नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा उत्तरी भारत का लॉजिस्टिक गेटवे

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जेवर (गौतमबुद्धनगर)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को उत्तरी भारत का लॉजिस्टिक गेटवे बताते हुए आज कहा कि इससे उत्तर प्रदेश को सात दशक बाद वह मिलना शुरू हुआ है जिसका वह हकदार रहा है। श्री मोदी ने दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के जेवर में नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के भूमिपूजन एवं शिलान्यास के बाद एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी का नया भारत आज एक से बढ़कर एक बेहतरीन आधुनिक ढांचागत निर्माण कर रहा है। बेहतर सड़कें, बेहतर रेल नेटवर्क, बेहतर एयरपोर्ट ये सिर्फ ढांचागत परियोजनाएं ही नहीं होतीं बल्कि ये पूरे क्षेत्र का कायाकल्प कर देती हैं और लोगों का जीवन पूरी तरह से बदल देती हैं।

उन्होंने कहा कि नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा उत्तरी भारत का लॉजिस्टिक गेटवे बनेगा। ये इस पूरे क्षेत्र को राष्ट्रीय गतिशक्ति मास्टरप्लान का एक सशक्त प्रतिबिंब बनाएगा। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे के निर्माण के दौरान रोजगार के हजारों अवसर बनते है। हवाई अड्डे को सुचारु रूप से चलाने के लिए भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों लोगों को नए रोजगार भी देगा। उन्होंने कहा कि एक्सप्रेसवे, मेट्रो, रेलवे, डीएफसी आदि के संपर्क से युक्त यह हवाईअड्डा कनेक्टिविटी के मामले में देश का अनूठा हवाईअड्डा होगा।

श्री मोदी ने कहा, पहले की सरकारों ने जिस उत्तर प्रदेश को अभाव और अंधकार में बनाए रखा, पहले की सरकारों ने जिस उत्तर प्रदेश को हमेशा झूठे सपने दिखाए, वही उत्तर प्रदेश आज राष्ट्रीय ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय छाप छोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में और केंद्र में पहले जो सरकारें रहीं, उन्होंने कैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विकास को नजरअंदाज किया, उसका एक उदाहरण ये जेवर हवाईअड्डा भी है। दो दशक पहले राज्य की भाजपा सरकार ने इस परियोजना का सपना देखा था। लेकिन बाद में ये हवाईअड्डा अनेक वर्षों तक केन्द्र और लखनऊ में पहले जो सरकारें रहीं, उनकी खींचतान में उलझा रहा। उत्तर प्रदेश में पहले जो सरकार थी उसने तो बाकायदा चिट्ठी लिखकर, तब की केंद्र सरकार को कह दिया था कि इस हवाईअड्डे की परियोजना को बंद कर दिया जाए।

प्रधानमंत्री ने कहा, मोदी और योगी भी चाहते तो 2017 में सरकार बनते ही यहां आकर फोटो खचवा लेते, पर होता कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि पहले राजनीतिक लाभ के लिए ढांचागत परियोजनाओं की घोषणा होती थी। परियोजनाएं कैसे जमीन पर उतरें, उनके लिए धन का प्रबंध कैसे हो, दशकों तक तक ये उसी में अटकी रहती थीं। फिर बहानेबाजी शुरू होती थी।

उन्होंने कहा कि ढांचागत विकास हमारे लिए राजनीति का नहीं बल्कि राष्ट्रनीति का हिस्सा है। हम ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि परियोजनाएं अटके नहीं, लटके नहीं, भटके नहीं। हम ये सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि तय समय के भीतर ही ढांचागत का काम पूरा किया जाए। अब डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से आज हम उसी हवाईअड्डे के भूमिपूजन के साक्षी बन रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आजादी के सात दशक बाद, पहली बार उत्तर प्रदेश को वो मिलना शुरु हुआ है, जिसका वो हमेशा से हकदार रहा है। डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से, आज उत्तर प्रदेश देश के सबसे कनेक्टेड क्षेत्र में परिवर्तित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस हवाईअड्डे से अलीगढ़, मथुरा, मेरठ, आगरा, बिजनौर, मुरादाबाद एवं बरेली में उद्योगों को बहुत लाभ होगा। खुर्जा के कलाकृतियां, मेरठ के खेल उत्पाद, सहारनपुर का फर्नीचर, मुरादाबाद का पीतल उद्योग, आगरा के जूता उद्योग एवं पेठा उद्योग को इस हवाईअड्डे के सहारे अंतरराष्ट्रीय बाजार में पंख पसारने में मदद मिलेगी।

श्री मोदी ने कहा कि हमारे देश में कुछ राजनीतिक दलों ने हमेशा अपने स्वार्थ को सर्वोपरि रखा है। इन लोगों की सोच रही है- अपना स्वार्थ, सिर्फ अपना खुद का, परिवार का विकास। जबकि हम राष्ट्र प्रथम की भावना पर चलते हैं। सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, हमारा मंत्र है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की 24 करोड़ जनता की तरफ से प्रधानमंत्री का स्वागत किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केन्द्रीय राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह एवं संजीव बालियान, राज्य सरकार में मंत्री जयप्रताप सिंह, श्रीकांत शर्मा, स्थानीय सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा, डॉ. भोला सिंह आदि नेता उपस्थित थे।

