कभी न भूलने वाले गीतों के जनक थे राजेन्द्र किशन

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जन्मदिन 6 जून पर विशेष

50 के दशक में जितने फिल्मी गीतकार थे उनमें 6 जून 1919 को जन्मे वरिष्ठ गीतकार राजेन्द्र किशन का नाम प्रमुखता से उभर कर आता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि इनके हिस्से में इतनी अच्छी- अच्छी फिल्मों के गीत आए कि उनको भुलाया नहीं जा सकता।

महात्मा गांधी की हत्या के बाद “सुनो- सुनो ऐ दुनियावालों, बापू की ये अमर कहानी” जैसा अमर गीत रचने वाले राजेन्द्र किशन दुग्गल का जन्म जलालपुर जट्टान में एक दुग्गल परिवार में 6 जून 1919 को, गुजरात जिले (वर्तमान पाकिस्तान में) में हुआ था। उनके बताए अनुसार जब वे आठवीं कक्षा में पढ़ रहे थे तभी वे कविता की ओर आकर्षित हो गये थे। अपने प्रारंभिक कार्य जीवन में उन्होंने शिमला के नगरपालिका कार्यालय में एक क्लर्क की नौकरी की, जहांं वह 1942 तक कार्यरत रहे। उस अवधि के दौरान, उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी लेखकों को बड़े पैमाने पर पढ़ा और कविता लिखी।

उन्होंने फिराक गोरखपुरी और अहसान दानिश की उर्दू शायरी के साथ-साथ पंत और निराला की हिंदी कविताओं के प्रति भी अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। उन दिनों दिल्ली-पंजाब के अखबारों ने विशेष परिशिष्ट निकाले और काव्य गोष्ठी में कृष्ण जन्माष्टमी को चिह्नित किया, जिसमें उन्होंने नियमित रूप से भाग लिया।

1940 के दशक के मध्य में वह हिंदी फिल्म उद्योग में एक पटकथा लेखक बनने के लिए बॉम्बे (अब मुम्बई) पहुंच गए। उनकी लिखी पहली पटकथा फिल्म जनता (1947) की थी। गीतकार के रूप में उनकी पहली फिल्म जंजीर (1947) थी। उन्हें मोतीलाल – सुरैया स्टारर आज की रात (1948) की पटकथा और गीत के लिए पहली बार जाना गया था। महात्मा गांधी की हत्या के बाद, उन्होंने उपरिलिखित एक गीत “सुनो- सुनो ऐ दुनियावालों, बापू की ये अमर कहानी” लिखा। यह गीत मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाया गया था और हुस्नलाल भगतराम द्वारा संगीतबद्ध किया गया था। यह गीत आज भी उतना ही लोकप्रिय है। उन्होंने बतौर गीतकार बड़ी बहन (1949) और लाहौर(1949) के साथ सफलता का स्वाद चखा।
राजेन्द्र किशन संगीतकार सी. रामचंद्र के साथ अपने जुड़ाव के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने शंकर-जयकिशन, रवि, राजेश रोशन, मदन मोहन, हेमन्त कुमार, सज्जाद हुसैन, सचिन देव बर्मन, राहुल देव बर्मन, एस. मोहिंदर, चित्रगुप्त , सलिल चौधरी, और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल सहित कई अन्य संगीत निर्देशकों के साथ काम किया तथा एक से एक मधुर गीतों की रचना की। 23 सितंबर 1987 को मुम्बई में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के बाद, एचएमवी ने एक एलपी निकाला जिसमें उनके 12 सुमधुर व लोकप्रिय गाने थे।

राजेन्द्र किशन रचित फिल्मों के मधुर गीत :

