भारत में तंबाकू के उपयोग से हर साल 13 लाख से अधिक मौतें

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, भारत में 13 लाख से अधिक मौतें हर साल तंबाकू के उपयोग की वजह से होती हैं। प्रतिदिन के लिए यह 3500 मौतें हैं। जिससे बहुत अधिक सामाजिक-आर्थिक बोझ पड़ता है। इसके कारण होने वाली मौतों और बीमारियों के अलावा, तंबाकू देश के आर्थिक विकास को भी प्रभावित करता है।

उन्होंने आगे यह भी बताया कि धूम्रपान करने वालों को कोविड-19 के चलते गंभीर बीमारी से होने वाली मौतों को लेकर 40-50 फीसदी अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अध्ययन भारत में तंबाकू के उपयोग से होने वाली बीमारियों और मौतों की आर्थिक लागत के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में तंबाकू के उपयोग से होने वाली बीमारियों और मौतों का आर्थिक बोझ 1.77 लाख करोड़ रुपये था, जो जीडीपी का लगभग 1 फीसदी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में उन्होंने उपस्थित सभी लोगों के तंबाकू से परहेज करने के संकल्प का नेतृत्व किया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

डॉ. हर्षवर्धन ने कानूनी और प्रशासनिक साधनों के माध्यम से तंबाकू उपभोग करने वाली आबादी में लगातार कमी आने के देश के लंबे इतिहास को रेखांकित किया। उन्होंने आगे कहा, भारत में तंबाकू नियंत्रण कानून ‘सिगरेट अधिनियम, 1975’ से पुराना है, जो विज्ञापन में और डिब्बों व सिगरेट के पैकेटों पर वैधानिक स्वास्थ्य चेतावनियों को प्रदर्शित करना अनिवार्य करता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अपने करियर के हर कदम पर तंबाकू के खिलाफ अपनी लंबी लड़ाई को याद किया। उन्होंने बताया, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में, मुझे दिल्ली धूम्रपान निषेध और धूम्रपान न करने वालों के स्वास्थ्य संरक्षण अधिनियम की कल्पना करने का अवसर मिला और इसे 1997 में दिल्ली विधानसभा में पारित किया गया। यही अधिनियम 2002 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाने वाले केंद्रीय अधिनियम का मॉडल बन गया। इसके बाद 2003 में व्यापक तंबाकू नियंत्रण कानून [सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध और व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) अधिनियम – सीओटीपीए, 2003] बनाया गया। जिसका उद्देश्य धूम्रपान मुक्त सार्वजनिक स्थान उपलब्ध कराना और तंबाकू के विज्ञापन व प्रचार पर प्रतिबंध लगाना है। डॉ. हर्षवर्धन के योगदान को मान्यता देते हुए इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए उन्हें दुनिया भर में प्रशंसा भी मिली। उन्होंने एक तंबाकू मुक्त समाज के लिए काम करने को लेकर ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो में आयोजित एक समारोह में मई-1998 में डब्ल्यूएचओ महानिदेशक का प्रशस्ति पदक व प्रमाण पत्र प्राप्त किया।

उन्होंने इस पर संतोष व्यक्त किया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के लगातार प्रयासों से, तंबाकू के उपयोग की व्यापकता 2009-10 में 34.6 फीसदी से घटकर 2016-17 में 28.6 फीसदी हो गई है। तंबाकू के उपयोग को रोकने में सरकार की दृढ़ राजनीतिक प्रतिबद्धता पर उन्होंने कहा, जब मैंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में काम संभाला, उस समय मैंने ई-सिगरेट के खतरे से निपटने का फैसला किया और ‘इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध विधेयक, 2019’ की कल्पना की, जो ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन को प्रतिबंधित करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुकरणीय नेतृत्व ने विभिन्न हितधारकों को आश्वस्त किया और 2019 में संसद में इस विधेयक को सुचारू रूप से पारित करने की अनुमति दी। सरकार के निरंतर प्रयासों ने देश को ई-सिगरेट के खतरे से बचाने में योगदान दिया है, जो किशोर आबादी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता था।

डॉ. हर्षवर्धन ने तम्बाकू क्विटलाइन सेवाओं के लिए कॉल के प्रसार के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा, हमारे पास टोल फ्री क्विट लाइन सेवाएं -1800-112-356 है, जिसे 2016 में शुरू किया गया था और इसे सितंबर, 2018 में विस्तारित किया गया है। क्विट लाइन सेवाएं अब 4 केंद्रों से 16 भाषाओं और अन्य स्थानीय बोलियों में उपलब्ध हैं। विस्तार से पहले क्विट लाइन पर कॉल की संख्या 20,500 प्रति माह थी जो विस्तार के बाद बढ़कर 2.50 लाख कॉल प्रति माह हो गई है। उन्होंने लोगों से तंबाकू और तंबाकू उत्पादों का उपयोग छोड़ने की अपनी अपील दोहराई।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने तंबाकू नियंत्रण के संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति- 2017 के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर बात की। उन्होंने कहा, हमने 2025 तक तंबाकू के उपयोग को 30 फीसदी तक कम करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। हमारे तंबाकू नियंत्रण लक्ष्य, गैर-संक्रमणकारी बीमारियों के नियंत्रण के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं और ये एसडीजी के तहत निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप हैं। हम जल्द ही विद्यालय जाने वाले 13-15 साल के छात्रों के बीच किए गए वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण के चौथे दौर के निष्कर्ष जारी करेंगे।