संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के विशेष सहयोग से 40 दिवसीय प्रस्तुति परक रंगमच कार्यशाला का आयोजन कानपुर की 46 वर्ष पुरानी संस्था तक्षशिला नाट्य एन्ड सांस्कृतिक संस्था द्धारा कार्यक्रम प्रभारी जितेंद्र सिंह राजन के देख रख में किया गया। कार्यशाला में तैयार नाटक रंगभूमि का मंचन हुआ।
लाजपत भवन मोतीझील कानपुर में मंचित नाटक रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद्र के कालजयी उपन्यास रंगभूमि का नाट्य रूपांतर है। रंगभूमि नौकरशाही तथा पूंजीवाद के साथ जन संघर्ष का तांडव, सत्य निष्ठा और अहिंसा के प्रति आगाह है। ग्रामीण जीवन में उपस्थिति मद्यपान तथा स्त्री दुर्दशा का भयावह चित्रण है। परतंत्र भारत की सामाजिक राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक समस्याओं के बीच राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण नाटक है। कथानक.. काशी के निकट पांडेपुर में गरीब जन्मांध सूरदास की कुछ पैतृक जमीन थी। जिस पर जान सेवक नाम का अत्यंत धनी व्यक्ति सिगरेट का कारखाना लगाना चाहता है। सूरदास भीख मांग कर अपना गुजारा करता है। जान सेवक को मालूम पड़ता है कि ये ज़मीन सूरदास की है, तो वह सूरदास को जमीन बेचने के लिए कहता है, परंतु सूरदास जमीन बेचने के लिए मना कर देता है और कहता कि यह जमीन उसके पुरखों की निशानी है। आसपास के ढोर यहां चरने आते हैं, अगर जमीन दूंगा तो ढोरों के लिए कोई ठिकाना नहीं रह जाएगा। जान सेवक पूछता है कि तुमको इसके लिए कितना पैसा मिलता है। सूरदास कहता है कि कुछ भी नहीं।
इस जमीन और बस्ती पर छतारी के राजा और जो म्यूनिसपल कारपोरेशन के चेयरमैन भी हैं। उनकी भी निगाहे जमीन और बस्ती पर है। वह बस्ती पर कब्जा करना चाहते हैं, पर एक ही रोड़ा था और वो था सूरदास और वह सूरदास की हत्या करा देते हैं। लेकिन रंगभूमि में, उसी शोषण के खिलाफ़ एक जन्मांध अंधा, नाटक का पात्र सूरदास, सूरे, आवाज़ बुलंद करता है, और अपनी जान देकर, जनता को अन्याय के खिलाफ लड़ने की शक्ति देता हैं। सूरदास की हत्या का परिणाम होता है, रिवोल्ट और साजिश कर्ताओं का वध।
नाटक का निर्देशन ख्याति प्राप्त राज्य स्तरीय सम्मान से सम्मानित डॉ राजेंद्र वर्मा ने किया। सह निर्देशक के बी सक्सेना एवम श्याम मनोहर का योगदान है। संगीत रवि वर्मा का था। सूरदास की भूमिका बहुत ही मार्मिक लेकिन आक्रोश से विभूषित अभिनय किया राम गोपाल ने। भैरव की भूमिका में डॉ राम शंकर, नायक राम पण्डा की भूमिका में रवि श्रीवास्तव, दया गिरि की भूमिका में जय राम करकरे, जानसेवक की भूमिका में सुनील बाजपाई, सोफिया की भूमिका में शिवी बाजपाई, जमुनी की भूमिका में शुभी मेहरोत्रा, शालिनी, स्वेता, पान वाले कुलदीप और दूध वाले कि भूमिका गुरदीप सिंह ने बखूबी निभाई।