83 हजार करोड़ का ‘खाता धारक खोज अभियान’ 1 जून से….. खाताधारकों के निष्क्रिय बैंक खातों में सालों से पड़ी खरबों रुपए की अनक्लेम्ड राशियां भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संचालित एक पृथक निधि ‘डिपाॅजिटर एजुकेशन ऐंड अवेयरनेस फंड’ (डीईएएफ)में सुरक्षित पड़ी हुई हैं। रिजर्व बैंक इन धनराशियों के जमाकर्ताओं की तलाश करने के लिए 1 जून से देशव्यापी अभियान शुरू करा रहा है। ‘खाता धारक खोज’ अभियान पूरे 100 दिनों तक चलाया जाएगा।
नियमानुसार यदि बचत खाता, रिकरिंग, करेंट एकाउंट अथवा फिक्स्ड डिपॉजिट का संचालन मैच्योरिटी के बाद दस वर्षों तक संचालन नहीं होने पर ऐसे खातों को निष्क्रिय करार दे दिया जाता है। रिजर्व बैंक का नियम है कि संबंधित बैंक निष्क्रिय खातों में जमा पड़ी ऐसी धनराशि को ‘डिपाजिटर एजूकेशन ऐंड अवेयरनेस फंड’ नाम से स्थापित पृथक निधि में जमा कर देता है। इस फंड के लिए पृथक निर्धारित खाता संख्या में धनराशि जमा करनी पड़ती है। बैंकिंग रेगुलेशन ऐक्ट 1949 के अंतर्गत वर्ष 2014 में 24मई को डिपाजिटर एजूकेशन ऐंड अवेयरनेस फंड स्कीम को अधिसूचित किया गया था।
रिजर्व बैंक ही इसका संचालन और उपयोग करता है। रिजर्व बैंक ने प्रत्येक बैंक को प्रत्येक जिला में ऐसे सौ प्रमुख निष्क्रिय खाता धारकों को खोजकर सौ दिनों के भीतर समाधान-निपटान कराने का निर्देश दिया है। वैसे पहले से यह प्रावधान है कि यदि कोई बैंक खाता दो वर्ष से अधिक समय तक संचालित नहीं किया जाता है तो संबंधित बैंक को फोन से अथवा अन्य माध्यम से खाता धारक से संपर्क करके वस्तु स्थिति की जानकारी का आदान-प्रदान करना चाहिए। इसमें दो बातें होती हैं अधिकतर तो बैंक ऐसा करने में दिलचस्पी नहीं लेते हैं, और कई मामलों में खाता धारक के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती है और बैंक का प्रयास निष्फल हो जाता है।
डीईएएफ स्कीम शुरू होने के प्रथम वर्ष 2014_15 में बैंकों में निष्क्रिय खातों से 7,875 करोड़ रुपए इस फंड में जमा हुए थे, 2015_16 में यह बढ़कर 10,585 करोड़, 2016_17 में 14,697 करोड़, 2017_18 में 19,567 करोड़, 2018_19 में 25,747 करोड़ से बढ़तेबढ़ते 2023, अप्रैल में 83,263 करोड़ रुपए पहुंच गई। अब देखना यह है कि रिजर्व बैंक का यह अभियान अपने उद्देश्य को पूरा करने में कितना सफल हो पाएगा। अभियान की सफलता काफी हद तक बैंकों के प्रयास पर निर्भर करेगी।
प्रणतेश बाजपेयी