल के अंत में शो साइन किया था। सेल्फ टेस्ट से लेकर शो की शूटिंग तक का मेरा सफर अपने आप में एक कहानी है।

आपके अभिनय का सफर कैसे शुरू हुआ?
यह सब तब शुरू हुआ, जब मैं 11 साल की थी। मुझे लगता है कि भाग्य ने ही मेरे लिए ये चुन रखा था। मुझसे हमेशा कहा जाता है कि जब मैं डांस करती हूं तो मैं बहुत एक्सप्रेसिव होती हूं और इसने मुझे सुर्खियों में ला दिया।

एक ऐसा किरदार जिसे निभाना आपको पसंद था?
‘किसी की नजर ना लगे’ में वंशिका बनर्जी और कम्मो का डबल रोल। यह दूरदर्शन पर एक डेली सोप था, जिसे राजा मुखर्जी द्वारा निर्मित और निर्देशित किया गया था।

आपने टीवी इंडस्ट्री में क्या बदलाव देखे हैं?
टेक्नोलॉजी हर दिन बदल रही है और इसलिए हमारी इंडस्ट्री भी बदल रही है। हर स्थिति और हर बदलाव के अपने फायदे और नुकसान हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और आज़ाद जैसे नए चैनलों पर नए अवसरों के साथ सभी के लिए काम करने की ज्यादा गुंजाइश है। यह ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाओं को मौका देता है। दूसरी ओर, कास्टिंग अब सोशल प्लेटफॉर्म्स पर किसी के फॉलोअर्स की संख्या पर निर्भर करती है, जो सबसे ज्यादा निराशाजनक है। इस आधार पर सबसे योग्य और अनुभवी लोगों को छोड़ दिया जाता है।