पक्षियों में तूफान के खतरों की समझ

0
4010

पक्षियों को नासमझ न समझें। पक्षियों में न तो समझ की कमी होती है आैर न शक्ति में ही कोई कमी होती है। प्राकृतिक आपदाओं से बचाव करने, आपदाओं से संघर्ष करने से लेकर शक्तिशाली शत्रुदल से मुकाबला करने की अचूक शक्ति होती। मौसम व बेमौसम आने वाले तूफान का खतरा सबसे पहले पक्षियों का दल भांप लेता है तो वहीं भूकम्प के खतरे को भूगर्भ में प्रवास करने वाले चूहा सहित अन्य जीव-जन्तु आसानी से भांप लेते हैं।

वैज्ञानिकों की मानें तो पक्षियों-परिंदों में सिक्स्थ सेंस होता है। जिसकी सहायता से तूफान आने से पहले ही खतरा को भांप लेते हैं। खतरा का एहसास होते ही पक्षियों का दल क्षेत्र से पलायन कर जाते हैं जिससे वह किसी भी प्रकार की क्षति होने से बच जाते हैं। फुदकी अर्थात सुनहरे पंख वाली चिड़िया वॉब्र्लर चहकने व चहचहाने के लिए प्रख्यात है।

इस फुदकी चिड़िया पर अमेरिका के वैज्ञानिकों ने गतिविधियों से लेकर खान-पान, आहार-विहार पर गहन अध्ययन व शोध किया तो आश्चर्यजनक तथ्य सामने आये। छोटी सी इस नाजुक चिड़िया का वजन सामान्यत: नौ से दस ग्राम होता है।

आश्चर्यजनक यह है कि किसी भी प्रकार का तूफान आने की भनक उसे एक दो दिन पहले ही लग जाती है। युनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के वैज्ञानिकों ने शोध किया तो पाया कि तूफान आने से पहले ही फुदकी चिड़िया का झुण्ड बच कर निकल गया।

वैज्ञानिकों का मानना है कि पक्षियों-परिंदों का झुण्ड अपने नियमित प्रवास के दौरान दिक्कत-परेशानियों से बचने के लिए कई बार रास्ता बदल देते हैं। देखा गया कि पक्षी-परिंदे निवास स्थान को छोड़ कर उड़ गये तो तूफान कई सौ किलोमीटर दूर था।

संभव है कि मौसम का दबाव, हवा का दबाव, तापमान में बदलाव व हवा की गति से पक्षियों-परिंदों को तूफान का पता चला हो। तूफान निकल जाने के बाद यह परिंदे-पक्षियों का दल पुन: अपने प्रवास स्थल पर लौट आया।

वैज्ञानिकों की मानें तो पक्षियों व कतिपय पशुओं की श्रंखला इंफ्रा ध्वनि को आसानी से ग्रहण कर सकते है अथवा सुन सकते है। हवाओं की आवाज, ज्वालामुखी फटने व सागर की लहरों के टकराने व बवंडर से इंफ्रा ध्वनि उत्पन्न होती है। इस इंफ्रा ध्वनि को पक्षी आसानी से सुन सकते हैं। भले ही इस प्रकार की घटनायें हजारों किलोमीटर दूर ही क्यों न हो रही हों।

बड़े तूफान शक्तिशाली इन्फ्रा ध्वनि उत्पन्न करते हैं। जिससे हजारों किलोमीटर दूर परिंदों-पक्षियों के झुण्ड को आसानी से एहसास हो जाता है। जलवायु परिवर्तन के कारण शक्तिशाली इंफ्रा ध्वनि में आैर अधिक इजाफा हो रहा है। जिससे तूफानी खतरों को भांपना पक्षियों-परिंदों के लिए आैर भी आसान होता जा रहा है।