उत्तर प्रदेश के किसानो पर खाद को लेकर दोतरफा वित्तीय मार पड़ रही है। एक तरफ हर तरह की खाद खरीद पर दोहरा जीएसटी तो वसूला ही जा रहा है ऊपर से डीएपी पर सहकारी समितियों को मिलने वाली विशेष छूट को भी कृभको और इफको ने समाप्त कर दिया है। उत्तर प्रदेश में यूरिया, डाय अमोनियम फास्फेट (डीएपी), म्युरएट ऑफ पोटाश (एमओपी) आदि उर्वरकों पर केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी 2.5-2.5 प्रतिशत की दर से वसूल किया जाता है।
प्रदेश में चालू फसली सीजन के लिए कृषको हेतु फुटकर बिक्री दर 24000 रुपए प्रति टन निर्धारित की गई है, जिसमें 2.5 प्रतिशत की दर से 559.43 रुपए केंद्रीय जीएसटी और इतना ही राज्य जीएसटी मिलाकर कुल 1118.86 रुपए होता है। उक्त बिक्री मूल्य में 480 रुपए का डीलर मार्जिन भी शामिल है, यहां तक तो ठीक है। खेल यह है कि डीलर मार्जिन पर भी 2.5-2.5 प्रतिशत की दर से केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी की वसूली की जाती है।
इस तरह एक टन पर जीएसटी की कुल राशि 1118.86 रुपए और एक बोरी पर 57.14 रुपए की दर से वसूल की जाती है। 23300 रुपए टन की दर से एनपीके खाद पर कुल जीएसटी 1109.52 रुपए लिया जाता है। जैसाकि सरकारी आंकडे बताते हैं प्रदेश में औसतन सालाना खपत यूरिया की 28 लाख टन, डीएपी की 12 लाख टन एनपीके की 4 लाख टन और सिंगल सुपर फास्फेट की 3.50 लाख टन होती है।
मोटे तौर पर खादों से 500 करोड़ रुपए के लगभग जीएसटी वसूल किया जाता है, यह भारी भरकम राशि किसकी जेब से आती है? प्रदेश के आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता द्वारा 30 सितंबर 2020 को पत्र (परिपत्राक सी-25/कृषि निवेश /बी 250 (टीसी-2) में उर्वरक उपक्रमों कृभको और इफको का हवाला देकर फास्फेटिक खाद पर दी जाने वाली 300 रुपए प्रति टन की विशेष छूट को 1अक्टूबर से बंद करने का आदेश जारी किया गया है, इस दर के हिसाब से प्रति बोरी 15 रुपए छूट मिल रही थी। यह छूट खाद बिक्री करने वाली सहकारी समितियों को मिलती थी।
प्रणतेश नारायण बाजपेयी