आजाद = कितना हसीन है मौसम…. लता-चितलकर
यह रास्ते हैं प्यार के = ये खामोशियां ये तन्हाईयां…. रफ़ी-आशा
भाई भाई = मेरा नाम अब्दुल रहमान…. किशोर-लता
ताज= बांसुरिया फिर से बजाओ कान्हा…. हेमंत-लता
अलबेला= दीवाना परवाना शमा पर लेकर आया…. लता-चितलकर
आशियाना= ओ मैडम ओ मिस्टर होते होते हो गए एक हम…. किशोर-शमशाद
प्यार की जीत= ओ दूर जाने वाले वादा ना भूल जाना….सुरैया
बहार= कुसूर आपका हुजूर आपका मेरा नाम लीजिए न मेरे बाप का…. किशोर
बारिश= कहते हैं प्यार किसको पंछी जरा बता दे…. सी.रामचंद्र-लता
सच्चाई= 100 बरस की जिंदगी से अच्छे हैं प्यार के दो चार दिन…. रफ़ी-आशा
जेलर= हम प्यार में जलने वालों को चैन कहां आराम कहां…. लता
पतंग= तेरी शोख नजर का इशारा…. मुकेश-लता : चित्रगुप्त
बहार= दुनिया का मजा ले लो दुनिया तुम्हारी है…. शमशाद : एसडी बर्मन
दुनिया झुकती है= फूलों से दोस्ती है कांटों से यारी है…. रफी : हेमंत कुमार
शर्त= न ये चांद होगा न तारे रहेंगे…. गीता दत्त : हेमंत कुमार
सजा = आ गुपचुप गुपचुप प्यार करें छुप छुप आंखें चार करें…. संध्या मुखर्जी-हेमंत कुमार
बड़ी बहन चले जाना नहीं नैन मिला के हाय सैया बेदर्दी…. लता : हुसनलाल भगतराम
जॉनी मेरा नाम= ओ मेरे राजा खफा ना होना…. किशोर-आशा आजाद= जा री जा री ओ कारी बदरिया…. लता : सी. रामचंद्र
नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे= हुस्न जब इश्क से टकरा गया…. रफ़ी- आशा
ब्लफ मास्टर हुस्न चला कुछ ऐसी चाल…. लता-रफी
जहांआरा= बाद मुद्दत के यह घड़ी आयी आप आए तो जिंदगी आयी… रफी-सुमन कल्याणपुर : मदन मोहन
अलबेला = शोला जो भड़के दिल मेरा धड़के…. लता-चितलकर : सी. रामचंद्र
अनारकली= जाग दर्दे इश्क जाग…. लता-हेमन्त कुमार : सी. रामचंद्र
मनमौजी= एक था अब्दुल रहमान एक थी रहमानिया…. किशोर-लता : मदन मोहन
संगीत सम्राट तानसेन दिल में समा गए सजन फूल खिले चमन चमन…. लता-तलत
बहार= है दुनिया का मजा ले लो दुनिया तुम्हारी है…. शमशाद : एस डी बर्मन
बड़ी बहन= चले जाना नहीं नैन मिला के सैया बेदर्दी…. लता-ऊषा : हुस्नलाल भगतराम
आशियाना= मैं पागल मेरा मनवा पागल…. तलत : मदन मोहन
बहाना= तेरी ही निगाहों में तेरी ही बाहों में रहने को जी चाहता है…. आशा-तलत : मदन मोहन
दुनिया झुकती है= गुमसुम सा यह जहां यह रात यह हवा…. गीता दत्त : हेमन्त कुमार
बहार= छोड़ो जी छोड़ो, छोड़ो जी कन्हैया कलइया हमार….शमशाद : एसडी बर्मन
अकेला= पास ना होवे जिनके रोटी नींद कहां से आए…. आशा भोसले
दो सितारे= मुझे तुझसे मोहब्बत है…. सुरैया : अनिल विश्वास
नागिन= ऊंची ऊंची दुनिया की दीवारें सैंया छोड़ के मैं आई रे…. लता : हेमन्त कुमार
छाया= इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा कि मैं एक बादल आवारा…. लता-तलत :सलिल चौधरी
लव इन शिमला= लव का मतलब है प्यार प्यार दिलों का करार…. रफ़ी-आशा

सगाई= ना ये जमीं थी ना ये आसमां था…. रफ़ी-आशा : रवि
चंपाकली= ओ जी ओ जी छोड़ो मेरा दुपट्टा हो जादूगर बालमा…. लता-हेमंत : हेमंत कुमार
जहांआरा= तेरी आंख के आंसू पी जा ऊं ऐसी मेरी तकदीर कहां…. तलत : मदनमोहन
आशियाना= मेरे पिया से जाकर कोई जाकर कोई कह दे जीवन का सहारा तेरी याद है…. लता : मदन मोहन
चंपाकली= छुप गया कोई रे दूर से पुकार के…. लता : हेमन्त कुमार
पॉकेटमार= प्रीत है तू ही मेरा मीत है समा है यह प्यार का…. लता-तलत
प्यार की जीत= तेरे नैनों ने चोरी किया मेरा छोटा सा जिया परदेसिया…. सुरैया : हुसनलाल भगतराम
आजाद= अपलम चपलम चपलाई रे दुनिया को छोड़ तेरी गली आई रे… लता-उषा
खानदान= नील गगन पर उड़ते बादल आ आ आ… रफी-लता : रवि।

हेमन्त शुक्ल, वरिष्ठ पत्रकार