गौरतलब है कि हवाईअड्डे के लिए आवश्यक करीब 6200 हेक्टेयर जमीन में से पहले चरण के निर्माण के लिए 1334 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। सभी प्रकार की स्वीकृतियां प्राप्त हो चुकीं हैं। निर्माण करने वाली कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी की भारतीय इकाई ने निर्माण की पूरी योजना तैयार कर ली है। पहले चरण में एक रनवे एवं एक टर्मिनल के साथ निर्माण शिलान्यास के 1095 दिनों के भीतर किया जाएगा और 29 सितंबर 2024 में पहली यात्री अथवा कार्गो उड़ान संचालित होने लगेगी। सरकार ने निर्माण की समयावधि को लेकर बहुत कठोर शर्तें रखीं हैं। निर्माण में देरी होने पर कड़े दंडात्मक प्रावधान रखे हैं। जमीन के अधिग्रहण के पश्चात 3002 परिवारों के पुनर्वास का कार्य भी पूरा हो गया है। सबको वैकल्पिक भूमि एवं आवास प्रदान किया जा चुका है।

यहां विमानों के अनुरक्षण, मरम्मत एवं पुनर्निर्माण (एमआरओ) के लिए भी अलग से बड़ा भूभाग आवंटित किया गया है। इससे पहले एमआरओ के लिए विमानों को विदेश भेजना पड़ता था लेकिन अब नोएडा में ये सुविधा हो जाएगी। यह भारत का पहला ऐसा हवाई अड्डा होगा, जहां कार्बन उत्सर्जन शुद्ध रूप से शून्य होगा। जेवर के अलावा गोवा और नवी मुंबई के हवाई अड्डे भी ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे होंगे। इस हवाई अड्डे के अंतर्गत एक ऐसा समर्पित भूखंड चिन्हित किया है जहां परियोजना स्थल से हटाये जाने वाले वृक्षों को लगाया जायेगा। इस तरह उसे जंगलमय पार्क का रूप दिया जायेगा। एनआईए वहां के सभी मूल जीवजंतुओं की सुरक्षा करेगा और हवाई अड्डे के विकास के दौरान प्रकृति का पूरा ध्यान रखा जायेगा।

नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रथम चरण के निर्माण की लागत 4588 करोड़ रुपए की होगी जो निवेशक कंपनी व्यय करेगी जबकि भूमि अधिग्रहण की लागत 4326 करोड़ आयी है जिसे उत्तर प्रदेश सरकार वहन कर रही है। इस प्रकार प्रथम चरण की कुल लागत 8914 करोड़ रुपए आयी है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार पूरी परियोजना की निर्माण लागत 29 हजार 560 करोड़ रुपए की होगी।

नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (एनआईए) के साथ उत्तर प्रदेश देश का एकमा ऐसा राज्य होगा जहां पांच अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे बनाये जा रहे हैं। कुशीनगर हवाई अड्डे का हाल में उद्घाटन हो चुका है और अयोध्या में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण-कार्य चल रहा है। लखनऊ एवं वाराणसी पहले ही अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में काम कर रहे हैं। राज्य में इस समय नौ हवाईअड्डे परिचालित हैं। जिनमें इन लखनऊ एवं वाराणसी के अलावा प्रयागराज, गोरखपुर, आगरा, बरेली, कानपुर शामिल हैं। अगले साल अलीगढ़, चित्रकूट, आजमगढ़, श्रावस्ती एवं मुरादाबाद के हवाई अड्डे भी परिचालित होने लगेंगे। इस प्रकार से उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक 17 हवाई अड्डों वाला राज्य बन जाएगा।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यह दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा। इससे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर दबाव को कम करने में मदद मिलेगी। भौगोलिक रूप से रणनीतिक स्थिति के कारण यह दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, आगरा, फरीदाबाद सहित शहरी आबादी और पड़ोसी इलाकों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। इस हवाईअड्डे से कम से कम पांच एक्सप्रेसवे एवं राष्ट्रीय राजमार्ग -यमुना एक्सप्रेसवे, वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेसवे, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 91 जुड़ेंगे।

दिल्ली वाराणसी हाईस्पीड रेलवे के अलावा इसे दिल्ली, आगरा, मथुरा एवं वृंदावन से रैपिड रेल से भी जोड़ा जाएगा। प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल से दिल्ली और हवाई अड्डे के बीच का सफर 21 मिनट का हो जायेगा। नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के समीप औद्योगिक कॉरीडोर, फिल्म सिटी के लिए पॉड टैक्सी की सेवाएं भी उपलब्ध करायीं जाएंगी। हवाई अड्डे में ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन सेंटर विकसित किया जायेगा जिसमें मल्टी मॉडल ट्रांजिट केंद्र, मेट्रो और हाई स्पीड रेलवे के स्टेशन होंगे। टैक्सी, बस सेवा और निजी वाहन पार्किंग सुविधा मौजूद होगी।

हवाई अड्डे की डिजाइन बनाने में इस बात का ध्यान रखा गया है कि परिचालन खर्च कम हो तथा निर्बाध और तेजी से आवागमन हो सके। हवाई अड्डे में टर्मिनल के नजदीक ही हवाई जहाजों को खड़ा करने की सुविधा होगी ताकि उसी स्थान से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के परिचालन में वायुसेवाओं को आसानी हो। इसके कारण हवाई अड्डे पर हवाई जहाज जल्दी से काम पर लग जायेंगे तथा याियों के आवागमन भी निर्बाध और तेजी से संभव होगा।

संजय सिंह