डायबिटीज से पीड़ित हैं तो घबराएं नहीं, करें ये उपाय

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मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिसने अपने देश में ही नहीं संपूर्ण विश्व में अपनी भयावहता के कारण आम जनता के मन में डर पैदा कर दिया है। डायबिटीज क्या है…  इसके लक्षण क्या है… क्या संभावित कारण हो सकते हैं। इन सब विषय पर देश की सुप्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ रजनी पोरवाल, मुख्य चिकित्सक श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट रोड कानपुर ने बहुत ही सरल भाषा में, वैज्ञानिक ढंग से जानकारी दी है।

जानिए मधुमेह है क्या : मधुमेह शरीर की एक ऐसी बीमारी है जो पाचन ग्रन्थि पैनक्रियाज के सामान्य ढंग से काम करने में असमर्थ होने के कारण होती है। पेनक्रियाज हमारे भोजन को पचाने के लिए एंजाइम बनाती है। जिससे जो आहार हम लेते हैं, उसका सही ढंग से पाचन होता है। साथ ही साथ पेनक्रियाज में बीटा सेल्स भी होती हैं, जो इंसुलिन नामक हार्मोन का निर्माण करती है। यह हार्मोन शरीर की अति महत्वपूर्ण रासायनिक क्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं। जब पैंक्रियाज अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पाता है तो एंजाइम्स के साथ-साथ इंसुलिन का निर्माण भी प्रभावित होता है, जो मधुमेह जैसी बीमारी का कारण बन जाता है। इंसुलिन शरीर का अति महत्वपूर्ण हार्मोन है। जब पेट में भोजन का पाचन हो जाता है तो शरीर की विभिन्न कोशिकाओं द्वारा उसे ऊर्जा में परिवर्तित करने में यहीं इन्सुलिन सहयोगी है। अगर शरीर में इंसुलिन ना हो तो चाहे कितनी भी ताकतवर चीज आप खाएं चाहे कितना भी शक्तिवर्धक आहार ले शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाएगी। शरीर कमजोर होता चला जाएगा। यहां तक कि शरीर के एक एक आंतरिक अंग अपना काम करना बंद कर देंगे। इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए इंसुलिन हार्मोन बहुत आवश्यक है।

मधुमेह के लक्षण : टाइप टू डायबिटीज के रोगी को ज्यादा पेशाब आना विशेषकर रात्रि में अनेकों बार पेशाब लगना और पेशाब का पूरी मात्रा में होना, प्यास बहुत लगना, भूख का अचानक बढ़ जाना या बिल्कुल खत्म हो जाए, सुबह से ही थकान आलस रहना वजन का तेजी से गिरना और कमजोरी लगना, आंखों में धुंधलापन, कान से कम सुनना, पुरुषों में यौन क्रिया में अत्यधिक कमजोरी, जनन अंगों के आसपास खुजली होना, फोड़े फुंसी घाव होने पर उनका जल्दी ठीक ना होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इनमें से कोई लक्षण सामने आने पर डायबिटीज की जांच तुरंत करानी चाहिए।

डायबिटीज के लिए रक्त परीक्षण : डायबिटीज की जांच के लिए खून में ग्लूकोज के स्तर का पता किया जाता है। खाली पेट रक्त का ग्लूकोज का स्तर 120 से कम होना चाहिए। इसे फास्टिंग ग्लूकोज कहा जाता है वही ग्लूकोज पीने के 2 घंटे बाद में ग्लूकोज 150 से कम होना चाहिए इसे पीपी ग्लूकोज कहते हैं। और यदि 3 महीने का ग्लूकोज का स्तर 6 से ज्यादा है तो यह अच्छा नहीं है। 3 महीने के रक्त में औसत ग्लूकोज की जांच को HbA1c कहते हैं। यह बात ध्यान रखना चाहिए कि खाली पेट का मतलब कम से कम 8 घंटे खाली पेट रहना है उसके बाद ही ग्लूकोज की जांच करानी चाहिए।

आहार में परिवर्तन जरूरी है : टाइप टू डायबिटीज के मरीज यदि अपने आहार में परिवर्तन करें तो बढ़ी हुई रक्त शर्करा सामान्य स्तर पर आने में बहुत मदद मिलती है। इसके लिए हमें प्राकृतिक आहार जिसमें हरे सलाद, ताजे कम मीठेफल, हरी सब्जियां, ताजी हरी सब्जियों का सूप और भरपूर मात्रा में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। ज्यादा खाने से बचना चाहिए। भूख से थोड़ा कम खाना अच्छा होता है और बार-बार तला मसालेदार भोजन, बिस्किट चाय नमकीन का दिन में कई बार सेवन उचित नहीं है। देखने में आता है कि मधुमेह से पीड़ित लोग चाय तो फीकी पीते हैं लेकिन उसके साथ दालमोठ खा लेते हैं। नमकीन ले लेते हैं या बिस्किट खा लेते हैं। जिनमें भरपूर मात्रा में कैलोरी होती है। किंतु वह सोचते हैं कि हम तो केवल दालमोट खा रहे हैं और चाय तो फीकी पी रहे हैं यह गलत धारणा है, इससे बचे।भोजन में मोटे अनाज की चपाती खाएं, चावल, आलू शकरकंद जैसी सटार्च युक्त खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं। घी, चीनी, नमक, रिफाइंड व मैदा अचार पापड़ का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें।

