वैटिकन सिटी दुनिया का छोटा पर बेहद खूबसूरत देश

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आज आपको दुनिया के सबसे छोटे देश के बारे में बताएंगे। क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे छोटा देश कौन सा है। नहीं जानते हैं तो हम आपको बताएंगे। जी हाँ दुनिया का सबसे छोटा देश है वैटिकन सिटी।
वैटिकन सिटी दुनिया का छोटा पर बेहद खूबसूरत देश है।

इस देश की जनसंख्या करीब 1000 है. इसके बावजूद इस देश को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है. इसके अपने सिक्के, अपना डाक विभाग और अपना रेडियो आदि हैं.  ईसाई समुदाय के प्रसिद्ध रोमन कैथोलिक चर्च होने और धर्म गुरु पोप की वजह से यह देश पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध है. यहां के गिरजाघर, मकबरे, संग्रहालय इत्यादि आकर्षण का केंद्र हैं. क्षेत्रफल करीब 44 हेक्टेयर। जी हां, दुनिया के सबसे खूबसूरत देश व राज्यों में गिना जाने वाला ‘वैटिकन सिटी” खासतौर से ‘सीमित” होने के बावजूद ‘अत्यधिक” विस्तृत है। ‘वैटिकन सिटी” को दुनिया में एक स्वतंत्र देश-राज्य की मान्यता है। इसका अपना कानून, अपना सैन्य बल, अपनी राजभाषा, अपनी मुद्रा सहित बहुत कुछ अपना है। देश के बाशिंदों को खुद पासपोर्ट भी जारी करता है। हालांकि इस देश को अस्तित्व में आये अभी करीब सौ वर्ष हुए हैं। फिर भी इस अमेजिंग कंट्री को दुनिया में जाना जाता है। ‘वैटिकन सिटी” यूरोपीय महाद्वीप का एक खास देश है।

विशेषज्ञों की मानें तो वैटिकन सिटी धरती के सबसे छोटे देशों में से एक है। चिट्टा डेल वैटिकानो से इस शहर के जन्म को माना जाता है। ‘वैटिकन सिटी” इटली के रोम शहर के अंदर स्थित है। इसकी राजभाषा लैटिन है। ईसाई धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय रोमन कैथोलिक चर्च का यहीं केन्द्र है।
‘वैटिकन सिटी” के मध्य में सैन पियेत्रे भव्य-दिव्य हाल है। इसी हाल से धर्मगुरु पोप का उपदेश प्रसारित होता है। ‘वैटिकन सिटी” में लैटिन के अलावा फ्रैंच व इटैलियन भाषा इस्तेमाल की जाती है। इस सम्प्रदाय के सर्वोच्च धर्मगुुरु पोप इसी देश में निवास करते हैं। यूं कहा जाये कि ‘वैटिकन सिटी” रोम का छोटा सा हिस्सा है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। वैटिकन सिटी में सेंट पीटर गिरिजाघर, वैटिकन प्रासाद समूह, वैटिकन बाग सहित कई अन्य गिरिजाघर हैं। विशेषज्ञों की मानें तो 11 फरवरी 1929 को एक संधि के तहत इसे एक स्वतंत्र देश-राज्य के रुप में स्वीकार किया गया। इस देश के विश्व के सभी छोटे-बड़े देशों से राजनयिक संबंध हैं। वर्ष 1932 में रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया। ‘वैटिकन सिटी” वास्तुकला का अप्रतिम व अनुकरणीय देश है।
वास्तुु का कलात्मक आयाम बरबस आकर्षित करता है। आकर्षक गिरिजाघरों, मकबरों, कलात्मक प्रासादों के साथ साथ संग्रहालयों व पुस्तकालयों की एक लम्बी श्रंखला है। खास बात यह है कि पोप के सरकारी निवास का नाम भी ‘वैटिकन” ही है। रोम में वैटिकन पहाड़ी व टाइबर नदी के किनारे बसे ‘वैटिकन सिटी” की बसावट अर्थात संरचना शिवलिंग पर आधारित दिखती है। यहां की सांस्कृतिक, धार्मिक व ऐतिहासिक परम्परायें विशिष्ट हैं। इस शहर की सजावट विश्व के नामचीन कलाकारों ने बड़े ही सलीके से की है। विशेषज्ञों की मानें तो एक समय था, जब रोम के निकटवर्ती प्रदेशों में चर्च शासन स्वीकार किया जाने लगा। वर्ष 1870 में इटली में पेपल स्टेट्स को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया गया। इससे इटली एवं चर्च के बीच तनावपूर्ण हालात पैदा हो गये।
कारण रोमन कथोलिक चर्च अपने परामाध्यक्ष को ईसा का प्रतिनिधि समझ कर किसी राज्य के अधीन नहीं रहना चाहता। सहमति-समझौता के आधार पर वर्ष 1929 में इटली व रोमन कैथोलिक चर्च की दिशायें तय हो गयीं। इसी के तहत संत पीटर के धर्म क्षेत्र के आसपास लगभग एक सौ नौ एकड़ भूमि उपलब्ध करा दी गयी। इस क्षेत्र को पूर्ण तौर पर स्वतंत्र मान लिया गया। इसी के साथ ही ‘चिट्टा डेल वाटिकानो” अर्थात ‘वैटिकन सिटी” का विश्व के एक नये देश के तौर पर उद्भव हुआ। वैटिकन सिटी को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हासिल है।
वैटिकन सिटी अपने देश के बाशिंदों को पासपोर्ट जारी करने से लेकर सभी आवश्यक सेवायें-सुविधायें उपलब्ध कराता है। वैटिकन सिटी की आबादी भले ही एक हजार के आसपास हो लेकिन यह देश दुनिया भर में फैले रोमन कैथोलिक चर्च का आध्यात्मिक संचालन करता है। ‘वैटिकन सिटी” के पास अपनी डाक व्यवस्थायें हैं तो वहीं उसकी अपनी मुद्रा है। खास बात यह है कि वैटिकन सिटी की मुद्रा इटली में भी चलती है। इन्फारमेशन एण्ड टेक्नालाजी, डाक विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से लेकर वैटिकन सिटी का अपना सैन्य बल भी है।
ईसाई धर्म के इस पवित्र शहर की संरचना हिन्दू धर्म के शिवलिंग के समान है। इस शहर का अवलोकन करने पर शिव के मस्तक का त्रिपुण्ड भी अवलोकित होता है। वैटिकन की उत्पत्ति भी वैदिक से मानी जा रही है। ‘वैटिकन सिटी” छोटा राष्ट्र होने के बावजूद विकसित व सम्पन्न देशों में गिना जाता है। इस देश की इमारतें निश्चय ही वास्तुकला का अद्भूत उदाहरण हैं जिनको देखने का लोभ संवरण नहीं हो पाता। नक्काशी का शिल्प बरबस देखते ही बनता है।