वाराणसी/ लखनऊ। “ना मैं आया हूं, ना मुझे भेजा गया है, मुझे मां गंगा ने बुलाया है”, 2014 में पीएम मोदी जब धर्मनगरी वाराणसी से सांसद का चुनाव लड़े थे तब गंगा को लेकर उनका यही कहना था। उन्होंने संकल्प लिया था कि मां गंगा को प्रदूषण से मुक्ति दिलाएंगे और गंगा को अविरल व निर्मल बनायेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से अब धीरे-धीरे मोदी के संकल्प का असर गंगा में नजर आने लगा है।अब गंगा जल आचमन व आस्था की डुबकी लगाने योग्य अविरल व निर्मल हो रहा है। भगीरथ ने अपने पूर्वजों को तारने के लिए माँ गंगा को धरती पर उतारा था। लेक़िन पिछली सरकारों द्वारा ध्यान नहीं देने से गंगा प्रदूषित होती चली गई। 2014 में बीजेपी कि सरकार बनी तो गंगा को स्वच्छ करने के लिए तेज़ी से प्रयास हुआ और 2017 में ज़ब उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार आई तो गंगा सफ़ाई के अभियान ने और रफ़्तार पकड़ ली।
पहली बार ऐसा हुआ है जब फ़रवरी में काशी नगरी में गंगा के पानी में औसत घुलित ऑक्सीजन की वह मात्रा मानकों के अनुसार बहुत अच्छी (8.5 से 11.5 मिलीग्राम प्रति लीटर) है और गंगा की सहायक नदी वरुणा के जल में भी आश्चर्यजनक सुधार हुआ है।
योगी सरकार के प्रयास का नतीजा यह रहा कि मोक्षदायिनी गंगा अब अविरल और निर्मल हो रही हैं। काशी में जहां से गंगा प्रवेश करती हैं वहाँ बनारस का ऑक्सीजन लेवल इतना बढ़िया बना हुआ है कि गंगा में स्नान और जल का आचमन दोनों करने से कोई भी अब परहेज़ नहीं कर रहा है।
गंगा प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह का कहना है कि वाराणसी में गंगा में 30 नाले सीधे गिरा करते थे जबकि सहायक नदी वरुणा में भी 14 नालो का पानी जाता था। अब स्थिति यह है कि गंगा किनारे अलग-अलग स्थानों पर इन 30 नालों में से 19 नालों को पूरी तरह बंद कर दिया गया है जबकि खिड़किया घाट का नाला आंशिक रूप से बंद किया गया है। वरुणा नदी में गिरने वाले 14 नालों में से 6 नाले बंद कर दिए गए है और पांच नालों का पानी भी जल्दी ही वरुणा में गिरने से रोक दिया जायेगा। इसके अलावा गंगा के किनारे बने अधिकांश होटलों में एसटीपी लगने से गंगा में गिरने वाली गन्दगी भी रुक गई है।
उनका कहना है कि जो नाले गंगा में सीधे गिर रहे हैं उनका भी ट्रीटमेंट किया जा रहा है। गंगा की शुद्धता का एक और मापदंड गंगा जल का रंग 10 हैजन (हैजन गंगा जल के रंग मापने कि इकाई है) होना भी बताता है। गंगा में BOD (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) की वह मात्रा भी अच्छी है। इसका असर गंगा नदी के साथ-साथ उसकी सहायक नदी वरुणा में भी साफ दिख रहा है। सरकार के साथ ही गंगा मित्र व जनता के जागरूक होने का भी नतीजा है कि गंगा जल में निर्मलता दिखाई देने लगी है।
यह सब जानते हैं कि मुख्यमंत्री योगी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कितने गंभीर हैं। रविवार को अपने मथुरा दौरे पर भी यही दोहराया था। पिछले कुछ सालों में वाराणसी में नवीनतम तकनीक के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण हुआ है जबकि पहले से चल रहे एसटीपी प्लांट को अपग्रेड भी किया गया है। इसके अलावा अन्य एसटीपी के शुरू हो जाने से गंगा का पानी और भी निर्मल और अविरल जायेगा।
सरकार का यह प्रयास देखकर गंगा महासभा के महासचिव स्वामी जितेन्द्रा नंद सरस्वती कॉफ़ी ख़ुश है, जो कि गंगा स्वच्छता को लेकर लगातार कई दशकों से आंदोलन कर रहे थे। उनका कहना है कि सरकार का प्रयास अब धीरे-धीरे गंगा के पानी पर दिखना शुरू हो गया है। अगर सरकार इसी तरीके से कड़े कदम उठाती रही तो गंगा निर्मल और अविरल बनकर रहेंगी।