घरेलू उपाय जो डायबिटीज को दे मात : शाम को चाय के स्थान पर एक छोटा चम्मच सदाबहार के फूलों का पाउडर सामान्य पानी के साथ लेने से शरीर के आंतरिक अंगों पर मधुमेह के कारण अथवा मधुमेह के लिए ली जाने वाली औषधियों के दुष्प्रभाव के कारण जो बुरा प्रभाव होता है, वह शारीरिक नुकसान होना बंद होता है और साथ ही साथ रक्त में बढ़े हुए ग्लूकोज के नियंत्रण मैं भी यह उपयोगी है। पेशाब के साथ जा रही चीनी भी इसके सेवन से रुक जाती है।सदाबहार के फूल का सेवन गुर्दा, मूत्र तंत्र, लीवर और धमनियों में रुकावट को कम करने के साथ-साथ ओस्टियोआर्थराइटिस जैसी जोड़ों की दुखदाई बीमारी को भी काबू में रखता है। इससे खून की कमी, थकान कमजोरी और घबराहट का भी खात्मा हो जाता है।

पांच बीच कमाल के : रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए अनेकों औषधियों का प्रयोग करने के बाद भी ब्लड ग्लूकोज कम होने का नाम ही नहीं ले तो ऐसी स्थिति में कद्दू के बीज, मेथी, करेला के बीज, जामुन की गुठली और दरियाई ताल मखाना यह पांच बीज को पीसकर पाउडर बनाकर रख ले मधुमेह के रोगी आधा चाय का चम्मच यह पाउडर खाना खाने के बाद प्रातः सायंकाल पानी से लें। इसके लाभ चमत्कार जैसे हैं एक बार इस उपाय को करके देखें।

रक्त में ग्लूकोज के खेल को भी जानिए : जब विभिन्न कारणों से पेनक्रियाज की बीटा सेल्स इंसुलिन हार्मोन का शरीर की जरूरत के अनुसार निर्माण नहीं कर पाती हैं तो भोजन का मुख्य तत्व कार्बोहाइड्रेट यानी शुगर का ऊर्जा के रूप में परिवर्तन नहीं हो पाता। फल स्वरूप यही कार्बोहाइड्रेट यानी चीनी रक्त में बढ़ जाती है और जब खून में इसका स्तर एक निर्धारित सीमा से ज्यादा बढ़ जाता है तो इसे ही मधुमेह रोग माना जाता है। शरीर में खाना हजम होने के बाद चीनी ग्लूकोज में बदलती है। इस ग्लूकोज को इंसुलिन हार्मोन उर्जा में बदलकर शरीर की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

डायबिटीज के प्रकार : सामान्यतः डायबिटीज दो प्रकार की होती है। प्रथम टाइप वन और दूसरी टाइप टू। टाइप वन डायबिटीज मे पैंक्रियाज की बीटा कोशिकाएं विभिन्न कारणों से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं या जन्मजात ही पेनक्रियाज इंसुलिन हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाता। यह ऑटोइम्यूनिटी के कारण हो सकता है या अन्य किसी कारण से। इस पर पूरे विश्व में अनुसंधान कार्य चल रहे हैं। टाइप वन मधुमेह के रोगी पूरे जीवन बाहरी इंसुलिन के स्रोत पर ही स्वस्थ रह सकते हैं और इन्हें पूरे जीवन दवाइयों का सेवन करना पड़ता है।

