मंच पर जीवांत हुए उपन्यास के पात्र रेहन पर रग्घु

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मंच पर जीवांत हुए उपन्यास के पात्र —- दिल्ली, बच्चे अगर विदेश में बस जाएं, उस स्थिति में उन्हें रेहन पर रख कर पढ़ाने वाले माता-पिता पर क्या गुजरती है यह पक्ष साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास ‘रेहन पर रग्घु’ का मंचन में सामने आया। विवाह नाम की संस्था के विभिन्न पहलुओं को परिभाषित करते हुए परिवारिक रिश्ते के द्वंद्व भी दर्शकों के सामने लाता हैं। इस चर्चित उपन्यास के लेखक वरिष्ठ कथाकार काशीनाथ सिंह हैं। उपन्यास का नाट्य रूपांतरण और निर्देशन राज नारायण दीक्षित ने किया है। यह नाटक प्रस्ताव, दिल्ली द्वारा आयोजित तृतीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह की अंतिम प्रस्तुति के तौर पर त्रिवेणी कला संगम ,मंडी हाउस में प्रदर्शित हुआ।

नाटक बीते दो दशक के यथार्थ का चित्रण है। यह नाटक गांव, शहर, अमेरिका तक के भूगोल में फैला हुआ अकेले और निहत्थे पड़ते जा रहे मनुष्य का चित्रण करता है। इस नाटक में भूमंडलीकरण के परिणामस्वरूप संवेदना, संबंध और सामूहिकता की दुनिया में जो निर्मम ध्वंस हुआ है उस बदलाव से जो तूफान निर्मित हुआ है- उसका प्रमाणिक और गहन मंथन है।

नाटक के मूल में है मास्टर रघुनाथ, जो व्यवस्थित असफल जिंदगी जी रहे हैं सब कुछ उनकी योजना और इच्छा के मुताबिक हो रहा है पर अचानक ऐसा घटित होता है जीवन का आयोजित यथार्थ इतना महत्वकांक्षी आक्रामक हिंसक हो जाता है कि मनुष्यता की तमाम सारी आत्मीयता कोमल अच्छी चीजें टूटने बिखरने और बर्बाद होने लगती है और एक नए युग की वास्तविकता की गाथा सामने आती है। देशज सच्चाइयों, कल्पना, काव्यात्मक झीनी दार्शनिकता का सहमेल नाटक को महत्वपूर्ण बनाता है।

नाटक की प्रमुख भूमिकाओं में मास्टर रघुनाथ (भूपेश जोशी) व शीला (शिल्पा वर्मा) ने अपने अभिनय से दर्शकों को भावनात्मक तौर पर अपने से जोड़ने में सफल रहे।राजू (मोहित चुग), सरला (दिशी अग्रवाल), (तृप्ति जौहरी), संजय (चैतन्य राज), समीर (आनंद दीक्षित), चौकीदार (नीतू राज), अपहरणकर्ता (अनुराधा गौतम, शाहनवाज अपनी भूमिकाओं में प्रभावित करते हैं। संतोष कुमार का संगीत दर्शकों के मर्म को छूता है। कार्यक्रम का संचालन आर्यश्री आर्या ने किया। सभी कलाकारों को संस्था के अध्यक्ष विजय हुक्कू ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। वरिष्ठ रंग कर्मी बबली श्रीवास्तव व संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भूपेश जोशी को स्मृति चिन्ह और शाल से संस्था के अध्यक्ष विजय हक्कू ने सम्मानित किया। धन्यवाद ज्ञापन रेनू दीक्षित ने दिया। तीन दिवसीय इस राष्ट्रीय नाट्यध समारोह की इस अंतिम प्रस्तुति ने दर्शकों को भावनात्मक तौर पर अपने से जोडे रखा। इस तरह के आयोजन रंग -चेतना का काम करते हैं।