फिलहाल हाई है राहुल गांधी का जोश

* उनका दावा है कि जिस प्रकार हमने भाजपा को अयोध्या में हराया है वैसे ही गुजरात में भी हराएंगे * 98 सीट पाकर उत्साहित हैं, बोले-हमने लाल कृष्ण आडवाणी के राम मंदिर आंदोलन की हवा निकाली * पर राहुल ने अखिलेश से पहले हाथरस जाकर सपा की कमजोर नस दबाई है, देखें क्या असर होता है

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लखनऊ/नयी दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस समय पूरे जोश से भरे हुए हैं। जबसे वे नेता प्रतिपक्ष बने हैं तबसे तो उनका कांफिडेंस और बढ़ा हुआ है। वे बड़ी तेजी से कदम बढ़ाते जा रहे हैं। दनादन राजनीतिक दौरे कर बयान देते जा रहे हैं। इस समय तो वे इतनी ऊर्जा से भरे हैं कि उन्होंने नरेंद्र मोदी को उनके गढ़ गुजरात में ही हरा देने का दम भर दिया है। वे इतनी जल्दी में हैं कि अखिलेश यादव का इंतजार किये बिना हाथरस का भी दौरा कर आए, जहां पर समाजवादी पार्टी की कमजोर नस दबी हुई है।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को हाथरस का दौरा खत्म करने के बाद शनिवार को अहमदाबाद के दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं को उत्साहित करते हुए कहा कि हमने अभी तो भाजपा को राम मंदिर आंदोलन के केंद्र अयोध्या में हराया है, अब गुजरात की बारी है, हम उन्हें यहां भी हराएंगे, लिख कर ले लो। और यह कारनामा हमारे गुजरात के शेर कार्यकर्ता करेंगे। हालांकि राहुल गांधी यह दावा करते समय भूल गए कि अयोध्या में कांग्रेस नहीं समाजवादी पार्टी जीती है। और जमीनी स्तर पर कांग्रेस का वहां कोई आधार नहीं है। ऐसे में उनका यह दावा उनका बड़बोलापन ही कहा जाएगा। फिर भी उनका जोश उनका हाई है…अच्छा है। गुजरात के दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी ने अहमदाबाद में कहा कि हमने राम मंदिर आंदोलन के केंद्र अयोध्या में भाजपा को हराकर लालकृष्ण आडवाणी के राम मंदिर आंदोलन की हवा निकाल दी है। ऐसे में अब गुजरात में भी भाजपा को हराना आसान है। और यह काम आप जैसे शेर कार्यकर्ता कर देंगे। उनका दावा है कि इस समय भाजपा का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है।

ऐसा लगता है कि विपक्ष के बाकी दलों की तरह राहुल गांधी भी माइंड गेम खेलना सीख गये हैं। क्योंकि गुजरात पिछले दो-तीन दशक से भाजपा का गढ़ बना हुआ है। यह काम इतना आसान नहीं लगता। राहुल गांधी के दावे पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी का कहना है कि, राहुल गांधी पहले अपने सबसे नजदीक की विधानसभा दिल्ली की चिंता करें, जहां जनता ने उन्हें और उनके गठबंधन साथी आप को लोकसभा चुनाव में नकार दिया है। गुजरात तो बहुत दूर की चीज है, वहां उनकी दाल नहीं गलने वाली।

राहुल गांधी ने गत लोकसभा चुनाव में भी इसी प्रकार का दावा किया था और कहा था कि इस बार हम सरकार बनाएंगे पर कांग्रेस पार्टी खुद 98 पर आकर अटक गई। इंडी के सारे गठबंधन साथी मिलाकर भी 272 का जादुई आंकड़ा नहीं पा सके और एनडीए ने 293 सांसदों की संख्या के साथ सरकार बना ली। राहुल गांधी ने एक बार फिर एक अनोखा दावा करते हुए कहा है कि गुजरात में कांग्रेस पार्टी की आत्मा लड़ेगी। अब कांग्रेस की आत्मा चुनाव कैसे लडेगी इसकी विस्तृत व्याख्या तो राहुल गांधी ही कर सकते हैं। खैर, राहुल गांधी का यह भी दावा है कि नरेंद्र मोदी अयोध्या से ही चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी के आंतरिक सर्वे में स्थितियां पक्ष में नहीं पाई गईं। इसी के चलते उनका अयोध्या से चुनाव लड़ने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। राहुल गांधी का दावा है कि यदि नरेंद्र मोदी अयोध्या से चुनाव लड़ते तो हार जाते।
उधर कांग्रेस लगातार राहुल गांधी की इमेज बनाने पर भी जोर दे रही है। इसीलिए उन्हें समाज के विभिन्न वर्गों से मिलवाकर संवाद कराया जा रहा है। इसी कड़ी में वे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लोको पायलट वर्ग से जाकर मिले। पर दावा किया जा रहा है कि उन्होंने जिन लोगों से भेंट की उनमें से कोई भी लोको पायलट नहीं था। इस बाबत नयी दिल्ली स्टेशन पर तैनात लोको पायलट दल के एक सदस्य का कहना है कि मैं उनमें से किसी को नहीं पहचानता। वे लोग बाहरी व्यक्ति थे। यानी राहुल गांधी की इमेज झूठ की बुनियाद पर बनायी जा रही है।

खैर, कुल मिलाकर राहुल गांधी की तेज होती सियासी सरगर्मी तो ठीक है, उनको तेजी दिखानी भी चाहिए। लेकिन उन्हें यूपी के बारे में जरा संभाल कर कदम उठाना चाहिए। क्योंकि यूपी में राहुल या कांग्रेस के पास अपना कुछ नहीं है, जो भी है गठबंधन साथी समाजवादी पार्टी के भरोसे है। ऐसे में ऐसा कोई भी काम जो समाजवादी पार्टी को असहज कर दे, उन्हें नहीं करना चाहिए। अन्यथा कल को क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव के पहले हाथरस जाने की जल्दी दिखा कर राहुल गांधी ने राजनीतिक गलती कर दी है। क्योंकि इस समय जो नैरेटिव चल रहा है उसके अनुसार अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी भोले बाबा को लेकर पूछे जाने वाले सवालों को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं। ऐसे में कौन, कब, कैसे बुरा मान जाए कहा नहीं जा सकता। इसलिए राहुल गांधी के लिए फिलहाल यही सलाह है कि थोड़ा संभल के…।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक