एनबीएफसी का सही आडिट हो भी कैसे? आरबीआई स्टाफ की तंगी

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एनबीएफसी का सही आडिट हो भी कैसे? आरबीआई स्टाफ की तंगी में…… गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के वित्तीय क्रियाकलापों में होने वाली अनियमितताओं की रोकथाम न कर पाने के लिए लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) भी दोषी है। देश में भारी संख्या में मौजूद एनबीएफसी के बही-खातों की जांच के लिए आरबीआई के पास पर्याप्त स्टाफ तक नहीं है।

भारतीय रिज़र्व बैंक बैंकों के आडिट को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है, यह उचित है। लेकिन विनियमन की शक्तियों से लैस और भरपूर वित्तीय संसाधनों से युक्त आरबीआई एनबीएफसी के आडिट स्टाफ की तंगी से जूझ रहा है और इसकी वजह से अपनी जिम्मेदारियों को यथोचित रूप से नहीं निभा पाता है तो यह ‘ढोल में पोल’ का अतिगंभीर मसला है। आरबीआई जैसे नियामक से इसकी उम्मीद तक नहीं की जा सकती है। इसे शीर्ष प्रबंधन की चूक नहीं ठहराया जा सकता, यह प्रत्यक्ष रूप से बरती गई लापरवाही और अनदेखी है जिसके लिए जवाबदेही तय की जाए और सख्त कार्रवाई करने की तात्कालिक आवश्यकता है।

आर्थिक विकास में एनबीएफसी की अहम भूमिका रही है लेकिन इस क्षेत्र में वित्तीय अनियमितताएं और सारडा चिटफंड जैसे बहुतेरे घपले भी बड़े पैमाने पर होते रहे हैं। चुनिंदा को छोड़कर समग्र में एनबीएफसी की साफसुथरी छवि नहीं बन पाई। देश में 9 हजार से अधिक एनबीएफसी हैं। आरबीआई जबतब एनबीएफसी के पंजीकरण प्रमाणपत्रों को निरस्त भी करता रहता है। मसलन बीते दिन आरबीआई ने 208 एनबीएफसी के पंजीकरण निरस्त करने की अंतिम चेतावनी इन्हें दी है, इनमें कानपुर की नामी कंपनी कैलाश आटो फाइनेंस लिमिटेड सहित पश्चम बंगाल की 168, मुंबई की 13 और राजधानी दिल्ली की 27 एनबीएफसी शामिल हैं। आरबीआई इसके पहले 2014 से लेकर पिछले साल 2022, मार्च तक 3110 एनबीएफसी के पंजीकरण प्रमाणपत्रों को निरस्त कर चुका है।

यह भी तथ्य है कि बड़ी संख्या में नई एनबीएफसी का पंजीकरण आरबीआई करता रहता है। जानकारों का कहना है कि आरबीआई को इनके पंजीकरण के नियमों को सख्त करने की जरूरत है। नौ हजार से अधिक एनबीएफसी के बही-खातों की जांच करने के लिए आरबीआई के पास 1500 से कम स्टाफ है। वैसे भी एनबीएफसी का ज्यादातर विनियमन फिजिकल वेरिफिकेशन पर आधारित नहीं हो पाता, डिजिटल माध्यम बन गया है।यह सहज में समझा जा सकता है कि इतने कम स्टाफ से गुणवत्तापरक आडिट संभव कैसे हो सकता है ? यूं तो आडिट की रस्म निभाई ही जाती है। और इसीलिए बही-खातों में गड़बड़ियां पकड़ में नहीं आ पाती हैं, फ्राड होते हैं, धोखाधड़ी चलती रहती है।

हाल के महीनों में एनबीएफसी के ऋणवितरण में जोरदार उछाल दर्ज किया गया है, ली गई ऋणराशि का अधिकांश हिस्सा उपभोक्ता सामानों की खरीद और अनुत्पादक मदों पर खर्च होता है नतीजतन ऋणों की अदायगी प्रभावित होने से एनबीएफसी का एनपीए बढ़ रहा है। पिछले दो महीनों में आरबीआई के गवर्नर तो स्वयं ही बैंकों को सावधानी बरतने की सलाह कई बार दे चुके हैं। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार कहने को एनबीएफसी की समग्र परिसंपत्तियां 42 लाख करोड़ रुपए की हैं। यदि सख्ती के साथ इन परिसंपत्तियों का निष्पक्ष आडिट किया जाए तो इनकी असल वैल्यू पचीस से चालीस प्रतिशत तक कम निकलेगी।

प्रणतेश बाजपेयी