टाइप टू डायबिटीज आमतौर से 50 वर्ष की आयु के बाद रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाने के बाद पकड़ में आती है। परिवार के किसी सदस्य को डायबिटीज होने पर इसके होने की ज्यादा संभावना रहती है किंतु वंशानुगत कारण के अलावा मोटापा, मेहनत ना करना श्रम हीन जीवन, अत्यधिक मानसिक तनाव, अनेकों अनेक प्रकार की दवाइयों का बिना जरूरत सेवन, शराब भांग गांजा या अन्य प्रकार के नशा करना और उनका दुष्प्रभाव के कारण रक्त शर्करा का बढ़ना, अत्यधिक मात्रा में कोल्ड ड्रिंक, चाय, कॉफी जैसे पदार्थ का नियमित रूप से सेवन करना, खूब तले भुने मसालेदार भोजन करना, जंक फूड, फास्ट फूड खूब सेवन और विलासिता पूर्ण कथित आधुनिक जीवन, यौन शक्ति वर्धक विभिन्न प्रकार की उत्तेजक औषधियों का मनमाने ढंग से सेवन डायबिटीज टू का प्रमुख कारण माना जाता है। इसके अलावा कभी-कभी कुछ विशेष स्थितियों में रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कुछ समय के लिए बढ़ जाती हैं और बाद में स्थिति सामान्य होने पर रक्त में ग्लूकोज की मात्रा भी सामान्य हो जाती है। जैसे गर्भावस्था कि डायबिटीज अधिकांश मामलों में संतान उत्पत्ति के बाद ठीक हो जाती है। अत्यधिक मानसिक तनाव व दुख तकलीफ होने पर भी रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है और जब मानसिक स्थिति बेहतर होती है तो रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य स्तर पर आ जाती है। कभी-कभी कुछ बीमारियों की दवाइयां भी रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ा देते हैं और जब यह बीमारियां ठीक होती है और दवाइयां बंद हो जाती है तब रक्त में ग्लूकोज का स्तर फिर से सामान्य हो जाता है। ऐसी स्थितियों में चिकित्सक का परामर्श और समय-समय पर जांच जरूर करानी चाहिए थोड़ी सी लापरवाही कभी-कभी एक बड़ी बीमारी का कारण बन जाती है।

आयुर्वेद के आईने में : आयुर्वेद 18 प्रकार के प्रमेह का वर्णन करता हैं। मधुमेह प्रमेह की एक असाध्य अवस्था मानी जाती है। शास्त्रों में अनेक प्रकार की उच्च कोटि की हितकारी औषधियों का उल्लेख है। आयुर्वेद निरापद चिकित्सा पद्धति है। इस पद्धति की औषधियों का निरंतर सेवन करने से शरीर के आंतरिक अंगों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं होता। इसीलिए योग्य वैद्य के मार्गदर्शन में शास्त्रीय आयुर्वेद का लाभ अवश्य लें।

देसी नुस्खा बढ़ी हुई डायबिटीज का दुश्मन : प्रातः गेहूं का 50 ग्राम भूसा जिसे सामान्यतः गाय को खिलाया जाता है,  उसे रात्रि में दो गिलास पानी में भिगो दें। प्रातः काल इसे इतना उबालें कि पानी आधा बचे और फिर इस पानी को छानकर गुनगुना गुनगुना चाय की तरह खाली पेट पी ले। स्वाद के लिए इसमें छोटी इलायची, अदरक और लोग का पाउडर मिलाया जा सकता है। यह प्रयोग डायबिटीज के पुराने से पुराने मरीजों के जीवन में भी नई ऊर्जा नई शक्ति का संचार करता है और नए मरीज यदि नियमित रूप से इसका सेवन करते रहे और प्रत्येक 2 सप्ताह में रक्त शर्करा की जांच करा कर उसका मूल्यांकन करते रहे तो सामान्य परहेज करने पर और दिनचर्या में बदलाव करके डायबिटीज टू का बेहतर से बेहतर मैनेजमेंट किया जा सकता है।

योगासन भी बड़े कारगर हैं : डायबिटीज के मरीज को प्रतिदिन आस्वाचालनासन, विमानासन, मंडूकासन, व पक्षी आसन का एक एक मिनट तक सांस को सामान्य रखकर अभ्यास करना चाहिए। इसके साथ ही कम से कम 2 बार सूर्य नमस्कार का अभ्यास डायबिटीज के रोगियों में बेहतर सुगर मैनेजमेंट में बहुत मददगार है। यदि इन योगिक आसनों का अभ्यास शाम को भी 10 मिनट तक किया जाए तो बहुत श्रेष्ठ है।

मधुमेह के रोगी 3 से 4 किलोमीटर प्रतिदिन मॉर्निंग वॉक से बहुत लाभ प्राप्त कर सकते हैं लेकिन जिनके पास मॉर्निंग वॉक के लिए वक्त नहीं है। वह अपने घर पर पदचालन की क्रिया 4 मिनट तक करें। इस क्रिया में पहले 2 मिनट तक एड़ी के बल सीधा चलते हैं और ध्यान रखते हैं कि कमर व घुटने को सीधा रखकर तेज तेज चले और इसके बाद एड़ियों को जमीन पर रख दें और फ़िर 2 मिनट तक पैर के पंजे को जमीन पर रखें और एड़ियों को उठाकर पैर के पंजे के बल चलें। व्यस्तता पूर्ण जीवन जीने वालों के लिए यह 4 मिनट की योगिक क्रिया लगभग तीन से चार किलोमीटर मॉर्निंग वॉक के बराबर लाभ देती है।