दुनिया भर में मुर्गे की डेढ़ सौ प्रजातियां

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# शिवचरण चौहान

मुर्गा एक सुंदर पंख वाला पंछी है। नर मुर्गे के पंख बहुत सुंदर होते हैं, मादा को मुर्गी कहां जाता है। मुर्गी का रंग सफेद गर्दन और मुख लाल रंग के कलगीदार होते हैं। मुर्गी जहां अपने अंडों के लिए विख्यात है वही मुर्गा अपने सुस्वादु मांस के लिए पाला जाता है और फिर काट डाला जाता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मनुष्य बड़े पैमाने पर इतने सुंदर पंछी का मांस खाता है। कुक्कुट पालन से जुड़ी है कुछ वैज्ञानिक ने मुर्गे की और मुर्गी की ऐसी नसल विकसित की है जो एक बार में 100 100 अंडे देती हैं। कुछ वैज्ञानिक ने मुर्गी के अंडे भी बनाकर तैयार किए हैं, जो बाजार में बिकते हैं। भारतीय महाद्वीप में वन मुर्गी जो जंगल में पाई जाती है और जो पानी में पाई जाती है भी मुर्गी कहलाते हैं। नर मुर्गा रंग-बिरंगे ऊंची गर्दन लाल कलंगी वाला होता। एक दम काले रंग के मुर्गे को कड़कनाथ मुर्गा कहते हैं। इसके पंख पैर पनजे भी काले होते हैं। लग हरण मुर्गी एक बार में एक दर्जन से लेकर एक सौ अंडे तक दे सकती है।

प्राचीन काल से लोग नर मुर्गों की आपस में लड़ाई करवाते हैं। राजा महाराजा और मुगल बादशाह मुर्गों की लड़ाई देखने के बहुत शौकीन थे। मुर्गे की लड़ाई में कमजोर पड़ने वाला मुर्गा मारा जाता है या फिर भाग जाता है। जीतने वाले मुर्गे के मालिक को राजा महाराजा ईनाम इकराम देते थे। आप भी कई स्थानों पर साप्ताहिक बाजारों हाटों और मेलों में मुर्गे बुलबुल और तीतर के दंगल होते हैं। अब पक्षी क्रूरता अधिनियम  के तहत पंछियों और पशुओं को आपस में लड़ाने पर रोक लगी हुई है। फिर भी कुछ लोग पशु पक्षियों का दंगल करा कर इनका जीवन खतरे में डालते हैं।

मुर्गा पालने वाले लोग डरबा बनाकर या बाड़ा बना कर मुर्गियां पालते हैं। मुर्गा बहुत आशिक मिजाज पंछी है। एक दो दर्जन मुर्गियों के हरम में एक मुर्गा शहंशाह की तरह रहता है। कुक्कुट पालन दुनिया भर में मुर्गी के अंडों का व्यवसाय करते हैं। मुर्गी के अंडों से आमलेट बनाया जाता है। मुर्गे के मांस को पूरी दुनिया में खाने वाले खरीद कर खाते हैं। कड़कनाथ मुर्गा या काले रंग वाला मुर्गा का मांस बहुत महंगा बिकता है।

मुर्गा गांव का सफाई कर्मचारी भी है। या पंछी अपनी माताओं के साथ गंदगी के ढेर कूड़े करकट के ढेर से अपना दाना खाना चुगता है और गंदगी साफ करता है। भगवान ने सुंदर पंछी को आदमी की गंदगी साफ करने  का काम सौंपा है। पर कुछ लोग गंदगी खाने वाले पंछी को भी मारकर खा जाते हैं। पुराणों में कथा आती है, सुबह होने का प्रमाण मुर्गे के बोलने से ही मिलता है। सूरज निकलने के पहले मुर्गा कुकड़ू कु कुकड़ू कु की आवाज से भोर होने की घोषणा करता है। स्वर्ग के राजा इंद्र ने गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या की सुंदरता पर रीझ कर चंद्रमा को मुर्गा बनाया था। और अहिल्या का शीलभंग किया था। तब गौतम ऋषि ने चंद्रमा को श्राप दिया था। यह कथा पुराणों में विस्तार से वर्णित है।

मनुष्यों के साथ रहते रहते हैं मुर्गा और मुर्गी उड़ना भूल गए हैं। कुत्ता, बिल्ली, सियार, लोमड़ी, सांप और नेवला मुर्गा के दुश्मन है। मुर्गा अपने दुश्मनों से बचने के लिए बहुत तेज दौड़ता है और दो चार मीटर उड़कर फिर जमीन पर आकर दौड़ने लगता है। अपने पंख बड़े होने के कारण मुर्गा बहुत तेज नहीं उड़ पाता जबकि मुर्गी उड़कर पेड़ के नीचे की डाल पर बैठ जाती है।

दडबे में रहने वाली मुर्गियां उसी में अंडे देती रहती हैं। मुर्गी के अंडों से बच्चे निकलते हैं जिन्हें चूंजा कहा जाता है। रुई के गोले से चूंजे सफेद या हल्के पीले रंग के होते हैं। चू चू चू चू करते चूंजे बहुत अच्छे लगते हैं। आज विश्व भर में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि अनेक देशों में मुर्गा-मुर्गी पालन किया जाता है और बड़े पैमाने पर मुर्गी के अंडों और मुर्गे का मांस का निर्यात किया जाता है। भारत में प्रतिवर्ष अरबों का व्यवसाय होता है।

मुर्गे का मांस खाने से या मुर्गे की गंदगी से स्वाइन फ्लू जैसे ही गंभीर बीमारियां फैल चुकी हैं। मुर्गे और चमगादड़ से ही कोरोना जैसी महामारी ने पूरी दुनिया को परेशान कर रखा है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि कोरोना वायरस के कारण मुर्गे का मांस और अंडे खाना भारत में करीब 75% कम हो गया है। अभी भी कई होटलों में कड़कनाथ मुर्गा महंगे दामों पर बिकता है। पर मनुष्य का शरीर दूसरों का मांस खाने के लिए नहीं बनाया है। पशु पक्षी और फूल आदमियों का मन बहलाने के लिए बनाए गए हैं। मनुष्यों की मदद के लिए बनाए गए हैं ना कि उन्हें मार कर खा जाने के लिए।

भारत में जल मुर्गी भी पाई जाती है। जल मुर्गी करीब तीन दर्जन जातियां भारत में प्रमुखता से पाए जाती हैं। जल मुर्गी ताल तलैया सरोवर झील नदी और नहरो के किनारे अक्सर देखी जा सकती हैं। वन मुर्गी जंगल में पाई जाती है। भारत में वन मुर्गे की करीब तीन दर्जन प्रजातियां पाई जाती हैं। वन मुर्गी पहाड़ी जंगलों से लेकर मैदान के जंगलों तक पाई जाती है। इनमें भी नर और मादा के अलग-अलग रंग होते हैं। बहेलियों और शिकारियों द्वारा अत्याधिक शिकार किए जाने से जल मुर्गी और वन मुर्गी की कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं।

#देसी मुर्गा, जंगली मुर्गा, जंगली मुर्गी और मुर्गे के कुछ कृतिम प्रजातियां पाई जाती हैं।

# मुर्गा पालन कुक्कुट पालन एक व्यवसायिक उद्यम है। कड़कनाथ मुर्गा और लगहरण मुर्गी बहुत पाली जाती है।

# मुर्गे का मांस खाने से विश्व में अनेक भयंकर बीमारियां फैली हैं।

#सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी आज कुक्कुट पालकों ने सच कर दि खाई है।

# कुछ लोग मुर्गों की लड़ाई करवाते हैं और सट्टा लगाते हैं।